प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 100 वर्षो में गीता प्रेस के द्वारा करोड़ों किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। यह संख्या किसी को भी हैरान कर सकती है। यहां प्रकाशित पुस्तकें लागत से भी कम मूल्य पर बिकती हैं तथा घर घर पहुचांई जाती हैं। इस विद्या प्रवाह में कितने लोगों को आध्यात्मिक व वौद्धिक तृप्ति होती होगी, इसने समाज के लिये कितने ही समर्पित नागरिको का निर्माण किया होगा।
पीएम मोदी शुक्रवार दोपहर बाद धार्मिक, आध्यात्मिक पुस्तकों के प्रकाशन की विश्व प्रसिद्ध संस्था गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष समापन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि गीता प्रेस जैसी संस्था सिर्फ धर्म व कर्म से ही नहीं जुड़ी है बल्कि इसका एक राष्ट्रीय चरित्र भी है। गीता प्रेस भारत को जोड़ती है। भारत की एकजुटता को सशक्त करती है। देश भर में इसकी 20 शाखाएं हैं। देश के हर कोने में रेलवे स्टेशनों पर गीता प्रेस का स्टाल देखने को मिलता है। 15 अलग अलग भाषाओं में यहां से करीब 1600 प्रकाशन होते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गीता प्रेस अलग अलग भाषाओं में भारत के मूल चितंन को जन जन तक पहुंचाती है। गीता एक तरह से एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को प्रतिनिधित्व देती है। गीता प्रेस ने अपने 100 वर्षो की यह यात्रा एक ऐसे समय में पूरी की है जब देश अपनी आजादी का 75वां वर्ष मना रहा है। इस तरह के योग केवल संयोग नही होते। 1947 के पहले भारत में निरंतर अपने पुनर्जागरण के लिये अलग अलग क्षेत्रों में प्रयास किये। अलग अलग संस्थाओं ने भारत की आत्मा को जगाने के लिये आकार लिया। इसी का परिणाम है था कि 1947 आते आते भारत मन और मानस से गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने के लिये पूरी तरह तैयार हुआ। गीता प्रेस की स्थापना भी उसका एक बहुत बड़ा आधार बना।
पीएम मोदी ने कहा कि 100 साल पहले का ऐसा समय जब सदियों की गुलामी ने भारत की चेतना को धूमिल कर दिया था। इससे भी सैकड़ों साल पहले विदेशी आक्रांताओं ने हमारे पुस्तकालयों को जलाया था। अंग्रेजों के दौर में गुरुकुल और गुरु परम्परा लगभग नष्ट कर दी गयी थी। ऐसे में स्वाभाविक था कि ज्ञान और विरासत लुप्त होने की कगार पर थी। हमारे पूज्य ग्रंथ गायब होने लगे थे। उस समय जो प्रिन्टिस प्रेस थे, वे महंगी कीमत के कराण सामान्य मानवीय पहुंच से बहुत दूर थे। गीता और रामायण के बिना हमारा समाज कैसे चल रहा होगा। जब मूल्यों और आदर्शों के स्रोत सूखने लगे तो समाज का प्रवाह अपने आप थमने लगता है।
उन्होंने कहा कि भारत मे कितने बार अधर्म और आतंक बलवान हुआ। सत्य पर संकट के बादल मंडराए। लेकिन हर संकट में भगवतगीता से सबसे बड़ा विश्वास मिलता है। यदा यदा ही धर्मस्य का उद्धरण देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जब जब सत्य व धर्म पर संकट आता है तब तब ईश्वर उसकी रक्षा के लिए प्रकट होते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम आजादी के 75वें साल में भी नौसेना के झण्डे पर गुलामी के प्रतीक चिन्ह को ढो रहे थे। राजधानी दिल्ली में भारतीय संसद के बगल में अंग्रेजी परम्परा कायम थी। हमने पूरे विश्वास के साथ इन्हे बदलने का कार्य