राजनाथ सिंह ने सैनिकों के साथ मनाई होली, लद्दाख को बताया भारत की 'शौर्य की राजधानी'
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को लेह में तैनात सैनिकों के साथ होली मनाई. इस दौरान राजनाथ सिंह ने लद्दाख को भारत की "शौर्य और बहादुरी की राजधानी" बताया.
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केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को लेह में तैनात सैनिकों के साथ होली मनाई. इस दौरान राजनाथ सिंह ने लद्दाख को भारत की "शौर्य और बहादुरी की राजधानी" बताया. उन्होंने कहा कि, पूरा देश सुरक्षित महसूस करता है क्योंकि हमारे बहादुर सैनिक सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं. हम खुशहाल जीवन जी रहे हैं क्योंकि हमारे सतर्क सैनिक सीमा पर तैयार हैं. हर देशवासी को सशस्त्र बलों पर गर्व है. वो अपने परिवारों से बहुत दूर रहते हैं, इसलिए ही हम होली और अन्य त्योहार अपने परिवारों के साथ मनाते हैं. उन्होंने कहा कि देश हमेशा अपने सैनिकों का ऋणी रहेगा और उनका साहस और बलिदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा.
गौरतलब है कि, सिंह को सियाचिन ग्लेशियर पर तैनात सैनिकों के साथ होली मनाने का कार्यक्रम था, लेकिन दुनिया के सबसे ऊंचे और सबसे ठंडे युद्धक्षेत्र पर प्रतिकूल मौसम के कारण योजना को स्थगित करना पड़ा. मंत्री ने फोन पर सियाचिन में तैनात सैनिकों को शुभकामनाएं दीं और जल्द ही उनसे मिलने का वादा किया.
लद्दाख भारत की शौर्य और बहादुरी की राजधानी
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि, ऊंचाई पर तैनात जवानों की "सकारात्मक प्रतिबद्धता" "माइनस तापमान" से कहीं अधिक मजबूत होती है. लद्दाख भारत की शौर्य और बहादुरी की राजधानी, जैसे दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है, मुंबई वित्तीय राजधानी है और बेंगलुरु प्रौद्योगिकी राजधानी है.
सैनिकों के साथ होली मनाने का फैसला
सिंह, जिनके साथ सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे भी थे, ने कहा कि उन्होंने त्योहार से एक दिन पहले सैनिकों के साथ होली मनाने का फैसला किया क्योंकि उनका मानना था कि त्योहारों को पहले देश के रक्षकों के साथ मनाया जाना चाहिए. उन्होंने तीनों सेनाओं के प्रमुखों से एक दिन पहले सैनिकों के साथ त्योहार मनाने की नई परंपरा शुरू करने का आग्रह किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि, कारगिल की बर्फीली चोटियों पर, राजस्थान के तपते मैदानों में और गहरे समुद्र में पनडुब्बियों के साथ सैनिकों के साथ इस तरह के उत्सव हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग बनना चाहिए.
गौरतलब है कि, सिंह की लद्दाख यात्रा ऐसे समय हुई जब भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करने के लिए बातचीत कर रहे थे.
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