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राजस्थान का समीकरण: लोकसभा चुनाव की तैयारी में बीजेपी और कांग्रेस, थर्ड फ्रंट फंसा रहा है पेंच

राजस्थान में विधानसभा चुनाव के परिणाम से साफ-साफ संकेत मिला है कि राज्य की कम से कम पांच लोकसभा सीटों पर तीसरे मोर्चे के दल खुद नहीं जीते तो भी कांग्रेस-BJP दोंनों की संभावनाओं पर असर जरूर डालेंगे.

Updated on: 07 Jan 2019, 06:35 PM

नई दिल्ली:

25 लोकसभा सीटों वाली राजस्थान में सरकार बनाकर उत्साह से भरी कांग्रेस ने आम चुनाव के लिए तैयारी शुरू कर दी है. वहीं दूसरे नंबर पर रही BJP भी विधानसभा चुनाव की हार को भुलाकर 2019 लोकसभा चुनाव में 2014 का क्लिन स्वीप वाला इतिहास दोहराना चाहती है. गौरतलब है कि राजस्थान चुनाव में कांग्रेस को 99 सीट मिली है जबकि BJP 73 सीटों पर ही सिमट कर रह गई है. राजस्थान में विधानसभा चुनाव के परिणाम से साफ-साफ संकेत मिला है कि राज्य की कम से कम पांच लोकसभा सीटों पर तीसरे मोर्चे के दल खुद नहीं जीते तो भी कांग्रेस-BJP दोंनों की संभावनाओं पर असर जरूर डालेंगे.अलवर, भरतपुर, नागौर, बाड़मेर व बांसवाड़ा सीटों पर तीसरे मोर्चे का पेंच दोनों ही दलों के लिए चिंताजनक बना हुआ है.

विधानसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी (BSP), राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) और भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) के अच्छे प्रदर्शन ने कांग्रेस और BJP के कान खड़े कर दिए हैं.अब यह तीनों ही लोकसभा चुनाव के लिए फिर से दम-खम दिखाने को तैयार दिख रहे हैं.गत लोकसभा चुनावों में राज्य की सभी 25 सीटें जीतने के बाद विधानसभा चुनाव में हार चुकी BJP के लिए लोकसभा चुनाव में प्रदेश में सम्मानजनक स्थिति हासिल करना बड़ी चुनौती है.

वहीं सत्ता पर सवार हुई कांग्रेस के लिए BSP और BTP चिंताजनक हालात बना रही है.विधानसभा की तरह लोकसभा चुनाव में भी यह दोनों दलों जीत की राह में रोड़ा डाल सकती है.BSP ने विधानसभा चुनाव में छह सीटें हासिल की है.इनमें दो सीटें भरतपुर और इतनी ही अलवर में जीती है.अलवर को लेकर दोनों दलों में चिंता बनी हुई है.अलवर में करीब एक साल पहले लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज की.इसके बावजूद विधानसभा चुनाव में उसका प्रदर्शन गिर गया.

इसके लिए काफी हद तक BSP जिम्मेदार है.BSP ने दो सीट जीतने के साथ अन्य सीटों पर कांग्रेस के समीकरणों को बिगाड़ दिया.लोकसभा उपचुनाव जीतने वाले करण सिंह यादव किशनगढ़बास में तीसरे स्थान पर चले गए.यहां BSP ने जीत हासिल की.वहीं BJP पर उसके बागी भारी पड़े.बहरोड़ सीट पर निर्दलीय ने चुनाव जीता है.वोट के लिहाज से देखें तो अलवर लोकसभा क्षेत्र में आने वाली आठ में से सात विधानसभा सीटों पर चुनाव हुआ, जिसमें BSP को 2.61 लाख वोट मिले.जबकि इन आठों सीटों पर BJP
करीब 14 हजार वोट से कांग्रेस से आगे रही है.

ऐसे में लोकसभा चुनाव में BSP के उतरने से इस सीट पर समीकरण बिगडऩा तय माना जा रहा है.

अलवर लोकसभा सीट --8

(7 विधानसभा सीटों पर हुआ चुनाव)

पार्टी ------ सीटें ------ वोट
कांग्रेस ------ 2 ------ 398881
BJP ------ 2 ------ 413068
BSP ------- 2 ------ 261237
निर्दलीय ----- 1 ------ 55160

भरतपुर लोकसभा सीट
भरतपुर लोकसभा क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटों में से फिलहाल कांग्रेस के पास 5 और उसके सहयोगी दल रालोद के पास एक सीटें है, लेकिन उसकी चिंता लोकसभा चुनाव को लेकर बनी हुई है, क्योंकि यहां शेष दो सीटें BSP ने हासिल की है.साथ ही उसे आठों सीटों पर मिले पौने दो लाख से अधिक वोटों ने कांग्रेस और BJP की धड़कन बढ़ा रखी है.हालांकि कांग्रेस के लिए राहत इस बात की है कि वह विधानसभा चुनाव में BJP से करीब 86 हजार वोट से आगे रही है.

