कर्नाटक में मानव-पशु संघर्ष को लेकर अभूतपूर्व घटनाक्रम देखा जा रहा है। तेंदुए के खतरे ने न केवल वन क्षेत्रों से सटे आवासीय बस्तियों में, बल्कि राज्य की राजधानी बेंगलुरु के साथ-साथ मैसुरु और बेलगावी जैसे अन्य प्रमुख शहरों में भी सामान्य जीवन को बाधित कर दिया है।
कई तेंदुए आदमखोर बन गए हैं, जिससे लोग डर के साए में जीने को मजबूर हैं। कुछ जगहों पर पशुओं पर तेंदुए का हमला आम घटना बन गई है और हालात से निपटने के लिए वन अधिकारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है।
पर्यावरणविदों का कहना है कि राज्य के जंगल वन्यजीवों के लिए रेगिस्तान बन गए हैं। हालात तेंदुओं और हाथियों को भोजन की तलाश में जंगल से निकलने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
चूंकि तेंदुए के हमलों के कारण हर दिन जानमाल के नुकसान की घटनाएं बढ़ रही हैं, इसलिए कर्नाटक सरकार को पीड़ितों के परिवारों के लिए मुआवजे के रूप में 15 लाख रुपये की घोषणा करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इससे पहले मुआवजा राशि केवल हाथियों के हमले से पीड़ित परिवारों को दी जाती थी।
दिसंबर 2022 के अंतिम सप्ताह में मैसुरु जिले के टी. नरसीपुर तालुक के उक्कलगेरे गांव में सात साल का एक नरभक्षी तेंदुए के जाल में फंसने पर जश्न मनाया गया था, क्योंकि उस तेंदुए ने एक छात्र और 22 वर्षीय एक युवती को मार डाला था। क्षेत्र के निवासी काफी दहशत में थे।
वन विभाग के अधिकारियों ने इस तेंदुए को पकड़ने की कोशिश दो महीने तक की थी। इन घटनाओं से इलाके में अफरातफरी मच गई थी और लोग विरोध में सड़कों पर उतर आए थे।
तेंदुए को पकड़ने के लिए बड़ा ऑपरेशन बेलगावी शहर में 2022 के मध्य में शुरू किया गया था। शहर के मध्य में स्थित एथ गोल्फ क्लब के परिसर में तेंदुए को देखे जाने के बाद दहशत के कारण अधिकारियों को एक महीने से अधिक समय के लिए स्कूलों में छुट्टियों की घोषणा करनी पड़ी थी और 22 स्कूलों को ऑनलाइन मोड पर चलाने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
बेलगावी शहर में घूमने वाले तेंदुओं और हाथियों को पकड़ने के लिए मेगा ऑपरेशन शुरू किया गया था। वन विभाग और पुलिस के 200 से अधिक कर्मियों ने तलाशी अभियान में लगाया गया था। टीम में शार्पशूटर, वन्यजीव कार्यकर्ता और एनेस्थेटिक विशेषज्ञ भी शामिल थे।
बीते मंगलवार को टीम के सामने आया एक तेंदुआ बाल-बाल बच गया। इसने एक मजदूर पर हमला किया था और खबर सुनते ही युवक की मां की मौत दिल का दौरा पड़ने से हो गई। अधिकारियों को एल्गोरिदम तकनीक वाला एक विशेष ड्रोन भी मिला है।
लंबे समय तक ऑपरेशन चलाने के बावजूद निराशा हाथ लगी। सोशल मीडिया पर अधिकारियों का मजाक उड़ाया गया। लोगों ने भगवान गणेश के नाम पर बड़ी बिल्ली का नाम भी रखा और इसे उत्सव के लिए एक अतिथि के रूप में वर्णित किया। तलाशी अभियान में शामिल होने के लिए रहवासी लाठियां लेकर निकले। अंत में वह बड़ी बिल्ली जंगल में चली गई, तब मेगा ऑपरेशन बंद कर दिया गया।
बेंगलुरु में तेंदुए के खतरे ने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को जवाब देने और लोगों की सुरक्षा का आश्वासन देने के लिए मजबूर किया।
बोम्मई ने कहा कि पहले वन क्षेत्रों के करीब स्थित क्षेत्रों से ही तेंदुए की गतिविधियों और हमलों की सूचना मिली थी, मगर अब बेंगलुरु और उसके आसपास से भी तेंदुए को देखे जाने की रिपोर्ट आती है।
बोम्मई ने कहा कि मैसुरु और बेंगलुरु के हाथी गलियारों में तेंदुए हैं। तेंदुए के खतरे को रोकने के लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया है और उन्हें विशेष दिशा-निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि जंगलों से निकले तेंदुओं को पकड़ने के लिए एक समर्पित टीम पहले से ही काम कर रही है।
तेंदुए केंगेरी, कुंबलगोडु, नगरभवी और बेंगलुरु के तुराहल्ली वन क्षेत्र के आसपास के क्षेत्रों में बार-बार देखे जाते हैं।
हाल ही में, नगरभवी इलाके के निवासियों ने एक तेंदुए को दो शावकों के साथ घूमते हुए देखा। बाइक सवारों का कहना है कि तेंदुआ उन पर हमला करने की फिराक में था।
सीसीटीवी फुटेज ने भी तेंदुए की हरकत की पुष्टि की और इसके बाद वन विभाग ने तेंदुए को पकड़ने के लिए अभियान शुरू कर दिया है।
कांग्रेस के एमएलसी दिनेश गुलिगौड़ा ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री बोम्मई को पत्र लिखकर मांड्या जिले के लोगों को तेंदुए के खतरे से बचाने का आग्रह किया है। उन्होंने आग्रह किया है कि राज्य सरकार को त्रासदी से पहले जाग जाना चाहिए।
एमएलसी गुलिगौड़ा ने कहा कि मांड्या जिले के सभी सात तालुकों में तेंदुए का खतरा है।
जिले के लोकप्रिय पर्यटन स्थल कृष्णा राजा सागर (केआरएस) बांध में दो साल से तेंदुए घूम रहे हैं।
प्रसिद्ध पर्यटन स्थल लगभग दो महीने से बंद था, क्योंकि परिसर में तेंदुए खुलेआम घूमते थे।
इस पर्यटन स्थल पर जनता को जाने की अनुमति हाल ही में दी गई है।
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Source : IANS