शांति वार्ताकार आर.एन. रवि के इस्तीफे के अगले दिन केंद्र ने नगा मुद्दे के हल के लिए के लिए लंबे समय से चले आ रहे समाधान का पता लगाने के लिए नगा गुटों के साथ बातचीत फिर से शुरू कर दी है। पूर्व विशेष निदेशक, आईबी, ए.के. मिश्रा आने वाले दिनों में बातचीत को आगे बढ़ाएंगे।
मिश्रा को इस साल अप्रैल में सेवानिवृत्त होने के बाद गृह मंत्रालय का सलाहकार नियुक्त किया गया था और उन्होंने रवि का स्थान लिया है। पता चला कि पिछले रविवार को मिश्रा ने इंटेलिजेंस ब्यूरो के प्रमुख अरविंद कुमार के साथ नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम-इसाक-मुइवा के नेता टी. मुइवा और नगा नेशनल पॉलिटिकल ग्रुप्स (एनएनपीजी) के अन्य नेताओं से दीमापुर में मुलाकात की थी और उन्होंने शांति प्रक्रिया के लिए जल्द ही अनौपचारिक दौर की बातचीत शुरू किए जाने का संकेत दिया।
सुरक्षा व्यवस्था के सूत्रों ने कहा कि बहुत जल्द मिश्रा मुइवा और एनएनपीजी के नेताओं से फिर मुलाकात करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि अलग संविधान और झंडे के मुद्दे पर उन्हें राजी करना केंद्र के प्रतिनिधि के लिए एक वास्तविक चुनौती होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने असम के मुख्यमंत्री और भाजपा के नेतृत्व वाले नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) के संयोजक हिमंत बिस्वा सरमा को भी शांति प्रक्रिया में लाया है और वह नगालैंड के समकक्ष नीफियू रियो सहित मुइवा से भी मुलाकात करेंगे।
सरमा के शांति प्रक्रिया के अन्य हितधारकों और एनएनपीजी के नेताओं से भी मिलने की उम्मीद है।
राजस्थान कैडर के 1987 बैच के सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी मिश्रा ने कहा है कि उन्होंने असम के कार्बी-आंगलोंग जिले में स्थित आतंकवादी समूहों के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने और नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड-निकी समूह के साथ संघर्ष विराम समझौते में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
रवि और नगा समूहों के बीच भारी विश्वास की कमी ने 2020 की शुरुआत में शांति प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न की, जब मुइवा ने 2015 में हस्ताक्षरित रूपरेखा समझौते पर विवाद के बाद उनके साथ कोई बातचीत करने से इनकार कर दिया। रवि केरल कैडर के एक आईपीएस 1976 बैच के अधिकारी थे। 2012 में इंटेलिजेंस ब्यूरो में विशेष निदेशक और उनकी सेवानिवृत्ति के बाद, उन्हें 2014 में नागा शांति वार्ता पर सरकारी वातार्कार के रूप में नियुक्त किया गया था और 2015 में उन्होंने 3 अगस्त, 2015 को केंद्र की ओर से एक रूपरेखा समझौते पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए।
2019 में मुइवा के विरोध के बावजूद उन्हें वार्ताकार की जिम्मेदारी के साथ नगालैंड का राज्यपाल बनाया गया था।
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Source : IANS