logo-image

Matua Dharma Maha Mela 2022: 7 दिवसीय मेले का आज उद्घाटन करेंगे पीएम मोदी, जानें- क्यों अहम है ये समुदाय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मतुआ धर्मा महा मेला 2022 का उद्घाटन और संबोधन शाम 4.30 बजे करेंगे. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बारे में जानकारी दी. ये मेला श्री श्री हरिचंद ठाकुर जी की 211वीं जयंती के अवसर पर आयोजित हो रहा है.

Updated on: 29 Mar 2022, 07:20 AM

highlights

  • मतुआ धर्म महा मेला 2022 को संबोधित करेंगे पीएम मोदी
  • शाम 4.30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से करेंगे मेले को संबोधित
  • रेलवे मेला स्थल तक पहुंचने के लिए चला रहा है विशेष ट्रेन

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज मतुआ समुदाय के महा मेले (Matua Dharma Maha Mela 2022) को संबोधित करेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्रो मोदी (Prime Minister Narendra Modi) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से श्रीधाम ठाकुरनगर, ठाकुरबाड़ी, पश्चिम बंगाल में आयोजित मतुआ धर्म महा मेला 2022 को संबोधित करेंगे. मतुआ समुदाय पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में फैला प्रभावशाली वनवासी समुदाय है और पश्चिम बंगाल में इनकी आबादी एक करोड़ से ऊपर है. मतुआ धर्म महा मेला 2022 का आयोजन अखिल भारतीय मतुआ महासंघ करा रहा है, जो 29 मार्च से 5 अप्रैल, 2022 तक चलेगा. 

श्री श्री हरिचंद ठाकुर की 211वीं जयंती के अवसर पर पीएम मोदी का संबोधन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मतुआ धर्मा महा मेला 2022 का उद्घाटन और संबोधन शाम 4.30 बजे करेंगे. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बारे में जानकारी दी. ये मेला श्री श्री हरिचंद ठाकुर जी की 211वीं जयंती के अवसर पर आयोजित हो रहा है. बता दें कि श्री श्री हरिचंद ठाकुर जी ने देश की आजादी से पहले के दौर में अविभाजित बंगाल में उत्पीड़ित, समाज के दबे-कुचले और बुनियादी सुविधाओं से वंचित लोगों की भलाई के लिए अपना जीवन समर्पित किया था. उन्होंने सामाजिक एवं धार्मिक आंदोलन वर्ष 1860 में ओरकांडी (अब बांग्लादेश में) से शुरू किया था और बाद में इसे मतुआ समुदाय के रूप में मान्यता मिली. 

 

इस मौके पर भारतीय रेल कई रेलें भी चला रहा है, ताकि इस धार्मिक महा मेले तक पहुंचने में किसी भी श्रद्धालु को कोई तकलीफ न हो. बता दें कि मतुआ समुदाय पश्चिम बंगाल के कई जिलों में अहम प्रभाव रखता है. इस समुदाय की अगुवा बीनापाणि देवी रह चुकी हैं. बीनापाणि देवी को इस समुदाय के लोग बंगाल में 'बोरो मां' यानी 'बड़ी मां' कह कर भी संबोधित करते हैं. वह समाजसुधारक हरिचंद्र ठाकुर के परिवार से आती हैं, जिन्‍होंने 1860 के दशक में समाज में प्रचलित वर्ण व्यवस्था को समाप्त करने के लिए इस समुदाय के लोगों को एकजुट करने की कोशिश की थी. इस समुदाय के लोग हरिचंद्र ठाकुर को भगवान की तरह पूजते हैं, जिनका जन्‍म अविभाजित भारत के एक गरीब व अछूत नमोशूद्र परिवार में हुआ था.