अयोध्या जमीन मामले पर बोलीं प्रियंका, सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इसकी जांच हो
गुरुवार को यूपी कांग्रेस की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने दिल्ली स्थित पार्टी कार्यालय में एक प्रेस वार्ता कर ये मांग रखी।
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश स्थित अयोध्या में जमीन की खरीद फरोख्त के मामले में विपक्ष हमलावर है. उसका कहना है कि इस मामले में कई अनियमितताएं बरती गई हैं. गुरुवार को यूपी कांग्रेस की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने दिल्ली स्थित पार्टी कार्यालय में एक प्रेस वार्ता की. उन्होंने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इस मामले की जांच हो. प्रियंका गांधी ने कहा, देश के लगभग हर घर ने राम मंदिर ट्रस्ट को कुछ न कुछ दान दिया है. घर-घर जाकर प्रचार भी किया गया. यह भक्ति की बात है और इसके साथ खिलवाड़ करा गया है. दलितों की जमीनों को जबरदस्ती हड़पा गया है. वाड्रा का दावा है कि जमीन के कुछ टुकड़े बहुत कम मूल्य के थे, मगर ट्रस्ट को बहुत अधिक कीमत पर बेचे गए थे. इसका अर्थ है कि दान के जरिए एकत्र धन एक घोटाला है.
प्रियंका का कहना है कि यूपी सरकार ने जांच का आश्वासन दिया, मगर यह जांच जिलाधिकारी स्तर का अधिकारी करेगा. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि जिस मामले में मेयर विटनेस हों, वहां कैसे सही जांच हो सकती है. कांग्रेस नेता ने कहा कि जब ट्रस्ट का गठन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुआ है तो इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट या उसके स्तर की जांच कराई जानी चाहिए.
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प्रियंका ने कहा कि किसी भी जिलाधिकारी की हिम्मत नहीं है कि वह बड़े सरकारी पद पर बैठे शख्स की जांच कर सके. उन्होंने कहा कि इसकी जिम्मेदारी सिर्फ सीएम योगी आदित्यनाथ नहीं बल्कि पीएम नरेंद्र मोदी की भी है. उन्होंने कहा कि राम मंदिर के लिए गरीबों ने चंदा दिया है. ये पूरे देश की आस्था का सवाल है.
राम मंदिर के नाम पर मिले चंदे की चोरी हुई- प्रियंका
प्रियंका का आरोप है कि भगवान राम के मंदिर के नाम पर लिए गए चंदे का उपयोग भाजपा और आरएसएस के नेताओं, कार्यकर्ताओं और अधिकारियों को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया. उन्होंने दावा किया भाजपा से जुड़े मेयर के भतीजे ने एक जमीन बीस लाख में खरीदी थी। उसे ढाई करोड़ में ट्रस्ट को बेचा गया. इस तरह राम मंदिर के नाम पर मिले चंदे की चोरी हुई.
कांग्रेस नेता ने कहा कि इन जमीनों की रजिस्ट्री और कामकाज ऐसे समय पर हुआ, जब कोर्ट के दफ्तर बंद हो जाते हैं. जिस जमीन पर एफआईआर है, उस जमीन की खरीद ब्रिकी किस तरह से हुई? कांग्रेस नेता के अनुसार लखीमपुर कांड हो या अयोध्या का जमीन घोटाला. इससे सरकार की मंशा साफ दिखाई देती है. लखीमपुर में किसी अधिकारी की हिम्मत नहीं है कि मंत्री की जांच कर सके. अयोध्या में जिले के अधिकारियों को जांच का जिम्मा सौंपने का मतलब है कि आप जांच नहीं होने देना चाहते.
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