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पीएम मोदी ने हर नागरिकों से की अपील, दिलों में जलाएं कर्तव्य का दीया

ब्रह्मकुमारी संस्था के द्वारा ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज हम एक ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं जिसमें भेदभाव की कोई जगह न हो, एक ऐसा समाज बना रहे हैं, जो समानता औऱ सामाजिक न्याय की बुनियाद पर मजबूती से खड़ा हो.

Updated on: 20 Jan 2022, 12:21 PM

highlights

  • पीएम मोदी ने इस अवसर पर देश की महान नारी शक्ति को याद किया
  • एक साथ 30 से अधिक अभियान और 15 हजार से अधिक कार्यक्रम शुरू
  • 1937 में भारत में स्थापित ब्रह्मा कुमारी आंदोलन 130 से अधिक देशों में फैला

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव (Azadi Ke Amrit Mahotsav) से स्वर्णिम भारत की ओर’ कार्यक्रम का उद्घाटन किया.  ब्रह्मकुमारी संस्था के द्वारा ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज हम एक ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं जिसमें भेदभाव की कोई जगह न हो, एक ऐसा समाज बना रहे हैं, जो समानता औऱ सामाजिक न्याय की बुनियाद पर मजबूती से खड़ा हो, हम एक ऐसे भारत को उभरते देख रहे हैं, जिसकी सोच और अप्रोच नई है, और जिसके निर्णय प्रगतिशील हैं. इस कार्यक्रम में स्वर्णिम भारत के लिए भावना भी है, साधना भी है. इसमें देश के लिए प्रेरणा भी है, ब्रह्मकुमारियों के प्रयास भी हैं.

पीएम मोदी ने इस अवसर पर देश की महान मातृशक्ति को याद किया. उन्होंने कहा कि दुनिया जब अंधकार के गहरे दौर में थी, महिलाओं को लेकर पुरानी सोच में जकड़ी थी, तब भारत मातृशक्ति की पूजा, देवी के रूप में करता था. हमारे यहाँ गार्गी, मैत्रेयी, अनुसूया, अरुंधति और मदालसा जैसी विदुषियां समाज को ज्ञान देती थीं. कठिनाइयों से भरे मध्यकाल में भी इस देश में पन्नाधाय और मीराबाई जैसी महान नारियां हुईं. अमृत महोत्सव में देश जिस स्वाधीनता संग्राम के इतिहास को याद कर रहा है, उसमें भी कितनी ही महिलाओं ने अपने बलिदान दिये हैं. कित्तूर की रानी चेनम्मा, मतंगिनी हाजरा, रानी लक्ष्मीबाई, वीरांगना झलकारी बाई से लेकर सामाजिक क्षेत्र में अहल्याबाई होल्कर और सावित्रीबाई फुले तक, इन देवियों ने भारत की पहचान बनाए रखी.

संस्कृति, सभ्यता और संस्कारों को जीवंत रखना होगा

हमें अपनी संस्कृति, अपनी सभ्यता, अपने संस्कारों को जीवंत रखना है, अपनी आध्यात्मिकता को, अपनी विविधता को संरक्षित और संवर्धित करना है, और साथ ही, टेक्नोलॉजी, इनफ्रास्ट्रक्चर, एजुकेशन, हेल्थ की व्यवस्थाओं को निरंतर आधुनिक भी बनाना है.अमृतकाल का ये समय, सोते हुए सपने देखने का नहीं बल्कि जागृत होकर अपने संकल्प पूरे करने का है.आने वाले 25 साल, परिश्रम की पराकाष्ठा, त्याग, तप-तपस्या के 25 वर्ष हैं. सैकड़ों वर्षों की गुलामी में हमारे समाज ने जो गंवाया है, ये 25 वर्ष का कालखंड, उसे दोबारा प्राप्त करने का है.

नई ऊंचाई पर भी पहुंचेगा देश

हम सभी को, देश के हर नागरिक के हृदय में एक दीया जलाना है- कर्तव्य का दीया. हम सभी मिलकर, देश को कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ाएंगे, तो समाज में व्याप्त बुराइयां भी दूर होंगी और देश नई ऊंचाई पर भी पहुंचेगा.

7 पहल, 30 से अधिक अभियान और 15 हजार कार्यक्रम

इस कार्यक्रम में सालभर से चल रहे ‘आजादी के अमृत महोत्सव' के तहत ब्रह्मा कुमारियों द्वारा की गईं सात पहलों की शुरुआत पीएम मोदी ने की. इनमें 30 से अधिक अभियान और 15 हजार से अधिक कार्यक्रम शामिल हैं. इन पहलों में 'मेरा भारत स्वस्थ भारत', आत्मनिर्भर भारत: आत्मनिर्भर किसान, महिलाएं: भारत की ध्वजवाहक, अनदेखा भारत साइकिल रैली, एकजुट भारत मोटर बाइक अभियान और स्वच्छ भारत अभियान के तहत हरित पहलें शामिल हैं. कार्यक्रम के दौरान, ग्रैमी पुरस्कार विजेता रिकी केज ने आजादी के अमृत महोत्सव को समर्पित एक गीत भी जारी किया.

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ब्रह्मा कुमारी एक विश्वव्यापी आध्यात्मिक आंदोलन है जो व्यक्तिगत परिवर्तन और विश्व नवीनीकरण के लिए समर्पित है. 1937 में भारत में स्थापित ब्रह्मा कुमारी आंदोलन 130 से अधिक देशों में फैल चुका है.