अनाधिकृत मदरसों में पढ़ रहे करीब 1 करोड़ 10 लाख बच्चों को स्कूली शिक्षा दिलाना प्राथमिकता: एनसीपीसीआर चैयरमैन (ईयर एंडर इंटरव्यू)
अनाधिकृत मदरसों में पढ़ रहे करीब 1 करोड़ 10 लाख बच्चों को स्कूली शिक्षा दिलाना प्राथमिकता: एनसीपीसीआर चैयरमैन (ईयर एंडर इंटरव्यू)
नई दिल्ली:
देशभर में मौजूद अनाधिकृत मदरसों में करीब 1 करोड़ 10 लाख बच्चे पढ़ रहे हैं, इन्हें 2023 में स्कूली शिक्षा मिले इस दिशा में काम करना आयोग की प्राथमिकता होगी। ये कहना है राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो का। कानूनगो ने आईएएनएस से एक्सक्लूसिव बातचीत में बच्चों की तस्करी, उन पर हो रहे यौन अपराध सहित बच्चों के नाम पर विदेशी धन लेने वाले एनजीओ पर कार्यवाही को लेकर विस्तार से जानकारी दी है।सवाल: आंकड़े बताते हैं कि मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में बाल अपराध बढ़ रहा है। आयोग इसको कैसे देखता है ?
उत्तर: मध्यप्रदेश की बात करें तो वहां पोक्सो के मामलों की रिपोटिर्ंग सही तरीके से हो रही है। अगर कुछ राज्यों में केस सही तरीके से रिपोर्ट हो रहे हैं, तो इसे सकारात्मक तरीके से देखा जाना चाहिए। ये बात भी सही है कि बाल अपराध बढ़ा है। समाज में संवेदनशीलता की कमी और अन्य वजहों से ऐसा हो रहा है। इसे बड़े पैमाने पर देखना होगा। हमारी कोशिश है कि हर केस दर्ज हो।
मेरा ऐसा अनुभव है कि कई राज्य रिपोर्ट ही नहीं लिखते। बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में सही तरीके से रिपोर्ट होती ही नहीं है। हमारे पास कई ऐसे मामले सामने आए हैं। पुलिस केस दर्ज नहीं करना चाहती। मामलों को छिपाना चाहती है। ऐसे में ये नहीं कहा जा सकता कि जिस राज्य में घटनाएं ज्यादा हैं, उसकी स्तिथि खराब है।
सवाल: पोक्सो के मामले काफी ज्यादा सामने आ रहे हैं, इसको लेकर आयोग ने क्या कदम उठाए हैं ?
उत्तर: बच्चों पर यौन अपराध रुके इसके लिए जरूरी है कि कड़ी से कड़ी सजा अपराधी को मिले। सजा दिलाने की दर ज्यादा हो, इसके लिए कई उपाय किये जा रहे हैं। जो और बेहतर तरीके से 2023 में लागू किए जाएंगे। सबसे जरूरी है पोक्सो के मामलों की ट्रेकिंग करना, इसके लिए हाल ही में हमने सभी राज्यों के जिलों में स्तिथ जुविनाइल पुलिस यूनिट और उनसे जुड़े अधिकारियों की क्षेत्रवार बैठक की है। इसके अलावा हमनें वकीलों और पॉक्सो कोर्ट के जजों से भी चर्चा की है। इसका मकसद है कि बच्चों को न्याय दिलाने से जुड़े सभी स्टेकहोल्डर्स इन समस्याओं का समाधान खोंजे। पॉक्सो कानून जो प्रभावी कानून है, उसे अगर सही तरीके से इम्प्लीमेंट कर पाए तो बच्चों से जुड़े अपराधों को रोका जा सकता है और सजा दिलाने की दर को बढ़ाया जा सकता है।
सवाल: मदरसों को लेकर आपने मुहिम चलाई है, इसका क्या कारण है ?
उत्तर: मदरसे वो जगह नहीं है, जहां बच्चों को रखा जाए। वहां बच्चों की पढ़ाई हो सके इसके लिए वो जगह नहीं है। हमने मदरसों को लेकर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है और राज्यों तक उसको पहुंचने में सफल रहे हैं। करीब 1 करोड़ 10 लाख बच्चे उन मदरसों में हैं, जहां उन्हें सिखाया जाता है कि सूरज पृथ्वी के ईदगिर्द घूमता है। ये सारे ऐसे मदरसे हैं जिनकी मैपिंग नहीं हुई है। इनकी जानकारी किसी राज्य सरकार के पास नहीं है। आयोग ने इसको लेकर राज्यों से कहा है कि इनकी मैपिंग की जाए और बच्चों को रेस्क्यू कर स्कूलों में भेजा जाए।
सवाल: अनाधिकृत मदरसों से किस तरह की शिकायतें मिल रही हैं और आयोग क्या कार्रवाई कर रहा है ?
