नए साल की शुरुआत में ही निपटा लें अपने बैंकिंग के काम-काज, नहीं तो...
AIBEA के महासचिव सी. एच. वेंकटचलम ने मीडिया से बातचीत में बताया कि इस हड़ताल का 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन, राष्ट्रव्यापी समर्थन कर रहे हैं.
नई दिल्ली:
अगले साल के पहले ही सप्ताह में बैंकिंग सेक्टर एक प्रमुख युनियन हड़ताल की तैयारी में लग गए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो 8 जनवरी 2020 को बैंकिंग क्षेत्र की प्रमुख यूनियनें केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा आयोजित आम हड़ताल में हिस्सा ले सकती हैं. बैंकिंग की हड़ताल की यह जानकारी अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (AIBEA) के एक शीर्ष नेता ने दी. आपको बता दें कि नए साल के शुरुआत में ही बैंकों के कर्मचारियों का हड़ताल पर जाना बैंकिंग के काम काज को प्रभावित कर सकता है. ऐसी स्थिति में आपको अपनी बैंकिंग के सारे काम 8 जनवरी से पहले ही निपटा लेने चाहिए ताकि हड़ताल होने की स्थिति में आप आने वाली कठिनाइयों से सुरक्षित
बच सकें.
AIBEA के महासचिव सी. एच. वेंकटचलम ने मीडिया से बातचीत में बताया कि इस हड़ताल का 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन, राष्ट्रव्यापी समर्थन कर रहे हैं. वेंकटचलम ने आगे बताया कि बैंकिंग की यह हड़ताल केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ की जाएगी, इसके अलावा इस हड़ताल में बैंक कर्मचारियों की नौकरियों की सुरक्षा, रोजगार सृजन और श्रम कानूनों में संशोधन आदि मुद्दे भी शामिल रहेंगे.
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RBI के कर्मचारी भी होंगे हड़ताल में शामिल!
वेंकटचलम ने मीडिया को आगे बताया कि इस हड़ताल में शामिल होने वाले बैंकिंग क्षेत्र से जुड़ी प्रमुख यूनियन AIBEA, BEFI, AIBOA, INBOC आईएनबीईएफ और INBEF होंगी. वेंकटचलम ने आगे भी इस बात का दावा किया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के कर्मचारी भी इस हड़ताल में शामिल होंगे. इसके अलावा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, सहकारी बैंक, (RRB), भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और सामान्य बीमा क्षेत्र के कर्मचारियों ने भी इस हड़ताल में शामिल होने की बात कही है.
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आपको बता दें कि सरकार के बैंकों के विलय के फैसले के बाद से भी बैंकों के अलग-अलग कर्मचारी संघ लगातार सरकार का विरोध कर रहे हैं. आपको बता दें कि लगभग तीन महीने पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 10 बैंकों के विलय का ऐलान किया था. इसके बाद 4 नए बैंक अस्तित्व में आ जाएंगे. वहीं कॉर्पोरेशन बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया सिंडिकेट बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, इलाहाबाद बैंक और आंध्रा बैंक का अस्तित्व नहीं रहेगा. बैंक के यूनियनों का कहना है कि इस विलय से बैंकिंग सेक्टर में बहुत से लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ेगा.
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