दिलचस्प हो गया है हरियाणा में राज्यसभा चुनाव, कांग्रेस के सामने विधायकों को एकजुट रखने की चुनौती

हरियाणा में राज्यसभा चुनाव एक बार फिर दिलचस्प हो गया है. राज्यसभा की दो सीटों के लिए नियमित और एक सीट पर उपचुनाव होगा. सियासी उलटफेर नहीं हुआ तो एनडीए गठबंधन को दो सीटें मिलना तय है. एक सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार की जीत होगी.

हरियाणा में राज्यसभा चुनाव एक बार फिर दिलचस्प हो गया है. राज्यसभा की दो सीटों के लिए नियमित और एक सीट पर उपचुनाव होगा. सियासी उलटफेर नहीं हुआ तो एनडीए गठबंधन को दो सीटें मिलना तय है. एक सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार की जीत होगी.

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Sunil Mishra
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Kumari Shailaja

दिलचस्प हो गया है हरियाणा में राज्यसभा चुनाव( Photo Credit : IANS)

हरियाणा में राज्यसभा चुनाव एक बार फिर दिलचस्प हो गया है. राज्यसभा की दो सीटों के लिए नियमित और एक सीट पर उपचुनाव होगा. सियासी उलटफेर नहीं हुआ तो एनडीए गठबंधन को दो सीटें मिलना तय है. एक सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार की जीत होगी. हरियाणा में विधायकों की संख्या 90 है. भाजपा के पास 40 और कांग्रेस के पास 31 विधायक हैं. 10 जजपा और सात में से छह निर्दलीय विधायकों का समर्थन भाजपा के साथ है. निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू, इनेलो विधायक अभय चौटाला और विधायक गोपाल कांडा के वोट पर सबकी निगाह रहेगी.

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रामकुमार कश्यप के समय से पहले इस्तीफा देने और कुमारी शैलजा का कार्यकाल पूरा होने के कारण इन दोनों सीटों पर नियमित चुनाव हो रहा है. जिनकी अवधि 10 अप्रैल 2020 से नौ अप्रैल 2026 तक रहेगी, जबकि बीरेंद्र सिंह के त्यागपत्र के कारण खाली हुई सीट का कार्यकाल एक अगस्त 2022 तक है. इसलिए इस सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा है. इन दोनों चुनाव के लिए अलग-अलग नोटिफिकेशन जारी किया गया है.

ध्यान रहे कि हरियाणा विधानसभा की सदस्य संख्या 90 है. जीतने वाले उम्मीदवार को 46 वोट यानी 46 विधायकों का समर्थन चाहिए. चूंकि भाजपा के 40 विधायक हैं एवं उसे 10 जजपा और छह निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन प्राप्त है. कांग्रेस के पास 31 विधायक हैं, इसलिए उपचुनाव वाली सीट के लिए उसे 15 और विधायक जुटाने पड़ेंगे, जो मुश्किल दिखाई देता है. इसलिए इस एक सीट के लिए केवल भाजपा-जजपा गठबंधन का उम्मीदवार ही नामांकन करेगा.

राज्यसभा की दो नियमित सीटों की अगर बात करें तो मौजूदा कानूनी प्रावधानों के अनुसार ऐसी परिस्थितियों में चुनाव जीतने के लिए न्यूनतम कोटा निर्धारित करने का फॉर्मूला अलग है. इसके लिए हरियाणा विधानसभा की कुल सदस्य संख्या को 100 से गुणा कर उसे चुनावी सीटों में एक जोड़कर उससे विभाजित किया जाता है और उसमें एक और जोड़ दिया जाता है. उदाहरण के लिए 90 विधायक गुणा 100 अर्थात 9000, उसे दो चुनावी सीट जमा एक करने पर तीन से विभाजित करने पर यह संख्या तीन हजार हो जाएगी, जिसमें एक जुड़ेगा अर्थात संख्या 3001 बन गई.

नियमित सीट जीतने के लिए न्यूनतम 3001 मूल्य के वोट चाहिए. इस फार्मूले में हर विधायक के एक वोट का मूल्य 100 होता है अर्थात न्यूनतम 31 विधायकों के साथ एक राज्यसभा सीट जीती जा सकती है. इस प्रकार कांग्रेस के पास 31 विधायक हैं. वह भी राज्यसभा की दूसरी सीट जीत सकती है, बशर्ते कि विधायक क्रास वोटिंग न करें और अपनी पार्टी के उम्मीदवार को ही पहली वरीयता (पसंद) के रूप में अपना वोट दें.

आज नामांकन का आखिरी दिन है. 26 मार्च को चुनाव होना है. भाजपा-जजपा ने इन दोनों राज्यसभा सीटों के लिए अपना दो उम्मीदवार उतार दिया है. ऐसे में क्रास वोटिंग की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है.

हरियाणा विधानसभा में जब जून 2016 में राज्यसभा की दो सीटों के लिए मतदान हुआ था, तब कांग्रेस के एक दर्जन से अधिक विधायकों के वोट गलत स्याही से मार्क करने की वजह से अवैध घोषित कर दिए गए थे, जिसकी असल वजह आज तक रहस्य बनी हुई है. हालांकि तब भाजपा समर्थित सुभाष चंद्रा चुनाव जीत गए थे.

Source : IANS

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