सोहराबुद्दीन शेख और जज लोया को किसी ने नहीं मारा, वे बस मर गए : राहुल गांधी का कोर्ट के फैसले पर तंज
शुक्रवार को सोहराबुद्दीन शेख, तुलसीराम प्रजापति मुठभेड़ और कौसर बी दुष्कर्म व सनसनीखेज हत्या मामले में 12 साल बाद सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया.
नई दिल्ली:
सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले में सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिए जाने पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) की विशेष अदालत पर तंज कसा है और इस मामले से जुड़े अन्य और गुजरात में कई लोगों की हुई हत्याओं पर कहा कि इन्हें किसी ने नहीं मारा है. राहुल गांधी ने शनिवार को एक ट्वीट करते हुए कहा, 'इन्हें किसी ने नहीं मारा... हरेन पांड्या, तुलसीराम प्रजापति, जस्टिस लोया, प्रकाश थोंबड़े, श्रीकांत खांडेलकर, कौसर बी, सोहराबुद्दीन शेख. ये बस मर गए.' शुक्रवार को सोहराबुद्दीन शेख, तुलसीराम प्रजापति मुठभेड़ और कौसर बी दुष्कर्म व सनसनीखेज हत्या मामले में 12 साल बाद सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया था और कहा कि पेश किए गए गवाह और सबूत संतोषजनक नहीं थे.
विशेष अदालत के न्यायाधीश एसजे शर्मा ने कहा, '2005 के मुठभेड़ मामलों में साजिश और हत्या का जुर्म साबित करने के लिए पेश सबूत और गवाह संतोषजनक नहीं है. मामलों में परिस्थिजन्य साक्ष्य ठोस नहीं हैं.'
NO ONE KILLED...
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 22, 2018
Haren Pandya.
Tulsiram Prajapati.
Justice Loya.
Prakash Thombre.
Shrikant Khandalkar.
Kauser Bi.
Sohrabuddin Shiekh.
THEY JUST DIED.
विशेष न्यायाधीश एसजे शर्मा ने मामले में किसी को भी सजा न देने की अदालत की अक्षमता पर अफसोस भी जताया था. विशेष न्यायाधीश ने कहा, 'मैं सोहराबुद्दीन शेख के परिवार और तुलसीराम प्रजापति खासकर उनकी मां नर्मदाबाई के लिए काफी दुखी महसूस कर रहा हूं. मेरे समक्ष पेश साक्ष्य किसी भी आरोपी की भूमिका की पुष्टि नहीं करते और कोई भी भौतिक साक्ष्य (मेटेरियल इविडेंस) किसी भी आरोपी के विरुद्ध आरोप साबित नहीं करते.'
विशेष न्यायाधीश ने कहा, 'सीबीआई अभियोजन पक्ष ने मामले को साबित करने की पूरी कोशिश की. दुर्भाग्य से तीन आरोपपत्र के बाद भी, संदेह से परे मामले को साबित करने के लिए सबूत काफी नहीं थे. तीन जांचों के बाद भी सबूतों का अभाव था.'
सभी 22 आरोपी बरी
मामले में गुजरात-राजस्थान पुलिस के 21 निचले दर्जे के अधिकारियों सहित 22 आरोपियों को बरी कर दिया गया है. इनमें से 14 गुजरात से, 6 राजस्थान के और 1 आंध्रप्रदेश से थे.
इनलोगों के नाम एम.एल. परमार, रमन पटेल, नारायणसिंह धाबी, श्याम सिंह चरण, अब्दुर रहमान, हिमांशु सिंह राजावत, बालकृष्ण चौबे, अजय कुमार परमार, शांतिराम शर्मा, युद्धवीर सिंह, करतार सिंह, नारायण सिंह जाट, विजयकुमार राठौड़, सी.पी.श्रीनिवास राव, जेतुसिंह सोलंकी, किरण सिंह चौहान, विनोद लिंबाचिया, कांजीभाई कुच्छी, करण सिंह सिसोदिया, आशीष पांड्या और नरेश चौहान हैं.
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22वां आरोपी राजेंद्र कुमार जिरावाला था. जिरावाला अहमदाबाद के बाहरी इलाके में एक फार्महाउस का मालिक है, जहां कौसर बी की हत्या से पहले कथित रूप से उसे 4 दिन तक रखा गया था.
अभियोजन पक्ष की दलील
अभियोजन पक्ष के अनुसार, गुजरात के आतंकवाद-रोधी दल (एटीएस) ने 26 नवंबर, 2005 को सोहराबुद्दीन को कथित मुठभेड़ में मार गिराया था. प्रजापति भी इसी तरह के हालात में 28 दिसंबर, 2006 को मारा गया था. वहीं, कौसर बी जो अपने पति सोहराबुद्दीन के अपहरण की गवाह थी, उसकी दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी.
इन हत्याओं के कारण गुजरात में तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार विवादों में फंस गई थी, क्योंकि इसमें राजनीति सहित भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारियों और अन्य अधिकारियों के नाम शामिल थे. उस समय मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह राज्यमंत्री अमित शाह थे.
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अभियोजन पक्ष ने दलील दी थी कि सोहराबुद्दीन के लश्कर-ए-तैयबा और अन्य आतंकवादी समूहों के साथ संबंध थे और वह तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, जो अब प्रधानमंत्री हैं, की हत्या की साजिश रच रहा था. मुठभेड़ का आदेश तत्कालीन गृह राज्यमंत्री अमित शाह ने दिया था.
अमित शाह भी हुए थे बरी
इस मामले में पहले कुल 37 आरोपी थे. इनमें से 16 जिसमें अधिकांश राजनेता और आईपीएस अधिकारी थे, जिन्हें बाद में मुंबई में विशेष सीबीआई और उसके बाद बंबई हाई कोर्ट ने आरोपमुक्त कर दिया था.
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इस मामले में शुरुआत में बरी हुए लोगों में गुजरात के तत्कालीन गृह राज्यमंत्री अमित शाह (मौजूदा बीजेपी अध्यक्ष), राजस्थान के तत्कालीन गृहमंत्री जी.सी. कटारिया, उच्चस्तर के एटीएस अधिकारी व डीआईजी डी.जी. वंजारा, पुलिस अधीक्षक एम.एन. दिनेश और आर.के. पांड्या सहित अन्य शामिल थे.
इसी से जुड़े अमित शाह के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रहे जज एच एस लोया की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई थी. जज लोया की मौत के सच से पर्दा उठाने के लिए दायर की गई याचिकाओं को खारिज कर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जांच की जरूरत नहीं है.
(IANS इनपुट्स के साथ)
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