राजनाथ, अमित शाह, गडकरी और नड्डा ने एक साथ साधा ममता बनर्जी पर निशाना
पश्चिम बंगाल में चक्रवाती तूफान से हुए नुकसान की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक में प्रधानमंत्री मोदी को आधे घंटे तक इंतजार कराने और फिर रिपोर्ट सौंपकर बैठक से चले जाने को लेकर भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा है.
नई दिल्ली:
पश्चिम बंगाल में चक्रवाती तूफान से हुए नुकसान की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक में प्रधानमंत्री मोदी को आधे घंटे तक इंतजार कराने और फिर रिपोर्ट सौंपकर बैठक से चले जाने को लेकर भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा है. गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री गडकरी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक साथ ममता बनर्जी पर हमला बोलते हुए उन्हें अहंकार से बचने की नसीहत दी है. गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, ममता दीदी का आज का आचरण दुर्भाग्यपूर्ण है. चक्रवात 'यास' ने आम जनता को प्रभावित किया है और प्रभावित लोगों की सहायता करना समय की मांग है. दुख की बात है कि दीदी ने अहंकार को जनकल्याण से ऊपर रखा है और आज का क्षुद्र व्यवहार यही दर्शाता है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, पश्चिम बंगाल का आज का घटनाक्रम स्तब्ध करने वाला है. मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री व्यक्ति नहीं संस्था हैं. दोनों जन सेवा का संकल्प और संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेकर दायित्व ग्रहण करते हैं. आपदा काल में बंगाल की जनता को सहायता देने के भाव से आए हुए प्रधानमंत्री के साथ इस प्रकार का व्यवहार पीड़ादायक है. जन सेवा के संकल्प व संवैधानिक कर्तव्य से ऊपर राजनैतिक मतभेदों को रखने का यह एक दुर्भाग्यपूर्ण उदहारण है, जो भारतीय संघीय व्यवस्था की मूल भावना को भी आहत करने वाला है.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, पश्चिम बंगाल में हुआ आज का घटनाक्रम निंदनीय है. प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री एक संस्थान हैं जो संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेकर अपने दायित्वों का पालन करते है. प्रधानमंत्री जी बंगाल की जनता की सहायता के लिए राज्य के दौरे पर हैं, और यह आपदा की घड़ी है, हम सभी को मिलकर इसका सामना करना है. संवैधानिक कर्तव्यों के ऊपर राजनीतिक मतभेद लाना दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे भारतीय संघीय व्यवस्था की मूल भावना आहत हुई है.
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चक्रवात यास के मद्देनजर बंगाल के नागरिकों के साथ मजबूती से खड़े हैं, तब ममता को भी लोगों के कल्याण के लिए अपना अहंकार अलग रखना चाहिए. पीएम की बैठक से उनकी अनुपस्थिति संवैधानिक लोकाचार और सहकारी संघवाद की संस्कृति की हत्या है.
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