पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने सोमवार को अकाली नेता और पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया की कथित मादक पदार्थ मामले में अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। मजीठिया अमृतसर के पास मजीठा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं।
न्यायमूर्ति लिसा गिल ने दोनों वकीलों की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश पारित किया। मजीठिया को 10 जनवरी को अंतरिम अग्रिम जमानत दी गई थी और जांच में शामिल होने का निर्देश दिया गया था।
मौजूदा विधायक मजीठिया, जो शिरोमणि अकाली दल (शिअद) प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के बहनोई हैं, के पास अब या तो सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प है या वह पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर सकते हैं।
मजीठिया के वकील अर्शदीप सिंह चीमा ने कहा, हमने शीर्ष अदालत के समक्ष अपील दायर करने के लिए अंतरिम जमानत अवधि बढ़ाने या चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल करने से पहले पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए हाईकोर्ट से तीन दिन का समय मांगा है। हमें अभी तक आदेश की प्रति नहीं मिली है।
20 दिसंबर को दर्ज नार्कोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत एक मामले में मोहाली की एक अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद मजीठिया ने उच्च न्यायालय का रुख किया था।
राज्य पुलिस की अपराध शाखा द्वारा मोहाली पुलिस स्टेशन में दर्ज 49 पन्नों की प्राथमिकी में शिअद नेता पर एनडीपीएस अधिनियम की धारा 25, 27ए और 29 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
मजीठिया के मामले की पैरवी वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने की, जबकि पंजाब सरकार के मामले की पैरवी पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने की।
याचिका में कहा गया है, यह स्पष्ट है कि इस समय प्राथमिकी याचिकाकर्ता के खिलाफ आगामी चुनावों पर नजर रखते हुए दर्ज की गई है। याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकार दांव पर हैं।
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Source : IANS