समान नागरिक संहिता को लेकर उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने एक बड़ा फैसला करते हुए इस संबंध में तमाम पहलुओं पर विचार कर सुझाव देने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया है।
उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। सेवानिवृत्त न्यायाधीश प्रमोद कोहली, सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौर, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी शत्रुघ्न सिंह और दून विश्विद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल को इस समिति में सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सरकार के इस फैसले की जानकारी देते हुए ट्वीट किया, देवभूमि की संस्कृति को संरक्षित करते हुए सभी धार्मिक समुदायों को एकरूपता प्रदान करने के लिए न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में समान नागरिक संहिता के क्रियान्वयन हेतु विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया गया है।
समिति के गठन को लेकर राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि उत्तराखंड राज्य में रहने वाले सभी नागरिकों के व्यक्तिगत नागरिक मामलों को नियंत्रित करने वाले सभी प्रासंगिक कानूनों की जांच करने और मसौदा कानून या मौजूदा कानून में संशोधन के साथ उस पर रिपोर्ट करने के लिए विवाह, तलाक, संपत्ति के अधिकार, उत्तराधिकार से संबंधित लागू कानून और विरासत, गोद लेने और रख-रखाव और सरंक्षता इत्यादि एवं समान नागरिक संहिता के परीक्षण एवं क्रियान्वयन हेतु राज्यपाल की स्वीकृति से विशेषज्ञ समिति का गठन किया जा रहा है।
आपको बता दें कि, उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के दौरान आईएएनएस से बात करते हुए पुष्कर सिंह धामी ने राज्य की जनता से यह वादा किया था कि दोबारा सत्ता में आने के बाद उनकी सरकार राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए समिति का गठन करेगी। चुनावी वादे को पूरा करते हुए धामी सरकार ने विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया।
दरअसल, समान नागरिक संहिता यानि यूनिफार्म सिविल कोड को देशभर में लागू करना भाजपा का एक बड़ा एजेंडा रहा है और राज्य स्तर पर उत्तराखंड ने इसे लागू करने की दिशा में एक कदम बढ़ा दिया है। उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश की भाजपा सरकार भी अपने-अपने राज्यों में इसे लेकर आने वाले दिनों में कदम बढ़ा सकती है।
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Source : IANS