राहुल गांधी आखिरकार कांग्रेस के नए प्रेसिडेंट चुन लिए गए है। राहुल गांधी की नियुक्ति के बाद उनकी पहली परीक्षा गुजरात चुनाव में होनी है जहां वह 22 साल से सत्ता से बाहर चल रही कांग्रेस की जमीन को मजबूत करने में जी-जान से जुटे हुए हैं।
ऐसा नहीं है राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद ही पार्टी के लिए बड़े फैसले ले पाएंगे। उपाध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस पार्टी और यूपीए सरकार के कई योजनाओं को लागू करवाने और बड़े फैसले लेने में राहुल गांधी ने पर्दे के पीछे से बेहद अहम भूमिका निभाई थी जिसमें मनरेगा, भूमि अधिग्रहण बिल, और अपराधी लोगों के चुनाव लड़ने पर रोक पर आए सरकार के अध्यादेश को फाड़ना शामिल हैं।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा)
साल 2006 में कांग्रेस की नेतृत्व वाली यूपीए सरकार गांव के गरीब लोगों को रोजगार देने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून लेकर आई थी।
माना जाता है कि इस योजना को बनाने और इसे लागू करवाने में राहुल गांधी ने बेहद अहम भूमिका निभाई थी।
राहुल गांधी चाहते थे कि गांव में रह रहे गरीब लोगों को बिना अपना घर-बार छोड़े गांव में ही कोई रोजगार मिले। राहुल गांधी के इस नजरिए को देखते हुए ही कांग्रेस पार्टी गरीबों के लिए यह रोजगार योजना लेकर आई थी।
भूमि अधिग्रहण बिल
साल 2013 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार किसानों और जमीन मालिकों की बेहतरी के लिए भूमि अधिग्रहण बिल लेकर आई थी। माना जाता है कि इस बिल को पास कराने में राहुल गांधी की बड़ी भूमिका थी।
उससे पहले यूपी के भट्टा परसौल में जमीन अधिग्रहण को लेकर किसानों के प्रदर्शन और वाजिब मांग को लेकर राहुल गांधी ने नया अधिग्रहण बिल लाने का सुझाव दिया था।
भट्टा परसौल में जमीन अधिग्रहण को लेकर हुई हिंसा में राहुल ने किसानों की मांग को जायज मानते हुए उनका साथ दिया था। नए भूमि अधिग्रहण नियम का मुख्य मकसद किसानों को सही मुआवजा और पुनर्वास उपलब्ध कराना था।
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दागियों के चुनाव लड़ने पर फाड़ा अपनी ही पार्टी का अध्यादेश
सुप्रीम कोर्ट ने दागी और मुकदमा चल रहे नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का फैसला लिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को पलटने के लिए मनमोहन सरकार साल 2013 में संसद में एक अध्यादेश लेकर आई थी। इस अध्यादेश को देखते ही राहुल गांधी प्रेस कॉन्फ्रेंस में आपा खो बैठे और उसे बकवास बताते हुए उसकी कॉपी को फाड़कर फेंक दिया।
राहुल गांधी के इस विरोध के बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने इस अध्यादेश को वापस ले लिया था। हालांकि इसे बाद में प्रधानमंत्री की बेइज्जती से भी जोड़कर देखा गया था जिसके बाद राहुल गांधी की आलोचना हुई थी।
महिला आरक्षण बिल को लागू कराने की कोशिश
राहुल गांधी महिला सशक्तिकरण के मुखर समर्थक रहे हैं। बतौर उपाध्यक्ष राहुल ने लोकसभा और राज्यों के विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण की वकालत की थी।
राहुल गांधी के दबाव में साल 2010 में कांग्रेस ने इस बिल को संसद में रखा और यह 9 मार्च 2010 को राज्यसभा से पास भी हो गया।
लेकिन यह बिल 2014 तक लोकसभा में अटकी रहा जिसके बाद हुए आम चुनाव में कांग्रेस की सत्ता ही चली गई। इसी वजह से ये बिल अभी तक पास नहीं हो पाया है। इस बिल को लाने में भी राहुल गांधी की ही भूमिका मानी जाती है।
सोनिया गांधी के 19 सालों तक कांग्रेस अध्यक्ष रहने के बाद अब कमान राहुल गांधी को पार्टी की कमान सौंपी गई है। कांग्रेस के नए अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए अब कांग्रेस के कम होते जनाधार और 50 सीटों से कम पर सिमट चुकी पार्टी को फिर से आगे लाने की जिम्मेदारी होगी।
राहुल गांधी की सबसे बड़ी परीक्षा साल 2019 में होने वाला लोकसभा चुनाव है जिसमें उनका सीधा मुकाबला नरेंद्र मोदी से होगा।
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HIGHLIGHTS
- राहुल गांधी को मिली कांग्रेस की कमान, भूमि अधिग्रहण बिल को लाने में दिया अहम योगदान
- ताजपोशी से पहले भी कांग्रेस में कई बड़े और अहम फैसले लेते आए हैं राहुल गांधी
Source : Kunal Kaushal