किया। धरोहरों को और भारतीय विचारों की पुनर्प्रतिष्ठा हो रही है। उन्हें वह स्थान दिया जा रहा है जो उन्हें मिलना चाहिए। अब भारतीय नौसेना के झण्डे पर छात्रपति शिवाजी महराज के समय का निशान दिखाई दे रहा है। अब गुलामी की दौर का राजपथ कर्तव्यपथ बनकर कर्तव्य भाव की प्रेरणा दे रहा है। आज देश की जन जातीय परम्परा का सम्मान करने के लिए देश भर में जन जातीय स्वतंत्रता सेनानी म्यूजियम बनाये जा रहे हैं। हमारी जो पवित्र प्राचीन मूर्तियां चोरी कर के देश के बाहर भेज दी गयी थीं, वह भी अब वापस हमारे देश में आ रही हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि जो विकसित और आध्यात्मिक विचार हमारे मनीषियों ने दिया है, आज हम उसे सार्थक होता हुआ देख रहे हैं। विश्वास है कि संतो, ऋषियों, मुनियों की आध्यात्मिक साधना भारत के सर्वांगीण विकास को उर्जा देती रहेगी। इस ऊर्जा से एक नये भारत का निर्माण होगा और विश्व कल्याण की भावनाएं सबल होंगी। गीता प्रेस न केवल धार्मिक-आध्यात्मिक पुस्तकों के प्रकाशन की विश्व प्रतिष्ठित संस्था है बल्कि इसकी ख्याति इसके अनूठे लीलाचित्र मंदिर के लिए भी है।
गीता प्रेस आगमन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वप्रथम राज्यपाल आनंदी बेन पटेल व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ लीलाचित्र मंदिर का अवलोकन किया। लीलाचित्र मंदिर की दीवारों पर श्रीमद्भागवत गीता के 18 अध्यायों के श्लोक संगमरमर पर लिखे हुए हैं। साथ ही देवी-देवताओं के सैकडों चित्र हैं। गोस्वामी तुलसीदास, संत कबीर और दादू के दोहों का अंकन भी मंदिर में किया गया है। इन सबका अवलोकन कर प्रधानमंत्री भाव विभोर हो गए।
कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रधानमंत्री के गीता प्रेस आगमन के साथ ही ऋषिकुल ब्रह्मचर्य आश्रम चुरू राजस्थान में गीता प्रेस की तरफ से संचालित गुरुकुल (वेद विद्यालय) से आए सात वेदपाठी बालकों ने स्वस्तिवाचन कर उनका मंगलमय अभिनंदन किया। स्वस्तिवाचन और श्रीमदभगवतगीता के श्लोकों का पाठ पीएम मोदी के मंच पर पहुंचने तक जारी रहा। स्वस्तिवाचन एवं श्लोक पाठ में एक नन्ही बालिका भी सम्मिलित रही।
समारोह स्थल के मंच पर गीता प्रेस के ट्रस्टी देवीदयाल अग्रवाल ने पीएम का स्वागत करते हुए गीता प्रेस के बारे में विस्तार से जानकारी दी। ट्रस्ट की तरफ से प्रधानमंत्री, राज्यपाल व मुख्यमंत्री को उत्तरीय व स्मृति चिन्ह प्रदान कर स्वागत किया। मंच पर पीएम, राज्यपाल, सीएम के अलावा सांसद रविकिशन शुक्ल, गीता प्रेस ट्रस्ट बोर्ड के चेयरमैन केशवराम अग्रवाल, महासचिव विष्णु प्रसाद चांदगोठिया,बैजनाथ अग्रवाल मौजूद रहे।
संचालन गीता प्रेस में मैनेजर लालमणि तिवारी ने किया।
गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष के समापन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यपाल आनंदी बेन पटेल व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ आर्ट पेपर पर मुद्रित शिव महापुराण के विशिष्ट रंगीन चित्रमय अंक तथा नेपाली भाषा में प्रकाशित शिव महापुराण का विमोचन किया। रंगीन चित्रमय शिव महापुराण में 225 चित्र भी समाहित हैं जबकि नेपाली भाषा में अनुवादित शिव महापुराण दो खंडों में है।
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Source : IANS