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नोटबंदी और NIA की कार्रवाई से अलगाववादियों और नक्सलियों को फंड का टोटा: अरुण जेटली

नोटबंदी और इसके बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों के विरोध प्रदर्शन की कमर टूट गई है।

Updated on: 20 Aug 2017, 06:04 PM

highlights

  • अरुण जेटली ने कहा NIA की कार्रवाई की वजह से फंड की कमी, अलगाववादियों को नहीं मिल रहे प्रदर्शनकारी
  • गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा NIA के नाम से टेरर फंडिंग में शामिल लोगों के छूटने लगते हैं पसीने

नई दिल्ली:

नोटबंदी और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों के विरोध प्रदर्शन की कमर टूट गई है।

देश के रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा, 'नोटबंदी और अलगाववादियों की विदेशी फंडिंग को लेकर एनआईए की कार्रवाई की वजह से उन्हें पैसों की तंगी का सामना करना पड़ रहा है।'

जेटली ने कहा, 'फंड के संकट को ऐसे समझा जा सकता है कि अब अलगाववादियों को 25-50 लोगों को जुटाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।'

उन्होंने कहा, 'नोटबंदी के बाद जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में माओवादियों को फंड की कमी का सामना करना पड़ रहा है।' जेटली मुबंई में 'न्यू इंडिया प्लेज' के मौके पर बोल रहे थे।

गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों के दौरान एनआईए ने टेचर फंडिंग को लेकर लगातार कार्रवाई करते हुए अलगाववादियों के ठिकानों पर छापा मारा है। अभी तक इस मामले में 7 बड़े अलगाववादियों समेत करीब 10 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।

एनआईए ने हाल ही में जम्मू एवं कश्मीर में टेरर फंडिग के आरोप में कश्मीर के नामी-गिरामी कारोबारी और वरिष्ठ अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के करीबी जहूर वटाली को गिरफ्तार कर लिया है।

टेरर फंडिग मामले में गिलानी के करीबी वटाली को NIA ने किया गिरफ्तार

इससे पहले मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शब्बीर शाह के बेहद करीबी असलम वानी को ईडी ने 6 अगस्त गिरफ्तार कर लिया था। वहीं 25 जुलाई को शब्बीर शाह को श्रीनगर से गिरफ्तार किया गया था।

वहीं लखनऊ में एक कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने एनआईए की तारीफ करते हुए कहा कि एजेंसी की तरफ से लिए गए मामलों में सफलता की दर 95 फीसदी से अधिक है।

सिंह ने कहा, 'एनआईए का कनविक्शन रेट 95 फीसदी है जो भारत में किसी एजेंसी के लिए सबसे अधिक सफलता की दर है। 2009 में स्थापना के बाद से एनआए सबसे अधिक विश्वसनीय जांच एजेंसी के तौर पर सामने उभरी है।'

सिंह ने कहा, 'जो लोग टेरर फंडिंग के मामले में शामिल है, उन्हें एनआईए से डर लगने लगा है। एनआईए की कार्रवाई के बाद जम्मू-कश्मीर में पथराव के मामलों में कमी आई है।'

गृह मंत्री ने कहा कि एनआईए का नाम सुनते ही टेरर फंडिंग में शामिल लोगों के बदन में सिहरन दौड़ने लगती है। उन्होंने कहा कि फर्जी करेंसी की मदद से नक्सल और आतंकी हिंसा को बढ़ावा मिलता रहा है, जिसे एनआईए रोकने में सफल रही है।

सिंह ने कहा कि एनआईए जांच की वजह से पूर्वोत्तर में उग्रवाद और नक्सली हिंसा में जबरदस्त कमी आई है।

'जहूर वटाली को कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए पाकिस्तानी उच्चायोग से मिलता था पैसा'