logo-image

2001 में राजनाथ सिंह ने रखा था जेवर एयरपोर्ट का प्रस्ताव, जानें क्या है इतिहास

यूपी विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेवर में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का शिलान्यास किया है. यह इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, दिल्ली के बाद देश का दूसरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट होगा.

Updated on: 25 Nov 2021, 04:44 PM

नई दिल्ली:

यूपी विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेवर में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का शिलान्यास किया है. यह इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, दिल्ली के बाद देश का दूसरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट होगा. छह रनवे के साथ जब इसका विस्तार पूरा हो जाएगा तो यह भारत का सबसे बड़ा हवाई अड्डा और दुनिया के सबसे बड़े हवाई अड्डो में से एक होगा. इस एयरपोर्ट को बनाने के लिए योगी सरकार ने केंद्र से मिलकर 1334 हेक्टेयर ज़मीन का अधिग्रहण किया. आइये हम आपको बताते हैं कि जेवर एयरपोर्ट का क्या इतिहास है?

जेवर एयरपोर्ट का इतिहास

2001 में यह राजनाथ सिंह की सरकार में पहली बार प्रस्तावित किया गया.

यूपीए शासन के दौरान रोक दिया गया था, क्योंकि परियोजना स्थल दिल्ली में मौजूदा ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे के 150 किलोमीटर के भीतर था. इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (आईजीआई), दिल्ली के 72 किलोमीटर के भीतर था. 

2012 में अखिलेश सिंह की सरकार में इस परियोजना को रोकने पर विचार किया.

जून 2013 में, राज्य सरकार ने फिरोजाबाद जिले के टुंडला के निकट कुकुरीप्पा गांव को प्रस्तावित हवाई अड्डे के लिए साइट के रूप में अंतिम रूप दिया.

जनवरी 2014 में, रक्षा मंत्रालय ने टूंडला के निकट स्थल के संबंध में कुछ आपत्तियां उठाईं.

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने जून 2014 में 2,200 एकड़ भूमि पर नए हवाई अड्डे की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.

नवंबर 2014 में राज्य सरकार ने एत्मादपुर के पास ज़मीन जारी की. उसी साल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को केंद्र सत्ता में वोट दिया गया और परियोजना को फिर से जेवर पर शिफ्ट कर दिया गया.

केंद्रीय रक्षा मंत्रालय (एमओडी) ने जून 2016 में इस परियोजना को मंजूरी दी.
 
जुलाई 2017 में, उड्डयन के केंद्रीय मुख्य सचिव ने उत्तर प्रदेश सरकार को योजना प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए चेतावनी दी.

नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MoCA) ने उत्तर प्रदेश सरकार को मई 2018 में हवाई अड्डे के निर्माण के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी.

नवंबर 2018 : यूपी सरकार ने भूमि अधिग्रहण के लिए 1260 करोड़ रुपये के आवंटन को मंजूरी दी.

नवंबर 2019 :  ज़्यूरिख हवाई अड्डे को 40 साल के लिए हवाई अड्डे के विकास और संचालन का ठेका दिया गया.

जनवरी 2020 : परियोजना के चरण-1 के लिए भूमि अधिग्रहण पूरा हुआ.

मई 2020 : जेवर एयरपोर्ट को यमुना एक्सप्रेस वे से जोड़ने वाली 760 मीटर सड़क के लिए टेंडर जारी. इस सड़क के निर्माण का समय 3 महीने है.

अक्टूबर 2020 :  नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (एनआईएएल) और फ्लुघफेन ज्यूरिख एजी के बीच अंतिम समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (वाईआईएपीएल) के माध्यम से हवाई अड्डे का निर्माण, संचालन और प्रबंधन करेगा.
 
फरवरी 2021 : एयरपोर्ट के लिए मास्टर प्लान को एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) द्वारा अनुमोदित किया गया.

जुलाई 2021 : 1,334 हेक्टेयर जमीन सौंपने की औपचारिक प्रक्रिया की गई. उत्तर प्रदेश के चीफ मिनिस्टर योगी आदित्यनाथ के उपस्थिति में जेवर एयरपोर्ट की ज़मीन नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटिड (NIAL) को 90 वर्षों की लीज पर सौंपी गई.

डिजाइन, प्लान और बनावट

जेवर, उत्तर प्रदेश में नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को भविष्य में प्रतिवर्ष 60 मिलियन यात्रियों को संभालने के लिए 4 चरण मास्टर प्लान के साथ ग्रेटर नोएडा के दक्षिण में ज़्यूरिख एयरपोर्ट द्वारा विकसित किया जा रहा है.

परियोजना के अंतिम चरण में 2 रनवे और 4 टर्मिनल की कल्पना की गई है जो इसे भारत का सबसे बड़ा हवाई अड्डा बनाने में सफल होगी. 

हवाई अड्डे को एक नई मेट्रो लाइन के माध्यम से ग्रेटर नोएडा से जोड़ा जाएगा और 886 किलोमीटर दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल (बुलेट ट्रेन) परियोजना पर एक स्टेशन होगा.

इसके अलावा, NHAI द्वारा एयरपोर्ट को निर्माणाधीन 1350 किमी दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (DMEx) से जोड़ने वाली 31 किमी सड़क का निर्माण किया जाएगा. इसके निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण का समझौता मार्च 2021 में हरियाणा और यूपी की सरकारों के बीच हुआ था.