एनपीए के समाधान के लिए सरकार कर रही है हरसंभव उपाय: जेटली

वित्त मंत्री ने इस बात का जिक्र किया कि जब निजी निवेश निराशाजनक था उस समय सार्वजनिक निवेश की बदौलत देश का विकास दर लगातार सात फीसदी रही।

वित्त मंत्री ने इस बात का जिक्र किया कि जब निजी निवेश निराशाजनक था उस समय सार्वजनिक निवेश की बदौलत देश का विकास दर लगातार सात फीसदी रही।

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Deepak Kumar
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एनपीए के समाधान के लिए सरकार कर रही है हरसंभव उपाय: जेटली

अरुण जेटली (पीटीआई)

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि बैंकों के बैड लोन अर्थात फंसे हुए कर्ज के मसले का समाधान करने की दिशा में सरकार सभी संभव संसाधनों को जुटा रही है।

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वित्त मंत्री ने इस बात का जिक्र किया कि जब निजी निवेश निराशाजनक था उस समय सार्वजनिक निवेश की बदौलत देश का विकास दर लगातार सात फीसदी रही।

अर्थव्यवस्था की दशा को लेकर राज्यसभा में कुछ देर बहस में हिस्सा लेते हुए जेटली ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार में तेजी के दौरान बिना सोचे-समझे बैंको की ओर से कर्ज प्रदान किए गए, जिसके चलते बैंकिग सिस्टम में भारी परिमाण में नॉन-परफॉर्मिग एसेट्स (एनपीए) अर्थात डूबे हुए कर्ज की स्थिति पैदा हुई। 

उन्होंने कहा, 'जहां तक बैंकिंग सिस्टम का सवाल है, हम अपने सभी संसाधनों को इसमें (एनपीए मद) में लगाने की कोशिश कर रहे हैं। उद्योग की ओर से बैंक को भुगतान नहीं किया जा रहा है इसलिए यह बेलआउट यानी आर्थिक मदद जो हम करदाताओं के पैसे से कर रहे हैं वह आदर्श स्थिति नहीं है।'

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सरकार की ओर से अक्टूबर में सरकारी क्षेत्र के बैंकों के लिए 2.12 लाख करोड़ रुपये के रिकैपिटलाइजेशन को मंजूरी देने का जिक्र करते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि इसका उद्देश्य यह है कि आर्थिक विकास को गति प्रदान करने की दिशा में बैंकों की क्षमता एनपीए के कारण प्रभावित न हो क्योंकि सभी बैंकों का कुल एनपीए 7.5 लाख करोड़ से ज्यादा हो गया है, जोकि एक हैरान करने वाला स्तर है। 

उन्होंने कहा, 'समुचित जोखिम प्रबंधन के बगैर लापरवाही से बांटे गए कर्ज से आर्थिक विकास को सहारा देने की बैंक की क्षमता प्रभावित हुई है।' उनका कहना था कि निजी निवेश में कमी भी एक वजह है।

पिछले सप्ताह जेटली ने लोकसभा में कहा था कि बैंकों और ऋणदाताओं के डूबे हुए कर्ज के समाधान के संदर्भ में 'हेयरकट' मुहावरे का प्रयोग किया था, जिससे उनका अभिप्राय यह था बैंकों और ऋणदाताओं को डूबे हुए कर्ज में से जो कुछ मिल रहा है उसे स्वीकार करना चाहिए। 

सरकार ने दो-शूली रणनीति अपनाई है। एक तरफ सरकार ने ऋणशोधन क्षमता व दिवालियापन संहिता लाई है जिसके तहत निर्धारित समय के लिए ऋणशोधन समाधान प्रक्रिया प्रदान किया जाता है। वहीं दूसरी ओर सरकारी बैंकों के लिए रिकैपिटलाइजेशन की बड़ी योजना को मंजूरी प्रदान की गई है।

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Source : IANS

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