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राहुल गांधी को खुश नहीं रख सके कैप्टन, अंततः चुकाई कीमत

अमरिंदर सिंह और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के बीच झगड़ा तब शुरू हुआ, जब राहुल 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रताप सिंह बाजवा का समर्थन करना चाहते थे.

Updated on: 19 Sep 2021, 08:02 AM

highlights

  • राहुल गांधी ने कैप्टन को हटाने का मन बना लिया था
  • 2017 में प्रताप सिंह बाजवा को लेकर शुरू हुई टसल
  • नवजोत सिंह सिद्धू को फ्री हैंड ने कर दी कसर पूरी

नई दिल्ली:

ऐसा माना जा रहा है कि कैप्टन के कड़े विरोध के बावजूद जुलाई में प्रदेश पार्टी अध्यक्ष नियुक्त किए गए नवजोत सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के साथ अमरिंदर सिंह (Amrinder Singh) के बढ़ते हुए झगड़े से शुरू हुआ पंजाब में राजनीतिक संकट राहुल गांधी के इशारे पर आया. अमरिंदर सिंह और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के बीच झगड़ा तब शुरू हुआ, जब राहुल 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रताप सिंह बाजवा का समर्थन करना चाहते थे. हालांकि अमरिंदर खेमे के कड़े प्रतिरोध ने कांग्रेस को उन्हें मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में घोषित करने के लिए मजबूर किया. बाजवा को हालांकि राज्य कांग्रेस प्रमुख बनाया गया था, लेकिन राहुल गांधी और अमरिंदर सिंह के बीच समय-समय पर समस्याएं सामने आईं, क्योंकि पंजाब के सीएम राहुल गांधी के करीबी सहयोगियों के साथ तालमेल नहीं बिठा रहे थे. 

अमरिंदर सिंह ने कहा कि उन्हें एक या दो बार नहीं, बल्कि तीन बार अपमानित किया गया, जो उनके और राहुल गांधी के नेतृत्व वाली टीम के लिए एक ब्रेकिंग पॉइंट साबित हुआ. उन्होंने कहा कि वह 52 साल से राजनीति में हैं और 9.5 साल के मुख्यमंत्री के रूप में. चुनाव से महीनों पहले, कांग्रेस का जुआ उल्टा साबित हो सकता है, क्योंकि उन्हें लंबे समय से किसान आंदोलन और केंद्र सरकार का मुकाबला करने का श्रेय दिया जाता है. पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि भविष्य के विकल्प खुले हैं. उन्होंने कहा कि वह अपने समर्थकों से बात करेंगे, क्योंकि वह कांग्रेस पार्टी में अपमानित महसूस कर रहे हैं.

सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने कैप्टन को हटाने का मन बना लिया था. अमरिंदर सिंह के कड़े प्रतिरोध के बाद भी, नवजोत सिंह सिद्धू को राज्य पार्टी प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था और पर्दे के पीछे से कार्य को पूरा करने के लिए हरीश चौधरी थे, जो राजस्थान में राजस्व मंत्री हैं और पंजाब मामलों के सचिव हैं. हालांकि अमरिंदर सिंह ने हार नहीं मानी है और चुनाव के दौरान वह वापसी कर सकते हैं. साल 2014 के चुनावों में अरुण जेटली को हराने के बाद वह आसानी से झुकने वाले नहीं, बल्कि सख्त आदमी हैं, जैसा कि उनके बेटे रनिंदर ने संकेत दिया, 'मुख्यमंत्री के रूप में अपना इस्तीफा सौंपने गए अपने पिता के साथ मुझे राजभवन में जाने पर गर्व है. यह पंजाब और हमारे परिवार के मुखिया के रूप में उनकी एक नई शुरुआत की ओर ले जाता है.'

शनिवार को कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक से कुछ ही मिनट पहले, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह राज्यपाल के आवास पर पहुंचे और अपना और अपने मंत्रिपरिषद का इस्तीफा सौंप दिया और कहा, 'मैंने कांग्रेस अध्यक्ष से कहा कि मैं आज इस्तीफा दे दूंगा. क्या उन्हें संदेह है कि मैं सरकार नहीं चला सका, मैं खुद को अपमानित महसूस कर रहा हूं. उन्हें जिस पर भरोसा है, उसे मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है.' सके बाद कैप्टन ने खुलकर नवजोत सिंह सिद्धू पर निशाना साधा और उन्हें पंजाब के लिए डिजास्टर बताया. यही नहीं, वह एक बड़ा आरोप भी लगा गए कि सिद्धू के पाकिस्तान से गहरे संबंध हैं और यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता की बात है.