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मन की बात में पीएम मोदी ने माउंट एवरेस्ट फतह करने वाले जनजातीय छात्रों को बधाई दी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माउंट एवरेस्ट फतह करने वाले पांच जनजातीय छात्रों को रविवार को बधाई देते हुए आईएनएसएवी तारिणी के महिला दल के दुनिया के चक्कर लगाने के कीर्तिमान को भी सराहा।

Updated on: 27 May 2018, 02:31 PM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माउंट एवरेस्ट फतह करने वाले पांच जनजातीय छात्रों को रविवार को बधाई देते हुए आईएनएसएवी तारिणी के महिला दल के दुनिया के चक्कर लगाने के कीर्तिमान को भी सराहा।

महाराष्ट्र के चंद्रपुर के एक आश्रम स्कूल के जनजातीय छात्रों मनीषा ध्रुव, प्रमेश आले, उमाकांत माधवी, कविदास कामटोड़े और विकास सोयम ने 16 मई को विश्व की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट फतह की थी।

मोदी ने अपने मासिक रेडियो संबोधन 'मन की बात' के 44वें सत्र में कहा, 'आश्रम स्कूल के इन छात्रों का प्रशिक्षण अगस्त 2017 में शुरू हुआ था, जिसमें इन्होंने वर्धा, हैदराबाद, दार्जिलिंग और लेह-लद्दाख को कवर किया था। इन युवा लड़के और लड़कियों को 'मिशन शौर्या' के तहत चुना गया था। अपने नाम की तरह इन्होंने अपने साहस के साथ एवरेस्ट फतह कर देश का नाम रोशन किया।'

मोदी ने एवरेस्ट फतह करने के लिए 16 साल की शिवांगी पाठक को भी सराहा।

पाठक नेपाल के भाग वाले एवरेस्ट फतह करने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय महिला बन गई हैं।

उन्होंने कहा, 'कई सदियों से एवरेस्ट चुनौतियां देता रहा है और लंबे समय से जाबांज लोग इस चुनौती को जीतते रहे हैं।'

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उन्होंने अजीत बजाज और उनकी बेटी के बारे में भी बात की, जो एवरेस्ट फतह करने वाली पहली बाप-बेटी की जोड़ी है।

मोदी ने एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाले सीमा सुरक्षाबल (बीएसएफ) समूह के बारे में बात करते हुए कहा कि यह दल एवरेस्ट से लौटते हुए वहां जमा कूड़े को ढोकर लाया था।

मोदी ने कहा, 'यह सराहनीय काम है। इससे स्वच्छता और पर्यावरण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का पता चलता है।'

मोदी ने दुनिया का चक्कर लगाने वाली आईएनएसवी तारिणी के महिलाओं के दल को भी बधाई दी।

इस टीम का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कमांडर वर्तिका जोशी ने किया। इसमें लेफ्टिनेंट कमांडर प्रतिभा जामवाल, पी. स्वाति और लेफ्टिनेंट एस.विजया देवी, बी.ऐश्वर्या और पायल गुप्ता हैं, जिन्होंने सितंबर 2017 में गोवा से इस सफर की शुरुआत की थी।

मोदी ने कहा, 'भारत की इन छह बहादुर बेटियों ने आईएनएसवी तारिणी पर सवार होकर 250 से अधिक दिनों तक पूरी दुनिया का चक्कर लगाया और ये 21 मई को वतन लौटीं।'

मोदी ने कहा, 'मैं इन जाबांजों को, विशेष रूप से इन बेटियों को तहे दिल से बधाई देता हूं।'

प्रधानमंत्री ने कहा कि इन्होंने विभिन्न महासागरों और समुद्रों का पार करते हुए लगभग 20,000 समुद्री मील की दूरी तय की।

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