मुख्यमंत्री धामी ने उत्तराखंड के पहले हिमालयन सांस्कृतिक केंद्र का शुभारंभ किया
मुख्यमंत्री धामी ने उत्तराखंड के पहले हिमालयन सांस्कृतिक केंद्र का शुभारंभ किया
देहरादून:
मुख्यमंत्री ने 4 दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव निनाद का भी शुभारंभ कर हिमालयन सांस्कृतिक केंद्र में स्थापित वृहद संग्रहालय, प्रेक्षागृह, वाह्य व आन्तरिक कलादीर्घा पुस्तकालय एवं नाट्यशाला का अवलोकन किया तथा परम्परागत ढ़ोल वादन कर लोकवाद्यो का सम्मान भी बढ़ाया।
असम के लोक कलाकारों द्वारा बिहु नृत्य का प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री को सम्मानित भी किया गया।मुख्यमंत्री ने फिल्म जगत से जुड़े प्रदेश के फिल्मकारों, फोटोग्राफरों एवं गायकों को भी सम्मानित किया। जिन्हें सम्मानित किया गया है उनमें फिल्मकार संतोष रावत, फिल्म फोटोग्राफर कमलजीत नेगी, करन थपलियाल, अभिनेता चंदन बिष्ट, अभिनेत्री रूप दुर्गापाल और गायिका शिखा जोशी शामिल थीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालयन सांस्कृतिक केंद्र ओर जहां प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक सजीव चित्र हम सबके समक्ष रखेगा, वहीं दूसरी ओर यह हमारी सरकार की संस्कृति के संरक्षण- संबर्द्धन एवं विकास के प्रति प्रतिबद्धता को भी परिलक्षित करेगा। यह केंद्र हमारी सांस्कृतिक विरासत को भावी पीढ़ी तक पहुंचाने में भी मददगार होगा।
उन्होंने कहा कि इस सांस्कृतिक केंद्र में स्थापित वृहद संग्रहालय में अनेक कलाकृतियां, मूर्तिकला आदि संग्रहित हैं। इसके साथ ही हमारी पारम्परिक एवं समकालीन कला को भी इस संग्रहालय में प्रदर्शित करने का प्रयास सराहनीय है। इसके साथ ही यहां लोक साहित्य एवं लोक भाषा पर आधारित पुस्तक प्रदर्शनी भी प्रदर्शित की गई, जिसमें उत्तराखंड जन आंदोलन से जुड़े साहित्य को भी सम्मिलित किया गया।
यह सांस्कृतिक केंद्र हमारी समृद्ध ऐतिहासिक सांस्कृतिक विरासत को एक स्थान पर संग्रहीत कर प्रदर्शित करने का एक अनूठा प्रयास है, जिससे हमारी भावी पीढ़ी को अपनी अमूल्य धरोहर को जानने एवं समझने का अवसर प्राप्त होगा।
मुख्यमंत्री ने फिल्म जगत से जुड़े प्रदेशवासियों से अपेक्षा की कि उन्हें उत्तराखंड की इस पावन भूमि ने इस मुकाम तक पहुंचाने का अवसर दिया है। देश व दुनिया के साथ अपने प्रदेश का नाम रोशन करने में भी वे मददगार बने। उन्होंने कहा कि हमें अपनी संस्कृति परिवेश एवं पूर्वजो द्वारा दिये गए संस्कारों से जुड़ा रहना होगा। ये हमारी जड़े हैं। अपनी जड़ों से जुड़ा रहकर ही हम जीवन में सफल होंगे तथा हमारी पहचान बनी रहेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक भारतीय दुनिया में कहीं भी रहे, कितनी ही पीढ़ियों तक रहे, उसकी भारतीयता, उसकी भारत के प्रति निष्ठा, कभी कम नहीं होती। इसका कारण हमारी विशिष्ट सांस्कृतिक चेतना है, जिसमें भारत उसके दिल में हमेशा जिंदा रहता है। भारत एक राष्ट्र होने के साथ ही एक महान परंपरा है, एक वैचारिक अधिष्ठान हैं, एक संस्कार की सरिता है।
भारत वो शीर्ष चिंतन है- जो वसुधैव कुटुंबकम की बात करता है। भारत दूसरे के नुकसान की कीमत पर अपने उत्थान के सपने नहीं देखता। भारत सर्वे भवन्तु सुखिन की कामना करते हुए अपने साथ सम्पूर्ण मानवता के कल्याण की कामना करता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में हमें एक ऐसा नेतृत्व मिला जिसने भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने का बीड़ा उठाया और उस पर ठोस कार्य भी प्रारंभ किया। प्रधानमंत्री ने आज देश के साथ ही विदेश में रहने वाले भारतीयों के मन में पुनः सनातन संस्कृति की अलख जगाने का भी कार्य किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार न सिर्फ देश का भौतिक विकास कर रही है, बल्कि दुनियाभर में भारत की सनातन संस्कृति को भी बढ़ाने का कार्य भी कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जब हम आत्मनिर्भर भारत अभियान को आगे बढ़ाते हैं, तो विश्व के लिए प्रगति की नई संभावनाएं खोलने की बात करते हैं। आज जब हम योग के प्रसार के लिए प्रयास करते हैं, तो विश्व के हर व्यक्ति के लिए सर्वे संतु निरामया की कामना करते हैं। हमें संपूर्ण दुनिया को ये अहसास दिलाना है कि भारत की प्रगति से पूरी मानवता का कल्याण जुड़ा है। उन्होंने विश्वास किया कि अपने इन आदर्शों पर चलते हुए हम एक नया भारत भी बनाएंगे, और बेहतर दुनिया का सपना भी साकार करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें उत्तराखंड को श्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए अपने विकल्प रहित संकल्प को लेकर आगे बढ़ना है। सभी के सहयोग और समर्थन से हम उत्तराखंड को श्रेष्ठ राज्य बनाने का अपना सपना अवश्य साकार करने में सफल होंगे।
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि हिमालयन सांस्कृतिक केंद्र हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संवारने का कार्य करेगा। हमारी संस्कृति विश्व की महान संस्कृति रही है। उन्होंने कहा कि यह सांस्कृतिक केंद्र संस्कृति संवर्धन के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा।
इस अवसर पर विधायक खजान दास, सचिव संस्कृति हरिचन्द्र सेमवाल, पद्मश्री बसंती बिष्ट, लोक संस्कति से जुड़े साहित्यकार, गीतकारों सहित विभिन्न प्रदेशों से आए लोक कलाकार एवं रंगकर्मी मौजूद थे।
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