logo-image

किसान प्रदर्शन में शाहीन बाग को हवा देने वाले भी पहुंचे, खुफिया अलर्ट

पिछले सात दिन से किसान दिल्ली की सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं. मंगलवार को सरकार के साथ किसान संगठनों की वार्ता भी बेनतीजा रही.

Updated on: 02 Dec 2020, 09:04 AM

नई दिल्ली:

पिछले सात दिन से किसान दिल्ली की सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं. मंगलवार को सरकार के साथ किसान संगठनों की वार्ता भी बेनतीजा रही. किसानों के प्रदर्शन में जिस तरह किसानों के अलावा अन्य संगठन शामिल हो रहे हैं उससे प्रदर्शन पर भी सवाल उठने लगे हैं. किसानों के प्रदर्शन में शाहीन बाग आंदोलन में शामिल संगठनों के शामिल होने के बाद से खुफिया विभाग भी अलर्ट पर है. 

मंगलवार को किसानों के प्रदर्शन को समर्थन देने शाहीन बाग आंदोलन का चेहरा बनी बिलकिस दादी पहुंची. आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में उतरीं बिलकीस दादी ने कहा कि हम किसानों की बेटियां हैं, हम आज किसानों के प्रोटेस्ट का समर्थन करने जाएंगे. हम अपनी आवाज उठाएंगे, सरकार को हमारी बात सुननी चाहिए. हालांकि पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया.  

यह भी पढ़ेंः इसलिए सरकार-किसानों की बैठक रही बेनतीजा, अब निगाहें 3 दिसंबर पर

खुफिया विभाग अलर्ट
किसानों के प्रदर्शन में पहले खालिस्तान समर्थकों के पहुंचने की खबरें आ रही थी लेकिन अब सीएए का विरोध करने वाले भी इनके समर्थन में पहुंच रहे हैं. यह भी हैरान करने वाली बात है कि सिर्फ पंजाब के ही किसानों को इस बिल से सबसे अधिक परेशानी है. अन्य राज्यों से जो किसान प्रदर्शन में शामिल होने के लिए पहुंच रहे हैं उनका कहना है कि वह बिल के खिलाफ नहीं बल्कि किसानों का साथ देने आए हैं. वहीं सीएए के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल रहे भीम आर्मी के चंद्रशेखर, मजदूर संगठन सीटू और जेएनयू के छात्रों ने भी किसान आंदोलन को समर्थन दिया है. 

सिर्फ 5 फीसद किसान लेने हैं MSP तो विरोध क्यों?
आंकड़ों के मुताबिक देश के करीब 5 फीसद किसान ही एमएसपी पर अपनी फसल बेचते हैं. बाकी किसान खुले बाजार में अपनी फसल बेचते हैं. ऐसे में बार-बार सवाल उठ रहे हैं कि किसानों को एमएसपी पर इतनी परेशानी क्यों है. दूसरी तरफ सरकार भी साफ कर चुकी है कि वह एमएसपी को खत्म नहीं कर रही है. 

यह भी पढ़ेंः सभी देशवासियों को नहीं लगाई जाएगी कोरोना वैक्सीन, ICMR की दो टूक

किसानों ने दी लंबे प्रदर्शन की चेतावनी
उधर किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने उनकी मांग पूरी नहीं की तो लंबे समय तक दिल्ली में डेरा डाले रहेंगे. दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने आ रहे हजारों किसान एक और सर्द रात सड़क पर बिताने के साथ राष्ट्रीय राजधानी के सिंघू और टिकरी बॉर्डर पर अब भी जमे हुए हैं. किसानों के आंदोलन की वजह से कई सड़क और दिल्ली आने वाले रास्ते बंद हैं. उधर दिल्ली से फरीदाबाद और गाजियाबाद के बॉर्डर भी बंद हैं. ऐसे में सवाल है कि शाहीन बाग के मामले में सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया था उसके बाद भी किसानों का प्रदर्शन क्या जायज है?

क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला 
सीएए के विरोध में शाहीन बाग (Shaheen Bagh) में हुए प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अक्टूबर में फैसला दिया था कि कोई भी व्यक्ति या समूह सार्वजिनक स्थानों को ब्लॉक नहीं कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पब्लिक प्लेस पर अनिश्चितकाल के लिए कब्जा नही किया जा सकता. अदालत ने कहा कि धरना-प्रदर्शन का अधिकार अपनी जगह है लेकिन अंग्रेजों के राज वाली हरकत अभी करना सही नहीं है. 

यह भी पढ़ेंः आरिफ मसूद की याचिका पर एमपी सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी

सार्वजनिक स्थानों पर अनिश्चित काल के लिए कब्जा नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा CAA के विरोध (Anti CAA Protest in Shaheen Bagh News) में बड़ी संख्या में लोग जमा हुए थे, रास्ते को प्रदर्शनकारियों ने ब्लॉक किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट से अलग-अलग फैसला दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों और सड़कों पर अनिश्चित काल तक कब्जा नहीं किया जा सकता है.

सार्वजनिक स्थानों को नहीं कर सकते ब्लॉक 
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विरोध जताने के लिए पब्लिक प्लेस या रास्ते को ब्लॉक नहीं किया जा सकता. शीर्ष अदालत ने कहा कि अधिकारियों को इस तरह के अवरोध को हटाना चाहिए. विरोध प्रदर्शन तय जगहों पर ही होना चाहिए. अदालत ने कहा कि प्रदर्शनकारियों के सार्वजनिक जगहों पर प्रदर्शन लोगों के अधिकारों का हनन है. कानून में इसकी इजाजत नहीं है.