Rajyasabha में बोले राघव चड्ढा: ...काश ये सुविधा देश के आम आदमी के पास भी होती
Raghav Chadha in RajyaSabha: राज्यसभा में केंद्र सरकार ने अनुपूरक बजट पेश किया है. जिसपर चर्चा हुई. इस चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने जोरदार तरीके से अपनी बात रखी. उन्होंने सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि...
highlights
- सरकार ने पेश किया अनुपूरक बजट
- राघव चड्ढा ने सरकार पर साधा निशाना
- दो बार बजट पर चर्चा करने की मांग
नई दिल्ली:
Raghav Chadha in RajyaSabha: राज्यसभा में केंद्र सरकार ने अनुपूरक बजट पेश किया है. जिसपर चर्चा हुई. इस चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने जोरदार तरीके से अपनी बात रखी. उन्होंने सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि जैसे सरकारें पैसा खत्म होने पर सदन में अनुपूरक बजट के लिए आ जाती हैं, काश ये सुविधा आम लोगों को होती. राघव चड्ढा ने कहा कि सरकार ने जितना बजट आम बजट पेश किया था, उन पैसों कहां खर्च किया, इसका हिसाब किया जाना जरूरी है. इसके अलावा उन्होंने सुझाव किया कि संसद में साल में सिर्फ एक बार नहीं, बल्कि दो बार बजट पर चर्चा होनी चाहिए.
आखिर सरकार को अतिरिक्त पैसों की जरूरत पड़ी ही क्यों?
राज्यसभा में राघव चड्ढा ने कहा कि वित्तीय वर्ष की शुरुआत में सरकार को जितना खर्च आबंटित किया गया था, वो सारा पैसा खर्च करने के बाद आज अतिरिक्त पैसा मांगने सरकारें सदन में आई हैं. काश ये सुविधा देश के आम लोगों को भी होती, जो महीने की 25 तारीख को अपना बटुआ खाली देख एक तारीख के आने का इंतजार करता है. राघव चड्ढा ने कहा कि ग्रांट की मांग दो चीजें दिखाती है. सरकार को ज्यादा पैसों की जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि वित्तीय वर्ष की शुरुआत में जो बजट आया था, सरकार ने उस समय खर्चों को अंडर-एस्टिमेट किया था. ताकि वित्तीय घाटे का सौंदर्यीकरण करके उसे कम दिखाया जाए. इससे कम सवालों का सामना करना पड़ेगा. अगर ऐसी बात नहीं है, तो दूसरी बात ये है कि सरकार ने अपने बजट को मिसमैनेज कर दिया. तभी सरकार को अतिरिक्त पैसों की जरूरत पड़ रही है. अतिरिक्त पैसों के लिए सरकार सदन के सामने आई है, उसपर चर्चा होगी. लेकिन चर्चा दो अन्य बातों के लिए भी होनी चाहिए.
पहला-वित्तीय वर्ष की शुरुआत में 40 लाख करोड़ का भारी भरकम बजट जो सदन ने मंजूर किया था, उसे सरकार ने खर्च करके क्या हासिल किया. क्योंकि आर्थिक संस्थाएं बता रही हैं कि देश आर्थिक संकट में है.
दूसरा-आज से दो-तीन महीने बाद यहां से 100 मीटर दूर नॉर्थ ब्लॉक में, जहां आने वाली वित्तीय वर्ष का बजट बन रहा है. ऐसे में मैं चाहता हूं कि आज की बहस आने वाले वित्तीय वर्ष के बजट के लिए नींव की तरह काम करे.
साल में दो बार हो बजट पर चर्चा
राघव चड्ढा ने सदन को सुझाव भी दिए. उन्होंने कहा कि हम सारे लोग बजट पर चर्चा उसी समय करते हैं, जब बजट प्रस्तुत किया जाता है. हमें सदन में दो बार बजट पर चर्चा करनी चाहिए. पहली बार बजट के प्रस्तुत होने पर. और दूसरी बार 7-8 महीने के बाद सदन के शीतकालीन सत्र में, ताकि हमें पता चले कि उस बजट से देश को हासिल क्या हुआ. कितनी नौकरियां मिलीं, क्या बेरोजगारी की दर है, क्या महंगाई की दर है. आज सरकार 3 लाख 25 हजार 757 करोड़ मांगने इस सदन के भीतर आई है. इस पर हमें गहन चर्चा की जरूरत है.
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