पंजाब की शीला दीक्षित का यूपी कनेक्शन, CM पद की भी बनी थीं उम्मीदवार
2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट किया था
highlights
- शीला दीक्षित का यूपी कनेक्शन
- 2017 में यूपी चुनाव में सीएम के रूप में किया था प्रोजेक्ट
- कन्नौज से बनी थीं सांसद
नई दिल्ली:
शीला दीक्षित का दिल्ली में 81 साल की आयु में शनिवार को निधन हो गया. उनका निधन हार्ट अटैक से हआ है. शीला दीक्षित 15 साल तक लगातार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं. इससे पहले वे 1984 से 1989 तक उत्तर प्रदेश के कन्नौज से सांसद रह चुकी हैं. उत्तर प्रदेश के 2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट किया था. शीला दीक्षित की शादी उत्तर प्रदेश में हुई थी. उनके पति विनोद दीक्षित यूपी का रहनेवाला था. वहीं शीला दीक्षित के निधन से उनके ससुराल कन्नौज में शोक की लहर दौड़ गई. दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की उन्नाव के ऊगू में है ससुराल. ऊगू के रहने वाले लोगों में शोक व्याप्त हो गया है.
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वे राजीव गांधी सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी थीं. शीला दीक्षित 1998 से 2013 तक लगातार 15 साल दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं. दिल्ली में अरविंद केजरीवाल को मिली अप्रत्याशित जीत के बाद शीला दीक्षित ने राजनीति से दूरी बना ली थी. लेकिन लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी की अगुवाई में उन्होंने दिल्ली की कमान संभाली थी. हाल ही में प्रदेश स्तर पर शीला दीक्षित बनाम पीसी चाको के बीच अनबन की खबरें भी सामने आई थी. पीसी चाको ने अपने पत्र में जिक्र किया था कि शीला दीक्षित बीमार चल रही हैं.
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शीला दीक्षित की पढ़ाई
शीला दीक्षित का जन्म 31 मार्च, 1938 को पंजाब के कपूरथला में हुआ था. शीला दीक्षित ने दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस से इतिहास में मास्टर डिग्री हासिल की थी. उनका विवाह उन्नाव (यूपी) के आईएएस अधिकारी स्वर्गीय विनोद दीक्षित से हुआ था. विनोद कांग्रेस के बड़े नेता और बंगाल के पूर्व राज्यपाल स्वर्गीय उमाशंकर दीक्षित के बेटे थे. शीला एक बेटे और एक बेटी की मां हैं. उनके बेटे संदीप दीक्षित भी दिल्ली के सांसद रह चुके हैं. दरअसल, मिरांडा हाउस से पढ़ाई के दौरान ही उनकी राजनीति में रुचि थी.
दिल्ली की 3 बार मुख्यमंत्री
शीला दीक्षित अपनी काम की बदौलत कांग्रेस पार्टी में पैठ बनाती चली गईं थी. सोनिया गांधी के सामने भी शीला दीक्षित की एक अच्छी छवि बनी और यही वजह है कि राजीव गांधी के बाद सोनिया गांधी ने उन्हें खासा महत्व दिया था. साल 1998 में शीला दीक्षित दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष बनाई गईं थी. 1998 में ही लोकसभा चुनाव में शीला दीक्षित कांग्रेस के टिकट पर पूर्वी दिल्ली से चुनाव लड़ीं, मगर जीत नहीं पाईं थी. उसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ना छोड़ दिया और दिल्ली की गद्दी की ओर देखना शुरू कर दिया था. दिल्ली विधानसभा चुनाव में उन्होंने न सिर्फ जीत दर्ज की, बल्कि तीन-तीन बार मुख्यमंत्री भी रहीं.
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