राफेल विवाद : ओलांद के बयान से फ्रांस, दसॉल्ट एविएशन का किनारा, पढ़ें फ्रांस सरकार का बयान
एक फ्रांसीसी वेबसाइट ने एक लेख में ओलांद के हवाले से कहा था कि भारत सरकार ने फ्रांस सरकार से रिलायंस डिफेंस को इस सौदे के लिए भारतीय साझीदार के रूप में नामित करने के लिए कहा था.
नई दिल्ली:
राफेल सौदे को लेकर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बयान के बाद फ्रांस सरकार और दसॉल्ट एविएशन का बयान विरोधाभासी बयान सामने आया है. फ्रांस सरकार ने यह बयान शुक्रवार रात पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के उस बयान के बाद जारी किया, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि भारत सरकार ने राफेल सौदे के लिए एक निजी कंपनी का नाम सुझाया था.
एक फ्रांसीसी वेबसाइट ने एक लेख में ओलांद के हवाले से कहा था कि भारत सरकार ने फ्रांस सरकार से रिलायंस डिफेंस को इस सौदे के लिए भारतीय साझीदार के रूप में नामित करने के लिए कहा था.
ओलांद ने कहा था, 'हमारे पास कोई विकल्प नहीं था. भारत सरकार ने यह नाम (रिलायंस डिफेंस) सुझाया था और दसॉल्ट ने अंबानी से बात की थी.'
इस दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए शुक्रवार रात जारी बयान में कहा गया, 'इस सौदे के लिए भारतीय औद्योगिक साझेदारों को चुनने में फ्रांस सरकार की कोई भूमिका नहीं थी.'
केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने फ्रांस सरकार और दसॉल्ट एविएशन की ओर से जारी बयान को ट्वीट कर कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि आखिरकार सरकार के खिलाफ फैलाए जा रहे झूठ का पर्दाफाश।
Nailing the lie on its head – misinformation about #RafaelDeal #Dassault being called out by the French Govt.@BJP4India @BJP4Karnataka pic.twitter.com/8mGuD9uVit
— Ananthkumar (@AnanthKumar_BJP) September 22, 2018
और पढ़ें: राफेल डील पर घमासान, पी चिदंबरम ने बोला हमला, बचाव में आई फ्रांस सरकार
बयान में आगे कहा गया कि भारतीय अधिग्रहण प्रक्रिया के अनुसार, फ्रांस की कंपनी को पूरी छूट है कि वह जिस भी भारतीय साझेदार कंपनी को उपयुक्त समझे उसे चुने, फिर उस ऑफसेट परियोजना की मंजूरी के लिए भारत सरकार के पास भेजे, जिसे वह भारत में अपने स्थानीय साझेदारों के साथ अमल में लाना चाहते हैं ताकि वे इस समझौते की शर्ते पूरी कर सके.
फ्रांस की कंपनियों के पास भारतीय साझीदारों को चुनने की पूरी स्वंतत्रता है, जिन्हें वे सबसे उपयुक्त समझते हैं, फिर भारतीय सरकार की मंजूरी के लिए पेश कर सकते हैं, जिनके साथ भारत में वे संचालन करने की इच्छा रखते हैं.
राफेल विमानों के निर्माता दसॉल्ट एविएशन ने भी शुक्रवार रात अपने बयान में कहा कि दसॉल्ट एविएशन ने भारत के रिलायंस ग्रुप के साथ साझीदारी करने का फैसला किया था. यह दसॉल्ट एविएशन का फैसला था.
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फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की घोषणा 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी और 2016 में सौदे पर हस्ताक्षर हुआ था.
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