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कृषि कानून पर किसानों की लड़ाई के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने की ये खास अपील

सरकार कृषि कानून के मसले को सुलझाने में पूरी कोशिश कर रही है. किसानों के साथ पांच दौर की वार्ता और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात भी कोई हल नहीं निकला है.

Updated on: 11 Dec 2020, 10:22 AM

नई दिल्ली:

नए कृषि कानूनों के मसले पर सरकार और किसानों के बीच की जंग अभी खत्म नहीं हो रही है. किसान संगठन लगातार कृषि कानून को खत्म किए जाने की मांग कर रहे है तो सरकार इन कानूनों को वापस लेने के पक्ष में नहीं है. हालांकि सरकार किसानों से वार्ता कर इन कानूनों में संशोधन करने पर जोर दे रही है. सरकार इस मसले को सुलझाने में पूरी कोशिश कर रही है. किसानों के साथ पांच दौर की वार्ता और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात भी कोई हल नहीं निकला है. किसान सरकार के लिखित प्रस्ताव को भी मानने को तैयार नहीं है. इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक खास अपील की है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सुबह एक ट्वीट किया, जिसमें गुरुवार को कृषि मंत्री द्वारा किसान आंदोलन के मसले पर की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस का जिक्र किया गया है. ट्वीट में पीएम मोदी ने लोगों से उन्हें सुनने की अपील की है. प्रधानमंत्री ने ट्वीट में लिखा, 'मंत्रिमंडल के मेरे दो सहयोगी नरेंद्र सिंह तोमर जी और पीयूष गोयल जी ने नए कृषि कानूनों और किसानों की मांगों को लेकर विस्तार से बात की है. इसे जरूर सुनें.'

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कृषि कानूनों पर विस्तार से सरकार का रुख स्पष्ट किया. खाद्य, रेलवे और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के साथ संवाददाताओं को संबोधित करते हुए तोमर ने कहा कि वह अब भी वार्ता के जरिए समधान निकलने को लेकर आशान्वित हैं. कृषि मंत्री ने कहा, 'सरकार किसानों से आगे और वार्ता करने को इच्छुक और तैयार है.. उनकी आशंकाओं को दूर करने के लिए, हमने किसान यूनियनों को अपने प्रस्ताव भेजे हैं. हमारी उनसे अपील है कि वे जितना जल्द से जल्द संभव हो वार्ता की तिथि तय करें, अगर उनका कोई मुद्दा है, तो उस पर सरकार उनसे वार्ता को तैयार है.'

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नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि जब वार्ता चल रही हो तो वे आंदोलन के अगले चरण की घोषणा करने के बजाय किसान संगठनों को वार्ता की मेज पर बैठना चाहिए. उन्होंने कहा, 'हमने किसानों को उनसे मिलने के बाद अपने प्रस्ताव दिए और इसलिए हम उनसे उन पर विचार करने का आग्रह करते हैं. यदि वे उन प्रस्तावों पर भी चर्चा करना चाहते हैं, तो हम इसके लिए भी तैयार हैं.' यह पूछे जाने पर कि क्या विरोध के पीछे कोई और शक्तियां मौजूद हैं, तोमर ने इस प्रश्न का कोई सीधा जवाब नहीं दिया और कहा, 'मीडिया की आंखें तेज हैं और हम इसका पता लगाने का काम उस पर छोड़ते हैं.'

ठीक इसी सवाल के संदर्भ में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, 'इसका पता लगाने के लिए प्रेस को अपनी खोजी क्षमता और दक्षता का उपयोग करना होगा.' उन्होंने कहा, 'हम मानते हैं कि किसानों के कुछ मुद्दे हैं. हम किसानों का सम्मान करते हैं और उन्होंने हमारे साथ चर्चा की. हमने उन मुद्दों को संबोधित करने की कोशिश की जो चर्चा के दौरान सामने आए. यदि मौजूदा प्रस्ताव के बारे में अन्य कोई मुद्दे हैं जिन पर चर्चा की जानी चाहिए या उनपर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है तो हम उसके लिए भी तैयार हैं.'

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उधर, मंत्रियों की प्रेस कॉन्फ्रेंल के बाद गुरुवार को किसान नेताओं ने धमकी दी कि यदि सरकार अपने तीन कानूनों को रद्द नहीं करती तो रेलवे पटरियों को भी अवरुद्ध किया जाएगा. सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के बारे में किसानों का दावा है कि इन कानूनों का उद्देश्य कृषि उत्पाद की खरीद के लिए मंडी प्रणाली तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था को कमजोर कर कॉर्पोरेट घरानों को लाभान्वित करना है.