बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए राज्यसभा सदस्यों ने उठाया बड़ा कदम
राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदन में कहा कि पोर्नोग्राफी की समस्या पर विचार विमर्श करने तथा इसके हल के उपाय सुझाने के लिए बनाए गए इस समूह से उन्होंने चर्चा कर एक माह में रिपोर्ट देने के लिए कहा है.
संसद:
राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने बृहस्पतिवार को बताया कि बच्चों के खिलाफ बढ़ते यौन उत्पीड़न के अपराधों पर रोक के लिए विचार विमर्श करने तथा उपाय सुझाने के लिए उच्च सदन के सदस्यों का बनाया गया एक अनौपचारिक समूह एक माह के अंदर अपनी रिपोर्ट देगा. बैठक शुरू होने पर सभापति ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए. इसके बाद उन्होंने सदन को सूचित किया कि बच्चों के खिलाफ बढ़ते यौन उत्पीड़न के अपराधों का मुद्दा पिछले सप्ताह उठाए जाने पर उन्होंने उच्च सदन के सदस्यों का एक अनौपचारिक समूह बनाने का सुझाव दिया था.
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1 महीने में रिपोर्ट देने के लिए कहा
सभापति के अनुसार, उन्होंने कहा था कि कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य जयराम रमेश समूह का समन्वय करेंगे. नायडू ने सदन में कहा कि पोर्नोग्राफी की समस्या पर विचार विमर्श करने तथा इसके हल के उपाय सुझाने के लिए बनाए गए इस समूह से उन्होंने चर्चा कर एक माह में रिपोर्ट देने के लिए कहा है. सभापति ने बताया कि इस समूह में उच्च सदन में बीजद के सदस्य अमर पटनायक, कांग्रेस के जयराम रमेश, डॉ अमी याज्ञिक और प्रो राजीव गौड़ा, भाजपा के राजीव चंद्रशेखर, डॉ विनय सहस्रबुद्धे और रूपा गांगुली, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन, सपा की जया बच्चन, जदयू की कहकशां परवीन, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, द्रमुक के तिरुचि शिवा, राकांपा की वंदना चव्हाण तथा अन्नाद्रमुक की विजिला सत्यानंद शामिल हैं.
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बाल उत्पीड़न के संबंध में 50 प्राथमिकी दर्ज की गई
उन्होंने कहा कि पोर्नोग्राफी के मुद्दे पर गठित इस अनौपचारिक समूह के सदस्य समाज के प्रबुद्ध लोगों, सामाजिक संगठनों, सोशल मीडिया, कंप्यूटर आपात प्रतिक्रिया दल तथा विशेषज्ञों आदि से बातचीत कर सकते हैं. गौरतलब है कि 28 नवंबर को उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान अन्नाद्रमुक की विजिला सत्यानंद ने इंटरनेट पर बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि मोबाइल फोन और इंटरनेट पर बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री तक आसानी से पहुंच होने की वजह से बाल उत्पीड़न के मामले बढ़ रहे हैं. उन्होंने इंटरनेट एवं सोशल मीडिया पर ऐसी सामग्री की बहुतायत होने का जिक्र करते हुए कहा कि लगभग हर दिन बच्चियों के यौन उत्पीड़न की खबरें आती हैं. इस पर हस्तक्षेप करते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा था कि बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री वाली करीब 377 वेबसाइटों को हटा दिया गया है और बाल उत्पीड़न के संबंध में 50 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं.
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स्मृति ने यह भी कहा था कि इस तरह की किसी भी घटना की उन्हें तत्काल सूचना दी जाए ताकि तत्काल कार्रवाई की जा सके. अगले दिन, 29 नवंबर को सभापति नायडू ने सुझाव दिया था कि कुछ वरिष्ठ संसद सदस्य एक समूह बना कर इस संबंध में चर्चा के जरिये समाधान का प्रयास कर सकते हैं. सभापति ने कहा था कि यह आधिकारिक समिति नहीं होगी, लेकिन यह देश हित में किया जाने वाला एक कार्य होगा. मोबाइल फोन और इंटरनेट पर बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री तक आसानी से पहुंच होने की वजह से बाल उत्पीड़न के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए नायडू ने कहा था सदन में चर्चा के जरिये एक आम राय बनानी चाहिए. हम समाधान का रास्ता निकाल सकते हैं ताकि आवश्यक कार्रवाई की जा सके. यह एक गंभीर मुद्दा है और अभिभावक बच्चों को लेकर बहुत चिंतित हैं. सदन में मौजूद सदस्यों ने नायडू के इस सुझाव पर सहमति जताई थी.
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