तमिलनाडु के वित्त मंत्री पी थैगा राजन ने गुरूवार को केन्द्र सरकार से सेस और सरचार्ज को बेसिक टैक्स रेट में मिलाने की मांग करते हुए कहा कि इससे राज्य को कर हस्तांतरण में उसका वैध हिस्सा प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
उनके कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से राजधानी दिल्ली में बुलाई गई एक बैठक में हिस्सा लेने के दौरान उन्होंने कहा कि सेस और सरचार्ज की बढ़ी हुई मात्रा करों के विभाज्य पूल का हिस्सा नहीे बनती हैं और इससे संसाधनों के हस्तांतरण के मामले में तमिलनाडु पर प्रतिकूल असर पड़ा है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र के सकल कर राजस्व के अनुपात में सेस और सरचार्ज में वर्ष 2010-11 से 2020-21 तक तीन गुना बढ़ोत्तरी हुई है और यह 6.26 प्रतिशत से बढ़कर 19.9 प्रतिशत हो गया है लेकिन केन्द्र सरकार की ओर से संग्रहित किए जाने वाले करों में राज्यों को लगभग 20 प्रतिशत का नुकसान होता है।
उन्होंने कहा कि यदि इस राशि को विभाज्य पूल में जोड़ दिया जाता है, तो राज्यों को चालू वित्त वर्ष में केंद्रीय कर पूल से अपने हिस्से के रूप में लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त हस्तांतरण प्राप्त होगा।
श्री राजन ने कपड़ा और परिधान के लिए जीएसटी को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने के निर्णय को वापस लेने की भी मांग करते हुए कहा कि सरकार का यह कदम पारंपरिक हथकरघा क्षेत्रों और एमएसएमई क्षेत्रों को बुरी तरह प्रभावित करेगा जो पहले से कोरोना महामारी के कारण आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।
हथकरघा शोधकर्ता और चेन्नई स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी एंड डेवलपमेंट स्टडीज के निदेशक सी. राजीव ने आईएएनएस को बताया कि वह परिधानों और वस्त्रों पर जीएसटी दर को यथावत रखने की मांग का समर्थन करते हैं।
उन्होंने कहा हम परिधानों और वस्त्रों पर जीएसटी दर को बढ़ाए जाने के निर्णय के खिलाफ एक अभियान चला रहे हैं। कई हथकरघा बुनकरों और शिल्पकारों ने कहा है कि अगर जीएसटी को इस दर तक बढ़ाया जाता है तो वे इस पेशे को छोड़ कर मनरेगा श्रमिकों के रूप में काम करेंगे। अगर केंद्र ने अपने फैसले को नहीं बदला तो इससे तमिलनाडु की पारंपरिक साड़ियां और अन्य कपड़ों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।
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Source : IANS