राजनाथ सिंह ने घरेलू रक्षा और एयरोस्पेस के लिए 400 करोड़ की योजना को दी मंजूरी: रक्षा मंत्रालय
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने शुक्रवार को एक ऐसी योजना को मंजूरी दी जिसके तहत घरेलू रक्षा उद्योग द्वारा देश में विकसित और निर्मित सैन्य हार्डवेयर (उपकरणों) के परीक्षण के लिए 400 करोड़ रुपये की लागत से केन्द्र तैयार किये जाएंगे.
दिल्ली:
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने शुक्रवार को एक ऐसी योजना को मंजूरी दी जिसके तहत घरेलू रक्षा उद्योग द्वारा देश में विकसित और निर्मित सैन्य हार्डवेयर (उपकरणों) के परीक्षण के लिए 400 करोड़ रुपये की लागत से केन्द्र तैयार किये जाएंगे. अधिकारियों ने बताया कि ‘रक्षा उपकरण परीक्षण योजना (डीटीआईएस)’ का लक्ष्य देश में रक्षा एवं हवाई क्षेत्र के उत्पादन को बढ़ावा देना है.
रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, रक्षा मंत्रालय ने 400 करोड़ रुपये के शुरुआती बजट के साथ डीटीआईएस को मंजूरी दे दी है जिसके तहत रक्षा क्षेत्र के लिए अत्याधुनिक ढांचा/परिसर विकसित किए जाएंगे. बयान के अनुसार, यह योजना पांच साल की अवधि के लिए है और इस दौरान निजी उद्योगों की साझेदारी से छह से आठ नये परीक्षण केन्द्र स्थापित किए जाएंगे.
बयान के मुताबिक, इन योजनाओं के लिए सरकार अनुदान के रूप में 75 प्रतिशत की राशि देगी और बाकि 25 प्रतिशत लागत निजी उद्योगों और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी होगी. वर्तमान में भारत दुनिया के सबसे बड़े सैन्य उपकरण आयातकों में शामिल है। सरकार देश को रक्षा उत्पादन का बड़ा केन्द्र बनाने पर ध्यान दे रही है.
राजनाथ सिंह ने किया गश्ती पोत, दो अवरोधक नौकाओं का जलावतरण
इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के बीच नयी दिल्ली में वीडियो-कांफ्रेंसिंग के माध्यम से गोवा में भारतीय तटरक्षक बल के (आईसीजी) एक पोत और दो अवरोधक (इंटरसेप्टर) नौकाओं का शुक्रवार को जलावतरण किया. सिंह ने भारतीय तटरक्षक बल के देश में निर्मित ‘सचेत’ पोत और सी-450 एवं सी-451 अवरोधक नौकाओं का वीडियो लिंक के माध्यम से गोवा में जलावतरण किया. इस अवसर पर सिंह ने कहा कि भारतीय तटरक्षक बल की क्षमता बढ़ाने में इन पोत एवं नौकाओं का जलावतरण एक मील का पत्थर है.
सिंह ने कहा कि इनका जलावतरण भारतीय पोत निर्माण क्षमताओं की बढ़ती ताकत को दर्शाता हैं. उन्होंने भारतीय तटों की सुरक्षा में आईसीजी के प्रयासों की सराहना की. रक्षा मंत्री ने कहा कि सुरक्षित तट देश को आर्थिक विकास के अवसर देते हैं जो कि राष्ट्र निर्माण के लिए आवश्यक है.
आईसीजी के प्रवक्ता ने बताया कि पांच अपतटीय गश्ती नौकाओं की श्रृंखला के तहत पहले पोत ‘सचेत’ को गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) ने देश में डिजाइन किया और बनाया है. यह अत्याधुनिक नौवहन एवं सम्प्रेषण उपकरणों, सेंसर एवं मशीनरी से लैस है. उन्होंने कहा कि भारतीय समुद्री इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब डिजिटल माध्यम से तटरक्षक नौका का जलावतरण किया गया है. ऐसा कोविड-19 वैश्विक महामारी की पृष्ठभूमि में सामाजिक दूरी के कड़े प्रोटोकॉल को बरकरार रखते हुए किया गया.
इस अवसर पर सिंह के अलावा, रक्षा सचिव अजय कुमार, आईसीजी के महानिदेशक डी जी कृष्णास्वामी नटराजन भी मौजूद थे. इस दौरान रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक गोवा शिपयार्ड लिमिटेड के वास्को परिसर में मौजूद थे. 105 मीटर लंबे इस पोत का वजन करीब 2,350 टन है और इसमें 9,100 किलोवॉट के दो इंजन लगे हुए हैं. यह 26 नॉट की अधिकतम गति से चल सकता है.
प्रवक्ता ने बताया कि यह पोत तलाश एवं बचाव अभियानों के लिए दोहरे इंजन वाले एक हेलीकॉप्टर, उच्च गति की चार नौकाओं और एक हवा भरी जाने वाली नौका ले जाने में सक्षम है। उन्होंने बताया कि यह समुद्र में तेल फैलने के कारण होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए सीमित उपकरण ले जाने में भी सक्षम है. आईसीजीएस सचेत की कमान उप महानिरीक्षक राजेश मित्तल के पास है और इसमें 11 अधिकारी एवं 110 अन्य लोग तैनात हैं.
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