चुनावी बॉन्ड लाया गया ताकि भाजपा को मिल सके कालाधन: प्रियंका
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मीडिया में चुनावी बॉन्ड से जुड़ी एक खबर का हवाला देते हुए सोमवार को दावा किया कि भारतीय रिजर्व बैंक को दरकिनार करते हुए चुनावी बॉन्ड लाया गया ताकि कालाधन भाजपा के पास पहुंच सके.
दिल्ली:
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने मीडिया में चुनावी बॉन्ड से जुड़ी एक खबर का हवाला देते हुए सोमवार को दावा किया कि भारतीय रिजर्व बैंक को दरकिनार करते हुए चुनावी बॉन्ड लाया गया ताकि कालाधन भाजपा के पास पहुंच सके. उन्होंने ट्वीट कर आरोप लगाया, ‘‘आरबीआई को दरकिनार कर और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को खाारिज करते हुए चुनावी बॉन्ड को मंजूरी दी गई ताकि भाजपा के पास कालाधन पहुंच सके.’’
Electoral bonds were cleared by by-passing RBI and dismissing National security concerns in order to enable black money to enter the BJP coffers. It appears that while the BJP was elected on the promise of eradicating black money it was busy lining..
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) November 18, 2019
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प्रियंका ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि भाजपा को कालाधान खत्म करने के नाम पर चुना गया था, लेकिन यह उसी से अपना जेब भरने में लग गई. यह भारत के जनता के साथ शर्मनाक विश्वासघात है.’’ उन्होंने जिस मीडिया खबर का हवाला दिया उसमें दावा किया गया है कि चुनावी बॉन्ड की व्यवस्था की आधिकारिक घोषणा से पहले रिजर्व बैंक ने इस कदम का विरोध किया था.
चुनावी बॉन्ड से संबंधित ये हैं रोचक तथ्य
- भारत का कोई भी नागरिक या संस्था या कंपनी चुनावी चंदे के लिए बांड खरीद सकेंगे.
- ये चुनावी बांड 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, एक लाख, 10 लाख और एक करोड़ रुपए के मूल्य में उपलब्ध होंगे.
- दानकर्ता चुनाव आयोग में रजिस्टर किसी उस पार्टी को ये दान दे सकते हैं, जिस पार्टी ने पिछले चुनावों में कुल वोटों का कम से कम 1% वोट हासिल किया है.
- दानकर्ता को अपनी सारी जानकारी (केवाईसी) बैंक को देनी होगी.
- चुनावी बांड खरीदने वालों के नाम गुप्त रखा जाएगा.
- चुनावी बांड पर बैंक द्वारा कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा.
- इन बांड को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चुनिन्दा शाखाओं से ही खरीदा जा सकेगा.
- बैंक के पास इस बात की जानकारी होगी कि चुनावी बांड किसने खरीदा है.
- बॉन्ड खरीदने वाले को उसका जिक्र अपनी बैलेंस शीट में भी करना होगा.
- बांड को जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर महीने में खरीदा जा सकता है.
- बांड खरीदे जाने के 15 दिन तक मान्य होंगे.
- राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग को भी बताना होगा कि उन्हें कितना धन चुनावी बांड से मिला है.
इनपुट ः भाषा
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