अफगानिस्तान में तालिबान राज भारत के लिए शुभ संकेत नहीं, कैप्टन की चेतावनी

अफगानिस्तान का तालिबान (Taliban) के हाथों में जाना हमारे देश के लिए शुभ संकेत नहीं है. यह भारत के खिलाफ चीन-पाकिस्तान साठगांठ को मजूबत करेगा.

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Nihar Saxena
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Amarinder Singh

पंजाब के सीएम ने सीमाओं पर चौकसी बढ़ाने को कहा.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान राज की वापसी देख पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) ने देश की सभी सीमाओं पर अतिरिक्त सतर्कता बरतने पर जोर दिया. उनका स्पष्ट मानना है कि अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा भारत के लिए किसी भी लिहाज से शुभ संकेत नहीं है. उन्होंने एक ट्वीट में लिखा है कि अफगानिस्तान का तालिबान (Taliban) के हाथों में जाना हमारे देश के लिए शुभ संकेत नहीं है. यह भारत के खिलाफ चीन-पाकिस्तान साठगांठ को मजूबत करेगा. चीन पहले ही उइगुर को लेकर मिलिशिया की मदद मांग चुका है. संकेत बिलकुल अच्छे नहीं हैं, हमें अब अपनी सीमाओं पर अतिरिक्त सजग रहने की जरुरत है.

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अशरफ गनी ने छोड़ा देश
गौरतलब है कि खून-खराबा नहीं हो का तर्क देकर अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर ताजिकिस्तान चले गए हैं. आम अफगानियों में दहशत का माहौल है. बड़ी संख्या में लोग अफगानिस्तान छोड़कर जा रहे हैं. लोगों को डर है कि तालिबान राज में शरिया (Sharia) या इस्लामी कानून फिर से कड़ाई से लागू होगा. इसके तहत अफगानी लड़कियों को पढ़ने और महिलाओं के काम करने पर पाबंदी रहेगी. हालांकि तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने मीडिया रिपोर्ट में कहा है कि शरिया कानून का सख्ती से पालन करते हुए हिजाब पहनने के बाद लड़कियां पढ़ाई कर सकेंगी. इस बीच यह भी खबर आ रही है कि अफगानिस्तान का नया नाम इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान होगा. 

यह भी पढ़ेंः तालिबान राज के इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान में लड़कियां कर सकेंगी पढ़ाई

अफगानिस्तान पर कब्जे से आश्चर्य में दुनिया
आम लोगों में अफगानी सुरक्षा बलों के खिलाफ गुस्से की लहर है. कई स्थानों पर अफगान सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकने की भी खबरें आई हैं. आश्चर्य इस बात का है कि अफगान सुरक्षा बलों को प्रशिक्षित करने में अमेरिका और नाटो ने अरबों डॉलर खर्च किए. इसके बावजूद तालिबान ने आश्चर्यजनक रूप से सप्ताह भर में ही पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया. रविवार को तो तालिबान के लड़ाके चारों तरफ से काबुल में घुसे और राष्ट्रपति भवन समेत पुलिस आउटपोस्ट और अन्य महत्वपूर्ण इमारतों पर कब्जा कर लिया. कहीं पर भी अफगान सुरक्षा बलों ने तालिबान के लड़ाकों से कोई संघर्ष नहीं किया. इसके पहले अमेरिकी सेना की वापसी के बीच माना जा रहा था कि काबुल पर कब्जा करने में तालिबान को कम से कम महीने भर का समय लग जाएगा.

HIGHLIGHTS

  • भारत की सभी सीमाओं पर सतर्कता बरतने पर जोर
  • भारत के खिलाफ चीन-पाकिस्तान सांठगांठ होगी मजबूत
  • चीन तालिबान से उइगुर के खिलाफ मांग चुका है मदद
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