सार्क समिट पर मंडरा रहा खतरा, बैठक को लेकर UN में कोई चर्चा नही
दक्षिण एशियाई देशों की सालाना होने वाली बैठक 'सार्क सम्मेलन' पर लगातार दूसरे साल संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
highlights
- 'सार्क सम्मेलन' पर लगातार दूसरे साल संकट के बादल
- 2016 सार्क सम्मेलन की मेजबानी करने वाला था पाकिस्तान
नई दिल्ली:
दक्षिण एशियाई देशों की सालाना होने वाली बैठक 'सार्क सम्मेलन' पर लगातार दूसरे साल संकट के बादल मंडरा रहे हैं। 2016 सार्क सम्मेलन की मेजबानी पाकिस्तान करने वाला था लेकिन पाक द्वारा आतंक का समर्थन करने की बात पर भारत, बांग्लादेश और अफगानिस्तान ने सम्मेलन से अपना हाथ पीछे खींच लिया था।
इस साल भी अब तक इस सम्मेलन को लेकर कोई चर्चा नहीं हो रही है। आम तौर पर दक्षिण एशियाई देशों की सालाना बैठक सार्क सम्मेलन नवंबर में होती हैं।
इससे पहले न्यू यॉर्क में यूनाइटेड नेशन की जनरल असेंबली से अलग भी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सार्क देशों के विदेश मंत्रियों से मुलाकात की। इस दौरान सार्क सम्मेलन को लेकर भारत की तरफ से कोई चर्चा नहीं हुई। ऐसे में इस सम्मेलन का महत्व कम हो रहा है क्योंकि भारत इसमें अहम रोल निभाता है।
यह भी पढ़ें: सुषमा की पाक को दो टूक, कहा- किसी भी रुप में आतंकवाद स्वीकार नहीं
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपनी स्पीच में आतंकी संगठनों को लेकर पाक को खरी-खरी सुनाई। उन्होंने कहा कि आतंकी संगठनों को दूसरे देश मदद दे रहे हैं।
कुमार ने कहा कि पाकिस्तान के लिये यह बहुत सख्त संदेश है कि वह आतंकवाद को स्टेट पॉलिसी के हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना बंद करे। जिन संगठनों को यूएन ने आतंकी संगठन माना है, उन्हें पनाह न दे।
यूएन में भाषण से अलग सुषमा स्वराज ने BRICS, IBSA, SAARC और इंडिया-CELAC के लीडरों के साथ मल्टिलैटरल मीटिंग्स की। सभी फोरम पर पाकिस्तान की घेराबंदी की गई।
यह भी पढ़ें: सुषमा और टिलरसन ने की द्विपक्षीय बैठक, आतंकवाद और एच1बी वीजा का उठाया मुद्दा
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