logo-image

ट्रैक्टर मार्च से पहले इस लोक देवता के मंदिर जाएंगे राहुल गांधी, जानिए क्या है वजह

तेजाजी अपने वचन के बहुत पक्के थे. वचन निभाने के लिए उन्होंने अपनी जान दे दी थी. लोक देवता तेजाजी का जन्म नागौर जिले के खरनाल गांव में एक किसान परिवार में 29 जनवरी 1074 को हुआ था.

Updated on: 13 Feb 2021, 03:31 PM

highlights

  • अब मंदिरों की शरण में पहुंचे राहुल गांधी
  • लोक देवता तेजाजी के मंदिर जाएंगे राहुल
  • टैक्टर रैली से पहले तेजाजी के दर्शन करेंगे राहुल

जयुपर:

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी आज रुपनगढ़ में ट्रेक्टर मार्च और किसान रैली से पहले किशनगढ़ के पास सुरसुरा गांव में लोक देवता तेजाजी के मंदिर जाएंगे. तेजाजी के आशीर्वाद के बाद ट्रैक्टर  मार्च की अगुवाई करेंगे. आइए आपको बताते हैं कि कहां है लोक देवता तेजाजी का मंदिर और सुरसुरा गांव और किसानों से तेजाजी का क्या संबध है. आपको बता दें कि तेजाजी को भगवान शिव का ग्याहरवां अवतार माना जाता है. राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में तेजाजी की पूजा की जाती है. जाट समुदाय तेजाजी को न सिर्फ अपना आराध्य, आदर्श भी मानता है.

तेजाजी अपने वचन के बहुत पक्के थे. वचन निभाने के लिए उन्होंने अपनी जान दे दी थी. लोक देवता तेजाजी का जन्म नागौर जिले के खरनाल गांव में एक किसान परिवार में 29 जनवरी 1074 को हुआ था. राहुल गांधी लोकदेवता तेजाजी के मंदिर में मत्था टेक कर राजस्थान से उत्तर प्रदेश तक जाट समुदाय का राजनीतिक आशीर्वाद पाने भी कोशिश करेंगे.

यह भी पढ़ेंःराहुल गांधी बोले- कैलाश रेंज में भारतीय सेना क्यों पीछे हट रही?

इस वजह से तेजा जी थे वचन पालक
तेजाजी को वचन पालक मानने के पीछे एक लोक मान्यता है. मान्यता के मुताबिक तेजाजी का ससुराल सुरसुरा के पास पनेर गांव में था. वे अपनी पत्नी पेमल को लेने के लिए ससुराल आए थे. इसी दौरान तेजाजी की मुलाकात लांछां गुजरी नाम की महिला से होती है. लांछा पेमल की सहेली थी. लांछा की गायों को लुटेरे उठा ले गए. वे तेजाजी से मदद मांगने पहुंचीं जिसके बाद तेजाजी ने लांछा को उसकी गाएं वापस दिलाने का वचन दे दिया. 

यह भी पढ़ेंःतेजिंदर पाल सिंह बग्गा राहुल गांधी के ट्वीट पर कहा- नेहरू इस देश का गद्दार था और रहेगा

गायों को छुड़ाने पहुंचे तेजा जी
लांछा की गायों को लुटेरों से छुड़ाने के लिए तेजाजी वचन देने के बाद  लुटेरों से गायेंं छुड़ाने जाते है तो रास्ते में एक नाग नागिन का जोड़ा आग में जल रहा होता है जिसे तेजाजी बचाते हैं लेकिन इसमें नागिन नहीं बच पाती जिसकी वजह से नाराज होकर नाग तेजाजी को डसना चाहता है लेकिन वो कहते हैं कि मुझे अभी मत डसो जब मैं लांछा की गायों को लुटेरों से छुड़ाकर उसे सौंप दूं तब मुझे डस लेना मैं तुम्हारे पास आ जाउंगा. 

यह भी पढ़ेंः BJP सांसद ने राहुल गांधी के खिलाफ लोकसभा में दिया विशेषाधिकार हनन का नोटिस

लुटरों से गायें छुड़ाने के बाद तेजाजी नाग के पास पहुंचे
नाग को वचन देकर एक बार फिर से तेजाजी लांछा की गायों को छुड़ाने के लिए लुटेरों से भिड़ने के लिए तेजा जी निकल पड़ते हैं. गायों को लुटेरों से संघर्ष के बाद तेजा जी उन पर विजय प्राप्त करते हैं और लांछा की गायें वापस लौटाने के बाद वो अपने वचन के मुताबिक एक बार फिर उसी नाग के सामने पहुंच जाते हैं. अपने लहू लुहान शरीर के साथ तेजाजी नाग के सामने अपनी जीभ बढ़ा देते हैं और नाग उन्हें डस लेता है जिसके बाद उनकी मौत हो जाती है.  ये  28 अगस्त 1103 का दिन था इसी दिन तेजाजी की सर्पदंश से सुरसुरा गांव में ही मौत हो जाती है जिसके बाद से अब हर साल उस दिन सुरसुरा में तेजाजी के धाम पर मेला लगता है. इस मंदिर को लेकर इसी वजह से किसान समुदाय में विशेष आस्था है.