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कारोबारी घरानों के बैंक खोलने की सिफारिश पर राहुल गांधी ने उठाए सवाल, समझाई क्रोनोलॉजी

कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है. कारोबारी घरानों के बैंक खोलने की सिफारिश को लेकर राहुल गांधी ने कटाक्ष किया है.

Updated on: 24 Nov 2020, 10:56 AM

नई दिल्ली:

कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है. कारोबारी घरानों के बैंक खोलने की सिफारिश को लेकर राहुल गांधी ने कटाक्ष किया है. इसको लेकर कांग्रेस नेता ने क्रोनोलॉजी समझाते हुए कहा कि पहले बड़ी कंपनियों का कर्ज माफी, फिर उन कंपनियों को बड़े कर छूट और अब इन कंपनियों द्वारा बनाए गए बैंक में लोगों की सेविंग दे देना.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट करके कहा, 'क्रोनोलॉजी समझिए, पहले कुछ बड़ी कंपनियों के लिए कर्ज माफी होगी, फिर इन कंपनियों को टैक्स में छूट मिलेगी और अब उन्हीं कंपनियों द्वारा स्थापित बैंकों को सीधे लोगों की बचत दे दीजिए.' ट्वीट के आखिर में राहुल गांधी ने हैसटेग शूट बूट की सरकार लिखा.

दरअसल, रिजर्व बैंक के द्वारा गठित एक आंतरिक कार्य समूह (आईडब्ल्यूजी) ने पिछले सप्ताह कई सुझाव दिये थे. इन सुझावों में यह सिफारिश भी शामिल है कि बैंकिंग विनियमन अधिनियम में आवश्यक संशोधन करके बड़े कॉरपोरेट घरानों को बैंक शुरू करने का लाइसेंस दिया जा सकता है. बीते दिन रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने इसकी आलोचना की. उन्होंने कहा है कि कॉरपोरेट घरानों को बैंक स्थापित करने की मंजूरी देने की सिफारिश आज के हालात में चौंकाने वाली है. दोनों का मानना है कि बैंकिंग क्षेत्र में कारोबारी घरानों की संलिप्तता के बारे में अभी आजमायी गयी सीमाओं पर टिके रहना अधिक महत्वपूर्ण है.

राजन और आचार्य ने एक साझा आलेख में यह भी कहा कि इस प्रस्ताव को अभी छोड़ देना बेहतर है. आलेख में कहा गया है, 'जुड़ी हुई बैंकिंग का इतिहास बेहद त्रासद रहा है. जब बैंक का मालिक कर्जदार ही होगा, तो ऐसे में बैंक अच्छा ऋण कैसे दे पायेगा? जब एक स्वतंत्र व प्रतिबद्ध नियामक के पास दुनिया भर की सूचनाएं होती हैं, तब भी उसके लिये खराब कर्ज वितरण पर रोक लगाने के लिये हर कहीं नजर रख पाना मुश्किल होता है.'

आलेख में कार्य समूह के इसी प्रस्ताव की ओर इशारा करते हुए कहा गया कि बड़े पैमाने पर तकनीकी नियामकीय प्रावधानों को तार्किक बनाये जाने के बीच यह (कार्पोट घरानों को बैंक का लाइसेंस देने संबंधी सिफारिश) सबसे महत्वपूर्ण सुझाव चौंकाने वाला है. आलेख में कहा गया, 'इसमें प्रस्ताव किया गया है कि बड़े कॉरपोरेट घरानों को बैंकिंग क्षेत्र में उतरने की मंजूरी दी जाये. भले ही यह प्रस्ताव कई शर्तों के साथ है, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा करता है: ऐसा अभी क्यों?' यह आलेख रघुराम राजन के लिंक्डइन प्रोफाइल पर सोमवार को पोस्ट किया गया. इसमें कहा गया, आंतरिक कार्य समूह ने बैंकिंग अधिनियम 1949 में कई अहम संशोधन का सुझाव दिया है. इसका उद्देश्य बैंकिंग में कॉरपोरेट घरानों को घुसने की मंजूरी देने से पहले रिजर्व बैंक की शक्तियों को बढ़ाना है.