उन्नाव कस्टोडियल डेथ केस: SC ने लखनऊ पुलिस को सौंपी जांच, दिये ये निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस महानिरीक्षक, इंटेलिजेंस से 8 हफ्ते में रिपोर्ट मांगी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी द्वारा की गई जांच को निष्पक्ष नहीं कहा जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच CBI...
highlights
- पुलिस हिरासत में युवक की मौत का मामला
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा-ठीक से नहीं हुई जांच
- सुप्रीम कोर्ट ने आईजीपी को सौंपा जांच का जिम्मा
नई दिल्ली:
यूपी के उन्नाव में पुलिस हिरासत में युवक की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला किया है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच लखनऊ पुलिस को सौंप दी है और आईजीपी मामले की जांच के निर्देश दिये हैं. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि मामले की जांच स्थानीय पुलिस ने सही तरीके से नहीं की. ऐसा पुलिस की रिपोर्ट में भी दिख रहा है. बता दें कि पिछले साल उन्नाव के बांगरमऊ थाना क्षेत्र में कोरोना कर्फ्यू का उल्लंघन करने के आरोप में पुलिस फैसल नाम के युवक को थाने ले गई थी. आरोप है कि थाने में पुलिसकर्मियों ने उसकी जमकर पिटाई की और जब हालत गंभीर हुई तो उसे सीएचसी ले जाया गया. डॉक्टरों ने उसे जिला अस्पताल के रेफर कर दिया लेकिन इसी दौरान उसकी मौत हो गई.
19 जुलाई को होगी मामले की अगली सुनवाई
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव पुलिस की जांच पर शंका जताई है. सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस महानिरीक्षक, इंटेलिजेंस से 8 हफ्ते में रिपोर्ट मांगी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी द्वारा की गई जांच को निष्पक्ष नहीं कहा जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच CBI को स्थानांतरित करने के बजाय पुलिस महानिरीक्षक, इंटेलिजेंस लखनऊ मामले की व्यक्तिगत रूप से जांच करें. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और उन्नाव पुलिस को मामले से सम्बंधित दस्तावेज़ IGP को ट्रांसफर करने को कहा है. इस मामले की अगली सुनवाई 19 जुलाई को होगी.
जांच अधिकारी ने नहीं की निष्पक्ष जांच
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्ट के समक्ष रखे गये दस्तावेजों से लगता है कि जांच अधिकारी ने निष्पक्ष जांच नहीं किया. बता दें कि 18 साल के सब्ज़ी विक्रेता फैजल हुसैन की उन्नाव के बांगेरमऊ थाने पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. सब्जीवाले के परिजनों का आरोप है कि कोतवाली में पुलिस की पिटाई के कारण उसकी मौत हो गई. परिजनों और कुछ अन्य लोगों ने 21 मई को उन्नाव-हरदोई मार्ग पर जाम लगा दिया और जमकर हंगामा किया. पुलिस के साथ परिजनों की झड़प भी हुई. मामला बढ़ता देख पुलिस ने दो सिपाहियों और एक होमगार्ड के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
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