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'अग्निपथ की आग' में रेलवे की 1000 करोड़ की संपत्ति स्वाहा, दशक का सबसे बड़ा नुकसान

भारतीय सेना में अल्पकालीन भर्ती योजना अग्निपथ के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शन में भारतीय रेलवे को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है. प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान दर्जनों ट्रेनों को आग के हवाले कर दिया.

Updated on: 23 Jun 2022, 11:53 PM

highlights

  • प्रदर्शनकारियों का सबसे आसान निशाना है रेलवे
  • प्रदर्शन व तोड़फोड़ से हर वर्ष करोड़ों का नुकसान
  • बंद व प्रदर्शन में टिकट कैंसल होने से भी होता है नुकसान

नई दिल्ली:

भारतीय सेना में अल्पकालीन भर्ती योजना अग्निपथ के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शन में भारतीय रेलवे को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है. प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान दर्जनों ट्रेनों को आग के हवाले कर दिया. जितनी संपत्ति का नुकसान रेलवे को पिछले एक हफ्ते में हुआ है, इतनी संपत्ति का नुकसान तो रेलवे को एक दशक में भी नहीं हुआ था. एक अनुमान के मुताबिक अग्निपथ के खिलाफ हुए हिंसक विरोध-प्रदर्शन में अब तक रेलवे को एक हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है. 

दशक का सबसे बड़ा नुकसान
गौरतलब है कि इससे पहले एक दशक में रेलवे को लगभग सवा 4 सौ करोड़ रुपए की संपत्ति का नुकसान हुआ था. वहीं, अग्निपथ के खिलाफ हुए प्रदर्शन के बाद रेलवे ने 18 जून को बताया था कि उसे चार दिन के प्रदर्शन के दौरान लगभग 700 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति का नुकसान हो चुका है. प्रदर्शनकारियों के ट्रेनों को जलाने और पटरियों को नुकसान पहुंचाने से रेलवे को नुकसान के अलावा टिकट कैंसिल करवाने और रिफंड करने से भी रेलवे को बड़े पैमाने पर नुकसान उठाना पड़ा है. रेलवे अफसरों के मुताबिक अग्निपथ के खिलाफ हुए प्रोटेस्ट की वजह से 60 करोड़ से ज्यादा के यात्री टिकट कैंसिल किए जा चुके हैं. इससे पहले इसी वर्ष जनवरी में भी RRB-NTPC एग्जाम के रिजल्ट को लेकर भी अभ्यर्थियों ने हिंसक विरोध-प्रदर्शन किया था. उस समय भी रेलवे को करोड़ों रुपए की संपत्ति के नुकसान का सामना करना पड़ा था.

एक कोच बनाने आता है 3.5 करोड़ रुपए का खर्च
प्रदर्शनकारी रेलवे की बोगियों को सेकेंडों में आग के हवाले कर देते हैं, लेकिन इन बोगियों को बनाने में महीनों लग जाते हैं और करोड़ों का खर्च आता है. रेलवे अफसरों के अनुसार ट्रेन की एक जनरल कोच बनाने में 80 लाख रुपए का खर्च आता है. वहीं, स्लीपर कोच में 1.25 करोड़ और एक एसी कोच के निर्माण में 3.5 करोड़ रुपए का खर्च आता है. वहीं, एक रेल इंजन बनाने में लगभग 20 करोड़ रुपए का खर्च आता है. इस हिसाब से अगर एक 12 बोगियों वाली ट्रेन की कीमत का आकलन किया जाए तो एक रेल गाड़ी की कीमत 40 करोड़ रुपए और 24 बोगियों वाली ट्रेन की कीमत लगभग 70 करोड़ रुपए बैठती है. ऐसे में एक ट्रेन के जलने से ही रेलवे को लगभग 70 करोड़ रुपए का नुकसान आता है. 

साल दर साल रेलवे को ऐसे हुआ नुकसान
रेल मंत्रालय की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2020-21 में रेलवे को कानून व्यवस्था बिगड़ने और विरोध प्रदर्शनों की वजह से  467.20 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा था. इनमें से 465 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान अकेले पंजाब में उठाना पड़ा था. इसकी मुख्य वजह किसान आंदोलन ही. वहीं, इससे पहले 2019-20 में रेलवे को 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा था. 

रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना है अपराध, हो सकती है 5 वर्ष तक की सजा
रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना रेलवे एक्ट 1989 की धारा 151 के तहत कानूनन अपराध है. ऐसा करने पर वाले को 5 साल तक की कैद की सजा हो सकती है. रेलवे एक्ट 1989 की धारा 151 के मुताबिक अगर कोई भी शख्स जानबूझकर रेलवे की किसी भी संपत्ति को आग लगाकर, विस्फोटक के जरिए या किसी भी तरीके से नुकसान पहुंचाता है तो ऐसा करने वाले को  5 साल कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है. 

रेलवे की इन संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने पर होगी सजा 
रेलवे एक्ट 1989 की धारा 151 में डिटेल के साथ लिखा गया है कि रेलवे की संपत्ति क्या-क्या है. इसके मुताबिक, रेलवे ट्रैक, ब्रिज, स्टेशन बिल्डिंग, कैरेज, लोकोमोटिव, सिग्नल सिस्टम, टेलीकम्युनिकेशन सिस्टम, इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन और ब्लॉक इंस्ट्रूमेंट्स रेलवे की संपत्तियां हैं. इनसे अलग केंद्र सरकार की वो सभी संपत्तियां, जो रेलवे के संचालन में सहायक है और जिनके नुकसान से रेलवे के संचालन में समस्या आ सकती है, वो भी रेलवे की संपत्ति मानी जाएगी.