राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) बुधवार को लोकसभा में बोल रहे थे. इस दौरान एक वक्या ऐसा भी आया जब पीएम मोदी को अपना भाषण बीच में रोकना पड़ा. मोदी विपक्ष पर कृषि कानून पर किसानों में भ्रम फैलाने का आरोप लगाया. साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि एक भोजपुरी में कहावत है. कहा- न खेलब न खेले देब खेलवा बिगाड़ब. पीएम मोदी के इस तंज के बाद सदन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजने लगा था. दरअसल, पीएम ने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील कर रहे हैं, लेकिन किसान कानून वापसी पर अड़े हैं. सरकार को लगता है कि कांग्रेस इस मामले को हल नहीं होने देना चाहती.
दरअसल, पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कृषि कानूनों समेत तमाम सवालों का जवाब दिया है. किसानों (Farmers) के मसले पर प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि कानूनों पर प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में 3 कृषि कानून (Ariculture Law) लाए गए. ये कृषि सुधार का सिलसिला बहुत ही आवश्यक और महत्वपूर्ण है और बरसों से जो हमारा कृषि क्षेत्र चुनौतियां महसूस कर रहा है, उसको बाहर लाने के लिए हमें निरंतर प्रयास करना ही होगा और हमने एक ईमानदारी से प्रयास किया भी है. इस दौरान कांग्रेस (Congress) पर भी नरेंद्र मोदी ने निशाना साधा. जिसके बाद कांग्रेस ने लोकसभा से वॉकआउट कर दिया.
प्रधानमंत्री ने कहा, 'कानून लागू होने के बाद न देश में कोई मंडी बंद हुई, न एमएसपी बंद हुआ. ये सच्चाई है. इतना ही नहीं ये कानून बनने के बाद एमएसपी की खरीद भी बढ़ी है.' इस दौरान मोदी के संबोधन के बीच विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया. जिसको लेकर पीएम मोदी ने विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा, 'संसद में ये हो-हल्ला, ये आवाज, ये रुकावटें डालने का प्रयास, एक सोची समझी रणनीति के तहत हो रहा है. रणनीति ये है कि जो झूठ, अफवाहें फैलाई गई हैं, उसका पर्दाफाश हो जाएगा. इसलिए हो-हल्ला मचाने का खेल चल रहा है.'
कृषि कानूनों पर किसानों द्वारा यह कहने पर कि हमने मांगा नहीं तो दिया क्यों, इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'मैं हैरान हूं पहली बार एक नया तर्क आया है कि हमने मांगा नहीं तो आपने दिया क्यों. दहेज हो या तीन तलाक, किसी ने इसके लिए कानून बनाने की मांग नहीं की थी, लेकिन प्रगतिशील समाज के लिए आवश्यक होने के कारण कानून बनाया गया. मांगने के लिए मजबूर करने वाली सोच लोकतंत्र की सोच नहीं हो सकती है.' उन्होंने कहा, 'हमारे यहां एग्रीकल्चर समाज के कल्चर का हिस्सा रहा है। हमारे पर्व, त्योहार सब चीजें फसल बोने और काटने के साथ जुड़ी रही हैं. हमारा किसान आत्मनिर्भर बने, उसे अपनी उपज बेचने की आजादी मिले, उस दिशा में काम करने की आवश्यकता है.'
Source : News Nation Bureau