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कोविड से हुई मौतों पर मुआवजे को लेकर राहुल गांधी का मोदी सरकार पर हमला

राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश की खबर को सोशल मीडिया में शेयर करते हुए मोदी सरकार पर हमला बोला है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 महामारी से जान गंवाने वाले परिजनों को मुआवजा देने की बात कही है.

Updated on: 30 Jun 2021, 05:32 PM

नयी दिल्ली:

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश की खबर को सोशल मीडिया में शेयर करते हुए मोदी सरकार पर हमला बोला है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 महामारी से जान गंवाने वाले परिजनों को मुआवजा देने की बात कही है. राहुल गांधी ने ये खबर शेयर करते हुए ट्विटर पर लिखा है, सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को गलती सुधारने का एक और मौका दिया है. कम से कम अब केंद्र सरकार को कोविड से जान गंवाने वालों के परिजनों को मुआवजे की सही राशि तय करके दे देनी चाहिए.

आपको बता दें कि इसके पहले देश के सर्वोच्च न्यायालय ने देश में आई कोविड महामारी की वजह से जान गंवाने वाले परिजनों को मुआवजा देने के लिए केंद्र सरकार का रास्ता साफ कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को उसका संवैधानिक दायित्व याद दिलाते हुए एक अहम आदेश दिया है, कोविड से हुई मौतों के परिजनों को 4 लाख रुपयों का मुआवजा ही मिले ये जरूरी नहीं है लेकिन उन्हें मुआवजा जरूर देना होगा क्योंकि यह सरकार का संवैधानिक दायित्व है. सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली बेंच ने केंद्र सरकार को NDMA ऐक्ट की धारा-12 की याद दिलाते हुए कहा कि आपदा में मृत्यु पर मुआवजा दिए जाने का प्रावधान किया गया है जिसे पूरा करना सरकार का दायित्व है.

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की सरकार की दलील
आपको बता दें कि इसके पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दलील दी थी कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा-12 का प्रावधान अनिवार्य नहीं है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने एक सिरे से खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एनडीएमए अपनी गाइडलाइंस में कोविड से हुई मौतों में उनके परिजनों को न्यूनतम मुआवजा राशि देने की सिफारिश करे. सुप्रीम कोर्ट ने एनडीएमए को गाइडलाइंस तैयार करने का भी आदेश दिया है. 

धारा-12 की भावना पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया स्पष्टीकरण
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा-12 के तहत एनडीएमए की यह विधायी जिम्मेदारी बनती है कि वो गाइडलाइंस तैयार करे और राष्ट्रीय आपदा (महामारी) की स्थिति में पीड़ित परिवारों के लिए न्यूनतम मुआवजा राशि के लिए सिफारिश करे. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि धारा-12 में शैल (shall) शब्द का इस्तेमाल किया गया है और इसका मतलब अनिवार्य है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के लिए ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया कि वह अमुक मुआवजा राशि का भुगतान करे.