संयुक्त किसान मोर्चा ने योगेंद्र यादव को एक महीने के लिए निलंबित किया
कृषि कानून को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शनलखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ता शुभम मिश्रा के घर संवेदना प्रकट करने के लिए जाने के कारण हुई कार्रवाई. इसकी मांग पंजाब के किसान संगठनों के द्वारा की गई थी.के चलते गाजीपुर बॉर्डर पर करीब 10 महीने से सड़क मार्ग बंद है. किसानों ने आज गाजीपुर बॉर्डर की सर्विस लेन खोलने की कवायद शुरू कर दी है
नई दिल्ली:
संयुक्त किसान मोर्चा ने योगेंद्र यादव पर बड़ी कार्रवाई की है. उनको एक महीने के लिए निलंबित किया गया है. उन पर लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ता शुभम मिश्रा के घर संवेदना प्रकट करने के लिए जाने के कारण कार्रवाई हुई है. इसकी मांग पंजाब के किसान संगठनों के द्वारा की गई थी. वहीं, कृषि कानून को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन के चलते गाजीपुर बॉर्डर पर करीब 10 महीने से सड़क मार्ग बंद है. किसानों ने आज गाजीपुर बॉर्डर की सर्विस लेन खोलने की कवायद शुरू कर दी है. किसानों के अनुसार रास्ता किसानों ने बंद नहीं किया है, पुलिस ने कर रखा है. भारतीय किसान यूनियन से जुड़े किसानों ने आज बॉर्डर पर लगे बैरिकेड तक पहुंचे और सड़क पर बने टेंट को हटाना शुरू कर दिया. इस बीच भारतीय किसान यूनियन के मीडिया प्रवक्ता धर्मेन्द्र मलिक ने कहा कि कुछ समय से यह अफवाह फैलाई जा रही हैं कि गाज़ीपुर बॉर्डर खाली किया जा रहा है. यह पूर्णतया निराधार है, हम यह दिखा रहे है कि रास्ता किसानों ने नही दिल्ली पुलिस ने बन्द किया है. गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन जारी रहेगा. आंदोलन हटाने का कोई निर्णय नही है.
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किसानों ने मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में किसानों को लेकर जानकारी गलत दी जा रही है. हमने रास्ता कभी बन्द नहीं किया था, हम तो दिल्ली जाना चाहते हैं. पुलिस ही हमको बॉर्डर के उसपार नहीं जाने दे रही. फिलहाल किसानों ने बॉर्डर पर बने मीडिया सेंटर को सड़क से हटा दिया है वहीं अपनी गाड़ियां भी पुलिस की बैरिकेड के पास लगा दी हैं. दूसरी ओर सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक चल रही है, जिसमें सड़कों को खोलने को लेकर कोई फैसला लिया जा सकता है. दरअसल गाजीपुर बॉर्डर पर 11 महीनों से कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून की गारंटी की मांग को लेकर किसानों का आंदोलन जारी है. किसान आंदोलन के चलते गाजियाबाद से दिल्ली की तरफ जाने वाला दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे पूरी तरह से बंद है जिसके चलते हर रोज लाखों लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है.
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वहीं, सुप्रीम कोर्ट में भी सड़क मार्ग बंद होने पर सुनवाई हुई, कोर्ट की तरफ से बार-बार सड़क मार्ग बंद होने पर चिंता व्यक्त की जाती रही है. हालांकि शीर्ष अदालत ने किसान यूनियनों से इस मुद्दे पर तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले को 7 दिसंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया. दरअसल न्यायालय में नोएडा निवासी की याचिका पर सुनवाई कर रहा थी, जिसमें कहा गया है कि किसान आंदोलन के कारण सड़क अवरुद्ध होने से आवाजाही में मुश्किल हो रही है.
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