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HC( Photo Credit : (सांकेतिक चित्र))
राजस्थान हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि किसी भी न्यायिक या प्रशासनिक मामले में व्यक्ति की जाति नहीं बताई जाएगी. सोमवार को इसकी अधिसूचना भी जारी की गई है. अधिसूचना में कहा गया है कि जाति बताया जाना संविधान की भावना के खिलाफ है. आदेश में यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि किसी भी न्यायिक या प्रशासनिक मामले में शामिल अभियुक्त सहित किसी भी व्यक्ति की जाति का खुलासा नहीं किया जाए।
Rajasthan High Court has issued an order to ensure that caste of any person including accused is not incorporated in any judicial or administrative matter. pic.twitter.com/jdWuUjfFAP
— ANI (@ANI) April 28, 2020
बता दें कि जुलाई 2018 में बिशन नाम के एक व्यक्ति को जेल अधिकारियों ने बेल पर रिहा नहीं किया. बेल 5 दिन तक लटकाए रखी जबकि हाईकोर्ट ने इसका आदेश दे दिया था. इसकी वजह यह थी कि कोर्ट के आदेश में उस व्यक्ति की जाति मेल नहीं खा रही थी, जिसका उल्लेख पुलिस के गिरफ्तारी मेमो में था. इस मामले के बाद कोर्ट के जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा को लगा कि किसी व्यक्ति की पहचान उसकी जाति से नहीं बल्कि उसके माता-पिता के मुताबिक होनी चाहिए.
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अब रजिस्ट्रार जनरल ने 2018 के आदेश का हवाला देते हुए आदेश जारी किया है. उस आदेश में कहा गया था कि किसी व्यक्ति की जाति का उल्लेख संविधान की भावना के खिलाफ है, इसलिए न्यायिक या प्रशासनिक मामलों में इसका इस्तेमाल नहीं होगा. कोर्ट ने यह भी कहा कि जाति का उल्लेख करना राजस्थान हाईकोर्ट के 2018 के उस आदेश के विपरीत है जिसमें ऐसा न करने का आदेश दिया गया था.
Source : News Nation Bureau