आयकर विभाग ने कथित कर चोरी के मामले में एक्सिस म्यूचुअल फंड के पूर्व मुख्य व्यापारी और फंड मैनेजर वीरेश जोशी के परिसरों पर छापेमारी की है।
शनिवार को छापेमारी की गई।
जोशी को मई में एक्सिस एसेट मैनेजमेंट कंपनी ने फ्रंट-रनिंग के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया था।
मई में मुंबई में एक लेम्बोर्गिनी और लक्जरी अपार्टमेंट की सूचना मिलने के बाद से जोशी आई-टी विभाग के रडार पर थे। आरोप लगाया गया कि जोशी ने यह सब कथित तौर पर फ्रंट-रनिंग के माध्यम से हासिल किया।
आईटी विभाग ने जोशी और कुछ अन्य ब्रॉकर्स के बयान दर्ज किए हैं। उनसे जुड़े परिसरों पर छापेमारी करने से पहले उन्होंने एसईबीआई से जानकारी जुटाई।
जोशी पर टिप्स शेयर करने के एवज में ब्रॉकर्स से रिश्वत लेने का आरोप लगा है। यह भी आरोप है कि ब्राकर्स उसे मासिक आधार पर भुगतान करते थे। जोशी ने कथित तौर पर ब्राकर्स और खुद को फायदा पहुंचाने के लिए कई मिडकैप और स्मॉलकैप शेयर खरीदकर म्यूचुअल फंड में निवेश किया।
एक्सिस म्यूचुअल फंड में कथित फ्रंट-रनिंग घोटाले की जांच के लिए आईटी विभाग ने मई में अपने कुलीन अधिकारियों की एक टीम बनाई थी। तब से जोशी समेत करीब 12 फंड मैनेजर आईटी विभाग के रडार पर थे।
आयकर विभाग ने बताया कि कथित आरोपियों ने टैक्स फाइलिंग में अपनी अचल संपत्ति के बारे में जानकारी नहीं दी थी, जिसका बाद में पता चला था।
आयकर विभाग ने अपनी प्रारंभिक जांच में पाया कि फंड मैनेजरों के पास कई वाणिज्यिक और गैर-वाणिज्यिक संपत्तियां थीं, जिन्हें उन्होंने अपनी टैक्स फाइलिंग में छुपाया हुए था। उन्होंने दिखाया कि वे अपनी अचल संपत्ति से कमाई नहीं कर रहे थे।
आईटी विभाग को पता चला है कि फंड मैनेजर अपनी संपत्तियों से किराया कमा रहे थे, जिस पर कर का भुगतान नहीं किया गया था। विभाग उनकी आय के स्रोत की भी जांच कर रहा है कि फंड मैनेजर कैसे शानदार अपार्टमेंट और अन्य संपत्तियां खरीदने में सक्षम थे।
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Source : IANS