उत्तर: जो अनाधिकृत मदरसे हैं, यहां बच्चों का एक तरह से शोषण हो रहा है। यहां पर शिक्षा के संविधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है। इनकी मैपिंग जरूरी है। असम, उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड सरकार ने इनकी मैपिंग भी शुरू भी कर दी है। वहीं 2022 में कई ऐसे मामले भी मिले, जहां मदरसों में हिन्दू बच्चों को रखकर उन्हें धार्मिक शिक्षा दी जा रही है। इसमें बहुत से बच्चे दलित समुदाय से हैं। ऐसे बच्चों को निकालने के लिए भी राज्यों को निर्देश दिए गए हैं।
सवाल: बाल तस्करी और बाल मजदूरी कर बच्चों को विदेश ले जाने के मामले भी काफी सामने आए हैं, आयोग इसको लेकर क्या कदम उठा रहा है ?
उत्तर: हमने सीमा पार बाल तस्करी को रोकने के लिए बॉर्डर के 75 जिलों जिनमें नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के बॉर्डर शामिल हैं। यहां पर हमने सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ बैठकें करवाई हैं। इसमें हमें तस्करी के कई नए रूट्स पता चले हैं। ये भी पता चला कि पश्चिम बंगाल बाल तस्करी का हब बनकर उभरा है। इस संबंध में भी कदम उठाए जा रहे हैं।
सवाल: क्या तस्कर सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल बाल तस्करी के लिए कर रहे हैं ? इस संबंध में आयोग के पास क्या जानकारी है ?
उत्तर: हमारी जांच में पता चला है कि बाल तस्कर सीमा पार बैठकर बच्चों को सोशल मीडिया के जरिए बरगलाने में लगे हैं। सोशल मीडिया बच्चों की तस्करी और बाल मजदूरी के लिए एक बड़ा प्लेटफार्म बन गया है। बिहार जैसे राज्यों के बच्चे भूटान और तिब्बत के रास्ते बाहर भेजे जा रहे। इसको लेकर हम इस बात का प्रयास कर रहे हैं कि जो भी बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं, उनके कनेक्शन उन्हीं के नाम से हों। यही नहीं उन कनेक्शन का इंटरनेट एक्सेस सीमित होना चाहिए। इस दिशा में 2023 में हम मोबाइल कंपनियों से बातचीत भी करने वाले हैं।
सवाल: आपके ऊपर भाजपा का एजेंट होने के भी आरोप लगते हैं, इसपर क्या कहेंगे ?
उत्तर: अप्पीजमेंट के नाम पर मुस्लिम बच्चों का अधिकार छीना जाना कहां तक सही है ? क्या किसी अल्पसंख्यक संस्था को बच्चों का धर्म परिवर्तन कर देश की डेमोग्राफी बदलने का अधिकार है ? बच्चों के नाम पर विदेशी धन लाकर अनैतिक गतिविधियां करना क्या सही है ? कोई कुछ भी कहे हम इन चीजों को ठीक करने का काम करते रहेंगे।
सवाल: 2022 में बाल अपराध रोकने आयोग ने और क्या क्या कदम उठाए हैं ?
उत्तर: हमने पोक्सो ट्रेकिंग पोर्टल बनाया है ताकि पीड़ित बच्चों को ट्रेक कर उन्हें पूरी मदद दी जा सके। चाइल्ड वेलफेयर कमिटी के लिए ट्रेनिंग मॉड्यूल तैयार किया है। इसके अलावा हमने घर पोर्टल बनाया है, जिसमें चाइल्ड होम में जो बच्चे बिछड़ जाते हैं या अलग थलग हो जाते हैं उनकी घर वापसी का प्रयास किया जाएगा। सड़क पर रहने वाले बच्चों के लिए भी पालिसी और पोर्टल तैयार किया है जिसको कई राज्यों ने लागू करना शुरू कर दिया है। इसमें बच्चों को रेस्क्यू कर उनका पुनर्वास करना प्राथमिकता है। 23 हजार बच्चों इसकी प्रक्रिया से गुजर चुके हैं। 2022 में हमने ज्यादातर चीजों को डिजिटल किया है।
सवाल: 2023 में बाल अपराध कम हो सकें इसके लिए आयोग की क्या क्या प्राथमिकता हैं ?
उत्तर: 2023 में बाल मजदूरी में फंसे बच्चों को ज्यादा से ज्यादा पुनर्वास करने पर काम करेंगे। मदरसों के ज्यादा से ज्यादा बच्चे स्कूली पढ़ाई पा सकें इस दिशा में काम करेंगे। हम संवेदनशील मामलों को लेकर कोर्ट में भी जाएंगे जैसे मुस्लिम बच्चियों में बाल विवाह और उम्र को लेकर हम सुप्रीम कोर्ट में गए हैं। हम आगे भी कानूनी लड़ाई लड़ते रहेंगे ताकि धर्म के नाम पर, लैंगिक आधार पर, जाति के आधार पर बच्चों से भेदभाव ना हो सके। इसके अलावा कुछ एफसीआरए एनजीओ बच्चों के नाम से धन लेकर अनैतिक काम कर रहे हैं। 2023 में उनपर कड़ी कार्यवाही सुनिश्चित करवाएंगे।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
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