निजता अधिकार पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, वाजिब प्रतिबंध लगाने से नहीं रोक सकते
सुप्रीम कोर्ट ने कहा सरकार को किसी भी चीज में वाजिब प्रतिबंध लगाने से नहीं रोक सकते।
highlights
- निजता से जुड़े अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा निजता का मुद्दा इतना बड़ा इसमें सबकुछ शामिल
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट में 9 जजों की संवैधानिक पीठ इस मुद्दे पर सुनवाई कर रही है कि किसी भी व्यक्ति का निजता अधिकार मौलिक अधिकार है या नहीं। इस मामले में गुरुवार को भी सुनवाई जारी रहेगा। यह मामला खास इसलिए है क्योंकि सरकार के आधार कार्ड योजना की वैधता को चुनौती देने पर सुनवाई हो रही है। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक पीठ ने कई बातें कही जो इस मामले के लिए बेहद अहम है।
1.सुप्रीम कोर्ट ने कहा सरकार को किसी भी चीज में वाजिब प्रतिबंध लगाने से नहीं रोक सकते। क्या कोर्ट निजता की व्याख्या कर सकता है? ये केटेलाग नहीं बनाया जा सकता कि किन चीजों से मिलकर प्राइवेसी बनती है।
2. कोर्ट ने कहा निजता का आकार इतना बड़ा है कि इसमें हर मुद्दा शामिल है। अगर सबको निजता की सूची में रखा जाएगा तो इसके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। निजता स्वतंत्रता का एक सब सेक्शन है।
3.कोर्ट रूम में एक जस्टिस ने उदाहरण देते हुए कहा, अगर मैं अपनी पत्नी के साथ बेडरूम में हूं तो ये निजता का हिस्सा है और ऐसे में पुलिस मेरे कमरे में नहीं घुस सकती। लेकिन अगर मैं बच्चों को स्कूल भेजूं या ना भेजूं ये निजता नहीं बल्कि राइट टू एजूकेशन का हिस्सा है।
4.कोर्ट ने कहा आज बैंक में लोग लोन लेने के लिए अपनी जानकारी देते हैं ये सब कानून के तहत होता है यहां बात अधिकार की नहीं है। आज डिजिटल युग में डेटा की सुरक्षा अहम मुद्दा है और इसके लिए सरकार को कानून बनाने का अधिकार है।
5. सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाले पीठ के सामने बहस शुरू करते हुए कहा जीने का और स्वतंत्रता का अधिकार पहले से मौजूद नैसर्गिक अधिकार है।
6. सुनवाई के दौरान पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी ने कहा संविधान राइट टू प्राइवेसी नहीं लिखा है लेकिन इसका ये मतलब नहीं की ये नहीं है। निजता हर व्यक्ति का अभिन्न अंग है।
7. कोर्ट में कहा गया संविधान आर्टिकल 19 के तहत प्रेस की आजादी का अधिकार नहीं देता लेकिन इसे अभिव्यक्ति की आजादी के तौर पर देखा जाता है जिसे कोर्ट भी मानता है।
8. कोर्ट में बताया गया कि राज्यसभा में आधार बिल पेश करते हुए वित्त मंत्री जेटली ने भी माना था कि प्राइवेसी एक मौलिक अधिकारी है।
ये भी पढ़ें: चीनी मीडिया का दावा, भारतीय सीमा के पास चीन ने जमा किए सैनिक और हथियार
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जे.एस. खेहर की अध्यक्षता में 9 न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ 1954 और 1962 के दो फैसलों के संदर्भ में निजता के अधिकार मामले की सुनवाई कर रही है। आधार कार्ड से जुड़े मामले में इसकी समीक्षा बेहद ज़रुरी है।
न्यायमूर्ति खेहर के अलावा नौ सदस्यीय पीठ में न्यायमूर्ति चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे, न्यायमूर्ति आर.के. अग्रवाल, न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन, न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे, न्यायमूर्ति डी.वाय. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर शामिल हैं।
ये भी पढ़ें: विमानन कंपनी इंडिगो और AI ने दिवाकर रेड्डी की हवाई यात्रा से बैन हटाया
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Kajol Workout Routine: 49 की उर्म में ऐसे इतनी फिट रहती हैं काजोल, शेयर किया अपना जिम रुटीन
-
Viral Photos: निसा देवगन के साथ पार्टी करते दिखे अक्षय कुमार के बेटे आरव, साथ तस्वीरें हुईं वायरल
-
Moushumi Chatterjee Birthday: आखिर क्यों करियर से पहले मौसमी चटर्जी ने लिया शादी करने का फैसला? 15 साल की उम्र में बनी बालिका वधु
धर्म-कर्म
-
Vikat Sanakashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत कब? बस इस मूहूर्त में करें गणेश जी की पूजा, जानें डेट
-
Shukra Gochar 2024: शुक्र ने किया मेष राशि में गोचर, यहां जानें किस राशि वालों पर पड़ेगा क्या प्रभाव
-
Buddha Purnima 2024: कब है बुद्ध पूर्णिमा, वैशाख मास में कैसे मनाया जाएगा ये उत्सव
-
Shani Shash Rajyog 2024: 30 साल बाद आज शनि बना रहे हैं शश राजयोग, इन 3 राशियों की खुलेगी लॉटरी