वहीं कांग्रेस को BSP को लेकर उसकी मुश्किल पता है, जिसकी वजह से उसने यहां से तीन मंत्री बनाए हैं.

भरतपुर 8 विधानसभा सीटों की स्थिति
पार्टी ------ सीटें ------ वोट
कांग्रेस ------ 5 ------ 525657
BJP ------ 0 ------ 438916
BSP ------- 2 ------ 179535
रालोद ------- 1 ------ 52869

पश्चिम में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी
नागौर लोकसभा सीट

हनुमान बेनीवाल खुद नागौर से आते हैं.यही वजह है कि RLP ने यहां खींवसर और मेड़ता में विधानसभा चुनाव जीता.हालांकि मेड़ता विधानसभा राजसमंद लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है.विधानसभा चुनाव के परिणाम ने साबित कर दिया है कि यहां RLP ने BJP को ही नुकसान पहुंचाया है.जायल और लाडऩू में उसके उम्मीदवारों को मिले वोट के चलते BJP को हार का सामना करना पड़ा.

वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में बेनीवाल निर्दलीय के तौर पर लड़े थे और कांग्रेस की हार का कारण बने थे.जबकि इस बार हालात बदले हुए दिख रहे हैं.फिलहाल विधानसभा चुनाव
में इस लोकसभा क्षेत्र की आठ सीटों पर कांग्रेस ने 1.31 लाख से अधिक वोट की बढ़त BJP पर बनाई थी.वहीं रालोप को 1.58 लाख वोट मिले हैं.बेनीवाल ने एक बार फिर लोकसभा के लिए ताल ठोकनी शुरू कर दी है.ऐसे में दोनों ही दलों की बेचैनी बढ़ रही है.

नागौर की 8 विधानसभा सीटों की स्थिति

पार्टी ------ सीटें ------ वोट
कांग्रेस ------ 5 ------ 600146
BJP ------ 2 ------ 468859
RLP------- 1 ------ 158891

बाड़मेर लोकसभा सीट 

इसमें बाड़मेर जिले की सात और जैसलमेर जिले की एक विधानसभा सीटें हैं, इनमें से सात कांग्रेस और एक पर BJP जीती है.बाड़मेर जिले की चार विधानसभा सीटों पर RLP ने BJP को हराने में अहम भूमिका निभाई.खासतौर पर बायतू में BJP उम्मीदवार तीसरे नंबर पर चला गया.जबकि चौहटन, शिव और सिवाना में रालोप उम्मीदवारों ने अच्छे-खासे वोट हासिल कर BJP को हार के मुहाने पर धकेल दिया.

RLP को बाड़मेर की इन सात सीटों पर 1.48 लाख से अधिक वोट मिले हैं.वहीं इस लोकसभा सीट पर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को BJP पर 1.61 लाख से अधिक वोट
की बढ़त मिली है.लोकसभा चुनाव में रालोप समीकरण बनाने-बिगाडऩे का काम फिर से कर सकती है.

बाड़मेर-जैसलमेर की 8 विधानसभा सीटों की स्थिति

पार्टी ------ सीटें ------ वोट
कांग्रेस ------ 5 ------ 706445
BJP ------ 2 ------ 545151
RLP------- 1 ------ 148324

दक्षिण में भारतीय ट्राइबल पार्टी 

बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट

डूंगरपुर और बांसवाड़ा जैसे आदिवासी जिलों में इस विधानसभा चुनाव में BTP का उदय होने से कांग्रेस और BJP दोनों ही परेशान है.इस चुनाव में इस दल ने दोनों को ही नुकसान पहुंचाया है.जहां BJP को हार की ओर धकेला है, वहीं कांग्रेस के हाथ से जीत छीन ली है.बांसवाड़ा जिले की पांच विधानसभा सीटों में दो पर कांग्रेस और एक पर उसकी बागी ने चुनाव जीता.बागी विधायक ने कांग्रेस को समर्थन दे दिया.

वहीं BTP ने डूंगरपुर जिले की चौरासी और सागवाड़ा विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की है.जबकि डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिले की बागीदौरा सीट पर BJP को और गढ़ी व घाटोल में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया है.कांग्रेस को इस लोकसभा सीट पर 29950 वोट की बढ़त BJP पर है.वहीं BTP को 1.59 लाख वोट मिले थे.BTP ने अब लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है.ऐसे में दोनों दल के नेता इसका कोई तोड़ निकालने में जुटे हुए हैं.

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बांसवाड़ा-डूंगरपुर की 8 विधानसभा सीटों की स्थिति-

पार्टी ------------------ सीटें ------ वोट
कांग्रेस व निर्दलीय ------ 4 ------ 604817
BJP ----------------- 2 ------ 574867
BTP ----------------- 2 ------ 159552

तस्वीर साफ है मिशन 25 दोनों पार्टियों के लिए हु आसान नहीं है. साथ ही बेहतर प्रदर्शन किस पार्टी का रहेगा यह भी काफी हद तक थर्ड फ्रंट की पार्टीयो की भूमिका पर निर्भर करेगा.