सोनिया गांधी की कांग्रेस में राहुल गांधी की एक नहीं चल रही है. अब उनकी वो हैसियत भी नहीं रही कि किसी को टिकट दिला पाएं. राज्यसभा चुनाव में राहुल गांधी अपने चहेते हरियाणा के नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला को टिकट दिलाना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने उनकी एक न सुनी. शुक्रवार को कांग्रेस ने राज्यसभा प्रत्याशियों की सूची का ऐलान किया, जिसे देखकर राहुल गांधी मन मसोसकर रह गए होंगे. कांग्रेस ने 12 उम्मीदवारों का ऐलान किया, जिसमें हरियाणा से रिक्त हो रही सीट पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा को मैदान में उतारा गया है, जबकि राहुल गांधी रणदीप सिंह सुरजेवाला को राज्यसभा भेजना चाहते थे.
यह भी पढ़ें : भारत के आगे नतमस्तक हुआ पाकिस्तान, पीएम नरेंद्र मोदी के प्रस्ताव पर जताई सहमति
राज्यसभा चुनाव के लिए हरियाणा से कुमारी शैलजा का नाम रेस में था. सूत्रों की मानें तो राज्यसभा चुनाव के प्रत्याशियों को चुने जाने को लेकर हुई बैठक में राहुल गांधी उग्र भी हुए, लेकिन अंत में बाजी हुड्डा के हाथ आई. हरियाणा की सीट के लिए चली खींचतान के चलते ही प्रत्याशियों की घोषणा होने में देरी हुई.
बैठक में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पार्टी हाईकमान को 2012 के राज्यसभा चुनाव की याद दिलाते हुए कहा, यदि सुरजेवाला या कुमारी शैलजा में से किसी को उम्मीदवार बनाया जाता है, तो विधायक विद्रोह कर सकते हैं. उन्होंने 2016 के चुनाव का अतीत दोहराए जाने के खतरे के बारे में भी बताया.
ज्योतिरादित्य सिंधिया के बगावत से परेशान पार्टी ने हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे को ही उम्मीदवार बनाना बेहतर समझा. इस तरह भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने बेटे को टिकट दिलाने में कामयाब हो गए.
यह भी पढ़ें : क्या 'गौमूत्र पार्टी' से थमेगा कोरोना वायरस का कहर, इस संगठन ने किया है आयोजन
2016 के राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार आरके आनंद का मुकाबला बीजेपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा से था. कांग्रेस के 12 विधायकों के वोट गलत इंक का उपयोग करने से अमान्य हो गए थे. इससे सुभाष चंद्रा चुनाव जीत गए थे.
Source : News Nation Bureau