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राज्यसभा में हंगामा करने वाले सांसदों पर एक्शन ले सकते हैं नायडू, कार्रवाई के लिए जानकारों की सलाह

Ruckus in Rajya Sabha: राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य विपक्षी नेताओं ने संयुक्त बयान में इस घटना पर दुख जताया.  

Updated on: 14 Aug 2021, 08:06 AM

highlights

  • राज्यसभा में विपक्षी सांसदों ने किया था हंगामा
  • सांसदों ने टेबल पर चढ़ रुलबुक फाड़ी थी
  • सांसदों के आचरण से वेंकैया नायडू नाराज

नई दिल्ली:

राज्यसभा में सदन की मर्यादा तोड़ हंगामा करने वाले सांसदों के खिलाफ सभापति वेंकैया नायडू सख्त एक्शन की तैयारी में हैं. इन सांसदों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाए इसे लेकर जानकारों की राय ली जा रही है. सदन में जो कुछ हुआ उसे लेकर नायडू ऐतराज जता चुके हैं. सदन में हंगामा इतना बढ़ गया कि नौबत धक्का-मुक्की तक की आ गई थी. अब इस मामले में वेंकैया नायडू ने सचिवालय के पूर्व और मौजूदा सदस्यों से कानूनी सलाह ली है. माना जा रहा है कि हंगामा करने वाले सांसदों पर कार्रवाई तय है. 

विशेषाधिकार समिति को सौंपा जा सकता है मामला 
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक हंगामा करने वाले सांसदों पर कार्रवाई के लिए मामले को विशेषाधिकार समिति को सौंपा जा सकता है. नई समिति बनाने पर भी विचार किया जा रहा है. गौरतलब है कि राज्य सभा की विशेषाधिकार समिति किसी सदस्य या परिषद या उसकी किसी समिति के विशेषाधिकार के उल्लंघन से जुड़े मुद्दों पर गौर कर सकती है. जबकि नैतिकता संबंधी समिति सदस्यों के नैतिक आचरण और जांच करने के लिए देखरेख करती है.

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सूत्रों का यह भी कहना है कि वेंकैया नायडू के पास इसके अलावा एकऔर विकल्प भी है. नायडू इस मामले में जांच के लिए एक विशेष समिति का गठन कर सकते हैं. ऐसी ही एक समिति का गठन  UPA-I की सरकार के दौरान इसका इस्तेमाल सोमनाथ चटर्जी ने लोकसभा अध्यक्ष के रूप में किया था. तब लोकसभा में कुछ सदस्यों द्वारा पैसे लेकर सवाल पूछने का मामला सामने आया था. उस समय पवन कुमार बंसल की अध्यक्षता में एक विशेष समिति गठित की गई. इस समिति ने लोकसभा ने अपने 10 सदस्यों को निष्कासित करने का प्रस्ताव पारित किया था.

जानकारों की ली जा रही सलाह
सूत्रों के मुताबिक इस मामले में सभापति नायडू ने अक्टूबर 2007 से सितंबर 2012 तक राज्यसभा के महासचिव रहे वी के अग्निहोत्री से बात की है. वहीं कानून के बड़े जानकार सुभाष कश्यप से सलाह लेने का मन बना रहे हैं. कश्यप ने दिसंबर 1983 से अगस्त 1990 तक लोकसभा महासचिव के रूप में कार्य किया था. सुभाष कश्यप मौजूदा समय में संसदीय परंपरा और संविधान के बड़े जानकार हैं. केंद्र से लेकर राज्य सरकार उनसे कानूनी सलाह ले चुकी हैं.