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राफेल मामले पर मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट के क्‍लीनचिट पर राहुल गांधी का वार

राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर उच्चतम न्यायालय की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार को दी गई क्लिनचिट के खिलाफ पुनर्विचार याचिका भी गुरुवार को भले ही न्यायालय ने खारिज कर दी है लेकिन कांग्रेस इसे अपनी जीत बता रही है.

नई दिल्‍ली:

राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर उच्चतम न्यायालय की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार को दी गई क्लिनचिट के खिलाफ पुनर्विचार याचिका भी गुरुवार को भले ही न्यायालय ने खारिज कर दी है लेकिन कांग्रेस इसे अपनी जीत बता रही है. कांग्रेस के अपने इस दावे के पीछे तर्क भी हैं. पार्टी के पूर्व अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय पर एक ट्वीट करते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जोसेफ ने RAFALE घोटाले की जांच का एक बड़ा दरवाजा खोल दिया है. एक जांच अब पूरी गंभीरता से शुरू होनी चाहिए. इस घोटाले की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का गठन भी किया जाना चाहिए.

हालांकि इसको लेकर बीजेपी ने जहां कांग्रेस से माफी मांगने को कहा है वहीं कांग्रेस के प्रवक्‍ता रणदीप सुरजेवाला ने फिर हमरा बोला है. प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में सुरजेवाला ने कहा कि..

आज उच्चतम न्यायालय ने फिर कांग्रेस की उस दलील पर मुहर लगा दी कि सुप्रीम कोर्ट के संविधान के अनुच्छेद 32 में सीमित अधिकार हैं और इसलिए सुप्रीम कोर्ट राफेल मामले की जांच नहीं कर सकती. इसलिए कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट नहीं गई थी. आज सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि उनके हाथ संविधान की मर्यादाओं और अधिकारों की वजह से बंधे हो सकते हैं, मगर किसी निष्पक्ष एजेंसी द्वारा की जाने वाली जांच के हाथ नहीं बंधे हैं, वो हो सकती है.

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आज भाजपा के लिए जश्न के ढ़ोल बजाने का दिन नहीं, संज़ीदगी से जाँच स्वीकार करने का दिन है. अपने आकाओं को जांच से कैसे बचाओगे? पिछले 5 साल में हर मामले का बिना विश्लेषण किए जश्न मनाने की भाजपा को बुरी आदत पड़ गई है. आज राफेल मामले में भाजपा नेताओं की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका में निर्णय से जीत के जश्न का नहीं, एक व्यापक आपराधिक जांच का रास्ता खोल दिया है.

सुरजेवाला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से तीन बातें स्पष्ट हैं

  1. अनुच्छेद 32 में सीमित अधिकारों के तहत सुप्रीम कोर्ट को कीमत में हेराफेरी, अनुबंध का विवरण, तकनीकी विशेषताएं और शक्यता देखने का अधिकार नहीं है. आज के निर्णय के पैरा 19, 67, 73 में ये बात कही है
  2. सुप्रीम कोर्ट ने आज फिर कहा कि पुलिस और सीबीआई सहित कोई भी स्वतंत्र एजेंसी इस मामले की जांच कर सकती है, बगैर उन पाबंदियों और दायरों के जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट ऐसा नहीं कर सकती. ये उन्होंने निर्णय के पैरा 73 और 86 में पुनः कहा है
  3. सुप्रीम कोर्ट ने आज एक रास्ता और खोल दिया. उन्होंने कहा है कि 14 दिसंबर 2018 और आज का उनका निर्णय किसी स्वतंत्र जांच या सीबीआई/पुलिस की तफ़्तीश में कोई अड़चन नहीं है