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मातृभाषा में प्रोफेशनल पढ़ाई से गरीब का सामर्थ्य आएगा सामनेः पीएम मोदी

21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने वाली नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (New Education Policy) समाज के हर तबके के साथ न्याय करने वाली साबित होगी.

Updated on: 15 Aug 2021, 09:51 AM

highlights

  • 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने वाली है ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’
  • अब गरीब का बेटा भी मातृभाषा में पढ़कर बन सकेगा प्रोफेशनल
  • देश भर के सैनिक स्कूलों में लड़कियां भी ले सकेंगी प्रवेश

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने लाल किला से अपने 8वें संबोधन में मातृभाषा को लेकर समाज में छाई विसंगति को दूर करने पर भी खास जोर दिया. उन्होंने कहा कि मातृभाषा में प्रोफेशनल पढ़ाई से गरीब के बेटे का सामर्थ्य भी सामने आएगा. भाषा के इस फेर ने गरीब के बेटों को अवसर के मामले में थोड़ा संकुचित रखा है. भाषा ने उचित प्रतिभा को आगे बढ़ने से रोका है. ऐसे में 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने वाली नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (New Education Policy) समाज के हर तबके के साथ न्याय करने वाली साबित होगी. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पीएम मोदी ने शिक्षा और खेलों पर खास जोर दिया.

नई शिक्षा नीति गरीबी से जंग का हथियार
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति भी गरीबी से जंग का हथियार बनने जा रही है. आज देश के पास 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने वाली नई ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ भी है. जब गरीब के बेटी, गरीब का बेटा मातृभाषा में पढ़कर प्रोफेशनल्स बनेंगे तो उनके सामर्थ्य के साथ न्याय होगा.उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को गरीबी के खिलाफ लड़ाई का मैं साधन मानता हूं. उन्होंने कहा कि एक समय था जब अभिभावक कहते थे कि खेलोगे-कूदोगे तो होगे खराब, पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब, लेकिन आज खेल युवाओं को आगे बढ़ने में मदद कर रहे हैं. इसीलिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में खेलों को मुख्यधारा की पढ़ाई का हिस्सा बनाया गया है. 

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अब सैनिक स्कूलों में लड़कियां ले सकेंगी प्रवेश
इसके साथ ही पीएम मोदी ने लड़कियों की शिक्षा के क्रम में एक बड़ी घोषणा की. उन्होंने कहा कि पहले सिर्फ मिजोरम के सैनिक स्कूल में लड़कियों के प्रवेश लेना की सुविधा थी. अब देश के सभी सैनिक स्कूलों में लड़कियां प्रवेश ले सकेंगी. इस तरह लड़कियों के सामने और नए अवसर भी सामने आएंगे. उन्होंने कहा कि अभी तक सैनिक स्‍कूलों में केवल लड़कों की पढ़ाई होती थी मगर अब लड़कियों की शिक्षा और समान सहभागिता को सुनिश्चित करने के लिए सैनिक स्‍कूलों के दरवाजे लड़कियों के लिए भी खोले जा रहे हैं. वर्तमान में देश में 33 सैनिक स्‍कूल हैं जिनमें अब तक केवल लड़के एडमिशन ले सकते थे. ये स्कूल सैनिक स्कूल सोसायटी द्वारा चलाए जाते हैं जो रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में हैं.