रघुराम राजन को पढ़ा चुके हैं ये, अब एमपी के गांवों में आदिवासियों को दे रहे हैं शिक्षा

जिस व्यक्ति ने आईआईटी दिल्ली से इंजीनियरिंग की हो और अमेरिका की मसहूर ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी से पीचएडी की हो और फिर आईआईटी दिल्ली में प्रोफेसर रहे तो उस व्यक्ति के बारे में हर कोई यही कहेगा कि शानौ शोकत की जिंदगी जी रहा होगा। लेकिन मामला इससे बिल्कुल उलट है। वह 32 सालों से सागर मध्यप्रदेश के बीहड़ों में समाज की सेवा में लगे हैं।

जिस व्यक्ति ने आईआईटी दिल्ली से इंजीनियरिंग की हो और अमेरिका की मसहूर ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी से पीचएडी की हो और फिर आईआईटी दिल्ली में प्रोफेसर रहे तो उस व्यक्ति के बारे में हर कोई यही कहेगा कि शानौ शोकत की जिंदगी जी रहा होगा। लेकिन मामला इससे बिल्कुल उलट है। वह 32 सालों से सागर मध्यप्रदेश के बीहड़ों में समाज की सेवा में लगे हैं।

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Jeevan Prakash
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रघुराम राजन को पढ़ा चुके हैं ये, अब एमपी के गांवों में आदिवासियों को दे रहे हैं शिक्षा

ये हैं आलोक सागर, जिन्‍होंने आईआईटी दिल्‍ली से इंजीनियरिंग करने के बाद अमेरिका की मशहूर ह्यूसटन यूनिवर्सिटी से पीएचडी की पढ़ाई की। लेकिन आज वे मध्‍य प्रदेश के छोटे से गांव में आदिवासी बच्‍चों को पढ़ा रहे हैं। आलोक आरबीआई के पूर्व गर्वनर रघुराम जी राजन को भी पढ़ा चुके हैं। 

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पिछले 26 सालों से आलोक मध्यप्रदेश के कोचामू गांव में रह रहे हैं। इस इलाके में सिर्फ एक प्राइमरी स्कूल है। इलाके में आलोक सागर ने 50,000 से ज्यादा पेड़ लगाए हैं।

कहां के रहने वाले हैं आलोक

आलोक सागर मूल रूप से दिल्ली के रहने वाले है। आलोक ने यहीं से साल 1973 में आई आई टी दिल्ली से इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की। आलोक ने 1977 में अमेरिका के टेक्सास की ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी से पीएचडी किया। पीएचडी के बाद दो साल अमेरिका में नौकरी भी की लेकिन उनका मन नहीं लगा। साल 1980-81 में आलोक भारत लौट आए। और आई आई टी दिल्ली में ही पढ़ाने लगे। इस दौरान रघुराम राजन भी उनके छात्र रहे।

साइकिल और तीन कुर्ते हैं उनकी संपत्ति

आलोक सागर के पास कुल कमाई में तीन कुर्ता और एक साइकिल है। वे जिस घर में रह रहे हैं, उसमें दरवाजे तक नहीं हैं।

सुखी संपन्न परिवार से हैं आलोक

एक संभ्रान्त परिवार से ताल्लुक रखने वाले आलोक सागर के छोटे भाई आज भी आईआईटी में प्रोफेसर हैं। उनकी मां मिरंडा हाउस में फिजिक्स की प्रोफेसर थीं और पिता इंडियन रेवेन्यू सर्विस में अधिकारी थे। आलोक का दिन बीजों को जमा करने और आदिवासियों के बीच उसे बांटने में बीतता है तथा श्रमिक आदिवासी संगठन से जुड़े हैं । आलोक कई आदिवासी भाषाएं जानते हैं।

Source : News Nation Bureau

IIT Delhi Raghuram Rajan Alok Sagar
      
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