राहुल गांधी चाहते थे रणदीप सुरजेवाला को राज्यसभा भेजना, ऐसे पलटा खेल
रणदीप सुरजेवाला की राज्यसभा के लिए दावेदारी ऐन वक्त पर रह गई. टिकट बंटवारे में दीपेन्द्र हुड्डा ने बाजी मार ली. हरियाणा की सीट के लिए चली खींचतान के कारण ही उम्मीदवारों के नाम का ऐलान होने में देर हुई.
नई दिल्ली:
राज्यसभा की सीटों को लेकर कांग्रेस में जबरदस्त खींचतान चल रही है. हर गुट अपनी दावेदारी को मजबूत बताने में जुटा है. कांग्रेस ने राज्यसभा की 55 रिक्त सीटों के लिए 12 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है. इसमें एक नाम जिसे लेकर सभी की नजरें टिकी हुई थी, वह गायब था. ये नाम था रणदीप सुरजेवाला का. हरियाणा की सीट पर रणदीप सुरजेवाला की जगह पूर्व मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पुत्र दीपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनाव मैदान में उतारा है.
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राहुल गांधी चाहते थे कि रणदीप सुरजेवाला को हरियाणा से राज्यसभा भेजा जाए. इसे लेकर कांग्रेस की बैठक में उन्होंने रणदीप सुरजेवाला का नाम भी आगे किया.
कुमारी शैलजा भी राज्यसभा की रेस में थी. सूत्रों के मुताबिक जब टिकट बंटवारे को लेकर 10 जनपथ में बैठक हुई तो राहुल गांधी काफी उग्र भी हुए. आखिर में टिकट दीपेंद्र हुड्डा को दे दिया गया.
हुड्डा ने दिलाई 2012 की याद
सूत्रों के मुताबिक जब टिकट बंटवारे को लेकर चर्चा की जा रही थी तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पार्टी हाईकमान को साल 2012 के राज्यसभा चुनाव की याद दिलाई, जब 12 विधायकों ने शीर्ष नेतृत्व के आदेश की अवहेलना की थी. हुड्डा ने यह साफ कर दिया कि यदि सुरजेवाला या कुमारी शैलजा में से किसी को उम्मीदवार बनाया जाता है, तो पार्टी के विधायक विद्रोह कर सकते हैं. उन्होंने 2016 के चुनाव का अतीत दोहराए जाने के खतरे की जानकारी दी.
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मध्य प्रदेश से लिया सबक
मध्य प्रदेश में बगावत से जूझ रही कांग्रेस फिलहाल कोई खतरा मोल लेना नहीं चाहती है. यहीं कारण है कि उसने भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के बेटे को ही उम्मीदवार बना दिया. गौरतलब है कि साल 2016 के राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस ने हरियाणा से आरके आनंद को उम्मीदवार बनाया था.
क्या हुआ था 2016 में?
साल 2016 के राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार आरके आनंद का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा से था. कांग्रेस के 12 विधायकों के वोट गलत इंक का उपयोग करने के कारण अमान्य हो गए. इससे सुभाष चंद्रा चुनाव जीतने में सफल रहे थे.
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