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रेल रोको अभियान: ट्रेनें रोक यात्रियों की सेवा करेंगे किसान, बांटेंगे दूध, पानी और चने

राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों का रेल रोको अभियान पूरी तरह से शांतिपूर्ण होगा. इस दौरान यात्रियों की सेवा की जाएगी और उन्हें दूध, पानी और चने बांटे जाएंगे.

Updated on: 18 Feb 2021, 11:14 AM

highlights

  • किसानों का रेल रोको अभियान आज
  • दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक चलेगा अभियान
  • रेल रोक कर यात्रियों की सेवा करेंगे किसान

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन का आज 85वां दिन है. नए कानून के विरोध में किसान संगठन आज (गुरुवार) देशभर में रेल रोको अभियान चलाएंगे. किसानों का रेल रोको अभियान दोपहर 12 बजे से लेकर 4 बजे तक चलेगा. हालांकि, गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे किसान यहीं बैठे रहेंगे. रेल रोको अभियान के तहत पुलिस ने भी बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ा दी है. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने इस अभियान को लेकर कहा, "ट्रेन चल ही कहां रही है? एक-दो ही ट्रेन चल रही हैं. हम सरकार से ये भी कहेंगे कि ट्रेन और भी चलाओ. जनता दुखी हो रही है, सरकार ने बीते 8 महीनों से ट्रेनों को रोक रखा है. जो ट्रेन आएगी उन्हें रोक कर हम यात्रियों को पानी पिलाएंगे, फूल चढ़ाएंगे और बताएंगे कि हमारी क्या-क्या समस्याएं हैं."

जब ट्रेन रोकी जाएगी तो कहीं ऐसा तो नहीं कि यात्रियों से दुर्व्यवहार किया जाएगा? इस सवाल के जवाब में टिकैत ने कहा, "कौन करेगा दुर्व्यवहार? जो भी करेगा उन पर कार्रवाई की जाएगी. ट्रेन रोको अभियान शांतिपूर्ण होगा. यात्रियों को चने बांटेंगे, दूध और पानी पिलाएंगे." हालांकि किसान संगठन इस अभियान को सांकेतिक बता रहें हैं लेकिन पुलिस-प्रशासन व रेलवे ने इससे निपटने के लिए तैयारियां मुकम्मल कर ली हैं. वहीं सिंघु, टीकरी और अन्य उन जगहों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है, जहां प्रदर्शनकारी धरने पर बैठे हुए हैं.

जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक भी कह चुके हैं कि जिस समय ट्रैफिक सबसे कम होती है, उस समय हमने सड़क जाम किया और इसी प्रकार दिन में ट्रेन की ट्रैफिक कम होती है क्योंकि लंबी दूरी की ट्रेनें ज्यादातर रात में चलती हैं. रेल रोको अभियान से किसान संगठन का मकसद सरकार पर किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने के लिए दबाव बनाना है. बताते चलें कि केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसानों के आंदोलन को तीन महीने होने वाले हैं. दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डरों पर किसान सरकार के खिलाफ धरना दे रहे हैं और कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. इसके साथ ही किसानों की मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी दी जाए.